सांसद संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, गिरफ़्तारी पर लगी रोक
आदिल अहमद
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को आज सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ी राहत देते हुवे उनके ऊपर दर्ज ऍफ़आईआर में गिरफ़्तारी पर अंतरिम आदेश के तहत रोक लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज गिरफ्तारी पर रोक लगाने का फैसला सुनाया है। बताते चले कि सुप्रीम कोर्ट में संजय सिंह के खिलाफ उत्तर प्रदेश में राजद्रोह समेत कई आरोपों के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी।
Supreme Court grants interim relief and stays the arrest of Aam Aadmi Party leader, Sanjay Singh, seeking quashing of the FIRs registered against him under various charges, including that of sedition, in Uttar Pradesh pic.twitter.com/AhvJN6OjTG
— ANI (@ANI) February 9, 2021
इस दरमियान सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस को इन मामलों में सांसद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्यसभा के सभापति से मंजूरी लेने से रोका नहीं जा रहा है। न्यायालय ने संजय सिंह की उन दो याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले बयान मामले में दर्ज अनेक प्राथमिकियों को एक साथ करने और उन्हें रद्द करने का अनुरोध किया है।
गौरतलब हो कि ये प्राथमिकियां पिछले वर्ष 12 अगस्त को संजय सिंह द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन के बाद दर्ज की गई थीं। संजय सिंह ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार समाज के एक खास वर्ग की तरफदारी कर रही है। आज सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आर एस रेड्डी की पीठ ने सुनवाई के दौरान संजय सिंह के वकील से कहा कि वह जाति और धर्म के आधार पर समाज को बांट नहीं सकते।
संजय सिंह की ओर से पेश अधिवक्ता विवेक तन्खा और सुमीर सोढ़ी ने कहा कि पुलिस ने मामला दर्ज करते वक्त प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया और राज्य सभा के सांसद के खिलाफ कार्रवाई के लिए मंजूरी नहीं ली गई। इस पर पीठ ने कहा कि वह इस चरण में मंजूरी के पहलू पर गौर नहीं करेंगे लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि संजय सिंह के खिलाफ कोई अपराध नहीं लगाए गए हैं। बता दें कि दो फरवरी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सिंह को लखनऊ में दर्ज एक प्राथमिकी पर जारी गैर जमानती वारंट से सुरक्षा देने से इनकार किया था। आप नेता ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अपने खिलाफ दर्ज कई प्राथमिकियों को रद्द किए जाने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
उन्होंने आरोप लगाया था कि ये प्राथमिकियां ‘‘दुर्भावनापूर्ण तरीके से राजनीतिक बदले की भावना के तहत दर्ज’’ की गई थीं। संजय सिंह ने एक अन्य याचिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 21 जनवरी के उस फैसले को भी चुनौती दी है, जिसमें लखनऊ में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया था। संजय सिंह ने अपने खिलाफ दर्ज अनेक प्राथमिकियों को रद्द करने का अनुरोध करने वाली एक याचिका में कहा है कि संबंधित संवाददाता सम्मेलन में केवल खास सामाजिक मुद्दे और बिना नाम लिए सरकार द्वारा समाज के एक विशेष वर्ग के प्रति सहानुभूति रखने जैसे सवाल उठाए थे।