वाराणसी एसटीऍफ़ द्वारा नशे के सिरप “कोडिन” कारोबारियों पर बड़ी कार्यवाही, एक करोड़ से अधिक मूल्य के माल सहित पांच गिरफ्तार
तारिक आज़मी
वाराणसी। वाराणसी पुलिस प्रशासन का ध्यान अब “कोडिन” की तस्करी पर जमकर पड़ने लगा है। इस क्रम में वाराणसी एसटीऍफ़ ने पांच अभियुक्तों को गिरफ्तार कर भुल्लनपुर के निकट से प्रतिबंधित सिरप कोडिन की पचास हज़ार से अधिक शीशियाँ बरामद कर कोडिन कारोबारियों पर कड़ी कार्यवाही करते हुवे इस काले कारोबार की कमर पर एक तगड़ा वार किया है। पांचों आरोपियों के पास से बरामद कोडिन की बाज़ार कीमत एक करोड़ से अधिक की बताई जा रही है। एसटीऍफ़ ने कुल 50,700 शीशी सीरप, एक ट्रक, पांच मोबाइल और 4,040 रुपये नगद बरामद किया गया है।
गिरफ्तार आरोपियों में नई बस्ती पांडेयपुर निवासी सुनील पांडेय, ईश्वरगंगी का रहने वाला प्रदीप जायसवाल, बड़ागांव क्षेत्र के डिघिया का रहने वाला सुनील कुमार सरोज, जौनपुर के गौरा बादशाहपुर स्थित ग्राम धर्मापुर निवासी वीरेंद्र पासवान उर्फ बबलू और गाजीपुर के सैदपुर स्थित अमुआरा का निवासी किशन यादव है। एसटीऍफ़ ने आरोपियों को गिरफ़्तारी के बाद रोहनिया थाने की पुलिस को सौंप दिया है।
नशे का बड़ा काला कारोबार है कोडिन
हमने इस सम्बन्ध में कई खबरे पहले भी प्रमुखता के साथ प्रकाशित करके अपने पाठको को इस नशे के कारोबार के सम्बन्ध में बताया था। कोडिन वैसे तो काफ सिरप है जिसको खासी होने पर इस्तेमाल की सलाह चिकित्सक देते है। मगर बड़े ही रियर केसेस में इस सिरप की सलाह दिया जात है। मगर युवाओं द्वारा इस सिरप का प्रयोग नशे के तौर पर किया जाता है। विशेषतः उन राज्यों और देशो में इस सिरप की मांग अधिक है जहा शराब प्रतिबंधित है। जिसमे बांग्लादेश जैसे देशो में इसकी खपत अधिक है और अच्छी कीमत भी मिलती है।
इस सम्बन्ध में एसटीएफ की वाराणसी के डिप्टी एसपी विनोद कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि सूचना मिली थी कि अंतरप्रांतीय गिरोहों द्वारा प्रदेश के विभिन्न जनपदों से मादक पदार्थों और दवाओं की अवैध तरीके से तस्करी कर पूर्वोत्तर राज्यों में भेजी जा रही है। तस्करी कर भेजी जा रही दवाओं का उपयोग नशा करने के लिए किया जाता है। इस बीच पता चला कि एक गिरोह द्वारा रोहनिया थाना अंतर्गत भुल्लनपुर में गोदाम बनाकर सीरप को अवैध रूप से लाकर रखा जाता है और उसके बाद उसे पूर्वोत्तर राज्यों और अन्य जगहों को भेजा जाता है। सूचना की तस्दीक कर भुल्लनपुर स्थित प्रदीप जायसवाल के मकान में छापा मारा तो सामने आया कि सीरप के पैकेट को ट्रक में तस्करों द्वारा लोड किया जा रहा है।
क्या है आखिर कोडिन, जो बना देता है खुद का आदी
कोडिन सीरप के रूप में खासी के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें कोडिन एक प्रकार का फार्मूला है जो दर्दनाशक के तौर पर भी काम करता है। इसके उपयोग से इंसान को नींद भी आती है। मगर इस कोडिन का अधिक इस्तेमाल शरीर के लिए हानिकारक है और नशे के तौर पर ये काम करने लगता है। चिकित्सक डॉ आरिफ अंसारी ने हमसे बातचीत में बतया था कि कोडिन के एडिक्ट की किडनी सम्बन्धी समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसके अधिक मात्रा में प्रयोग से तगड़ा नशा होता है जिसके असर 24 से 48 घंटो तक एक आम इंसान को रहता है। वही इसके नशेड़ियो को यह 12 घंटे से अधिक समय तक नशा करता है।
भारत में बिहार, पश्चिम बंगाल एवं पूर्वोत्तर राज्यों में नशा करने वाले लोग इसका प्रयोग नशीले पदार्थ के रूप में करते हैं और यह सीरप वहां महंगे दाम में बिकता है। यही नही वाराणसी में भी इस सिरप के एडिक्ट काफी तेज़ी से बढ़ रहे है। इनको अक्सर आमबोल चाल की भाषा में लोग कोरेक्स्बाज़ का नाम देते है। ये युवक इस सिरप को पीकर इसका नशा दूना करने के लिए चाय को अधिक शक्कर मिला कर पीते है। एक कप चाय में कम से कम 3 चम्मच शक्कर का प्रयोग करने के बाद इसका नशा दूना हो जाता है।
काले कारोबारियों को होता है मोटा मुनाफा
कोडिन के काले कारोबार करने वालो को इसका मोटा मुनाफा मिलता है। अमूमन छोटे दुकानदारो को इसकी खरीद 45 रुपयों तक की पड़ती है। जिसकी बिक्री 75-90 रुपयों में होती है। रिटेल दुकानदारो को एक शीशी कोडिन बेचने पर 30 से 50 रुपयों तक का मुनाफा हो जाता है। घटिया क्वालिटी का कोडिन सिरप महज़ 30 रुपयों का भी दुकानदारो को मिल जाता है। शीशी के कैप पर MB लिखा हुआ कोडिन सिरप महज़ 35 रुपयों का दुकानदारो को मिलता है मगर इसकी बिक्री 90 की होती है। सबसे अधिक शहर में इसी कोडिन सिरप की बिक्री होती है।
वाराणसी के आदमपुर क्षेत्र का दुकानदार है बड़ा रिटेल कारोबारी
गोपनीय सूत्रों से मिली जानकारी को आधार माने तो इस कोडिन का बड़ा रिटेल कारोबारी आदमपुर थाना क्षेत्र के मछोदरी बिरला अस्पताल के निकट गली का एक बड़ा मेडिकल कारोबारी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जुगाड़ से काम करने वाले इस कारोबारी के पास स्टॉक के तौर पर हमेशा 300 शीशी कोडिन रहता है। MB के तौर पर पुकारा जाने वाला यह कोडिन सिरप उसके कारोबा र्की कमाई का मुख्य श्रोत है। सूत्र बताते है कि एक दिन में इसके यहाँ से लगभग 100 शीशी कोडिन की बिक्री होती है। काउंटर के ठीक नीचे रखा गया ये प्रतिबंधित सिरप स्थानीय पुलिस की नज़र से कैसे बचा हुआ है ये समझ से परे है।