किस्सा गैंग आफ बादशाह अली एंड राशिद खान – अदालत ने कहा बादशाह अली ने विपक्षी से बदला लेने के उद्देश्य से शत्रुतावश दाखिल किया था वाद, किया निरस्त

तारिक़ आज़मी

वाराणसी। वाराणसी के दालमंडी से सचालित गैग आफ बादशाह अली एंड राशिद खान को अदालत ने एक बड़ा झटका देते हुवे बादशाह अली के द्वारा दाखिल 156(3) के अंतर्गत वाद संख्या 307/2021 निरस्त कर दिया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि विवाद संपत्ति के लेनदेन और क्रय विक्रय का है जो सिविल का मामला है। विपक्षी पर अनावश्यक दबाव बनने के उद्देश्य से शत्रुतावश बदला लेने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। अदालत ने अपने फैसले से उक्त वाद को दिनांक 17 मार्च 2021 को निरस्त कर दिया है। इस आदेश की प्रति आज प्राप्त होने के बाद दुसरे पक्ष संजय सहगल उर्फ़ बब्बल ने आदेश की प्रति हमको उपलब्ध करवाया।

विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि कुमार दिवाकर ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से लिखा है कि “मामला पूर्णतः सिविल प्रकृति का एवं रुपयों के लेनदेन एवं संपत्ति के क्रय विक्रय से सम्बन्धित है तथा विपक्षी पर अनावश्यक दबाव बनाने के उद्देश्य से शत्रुतावश बदला लेने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है जो कि निरस्त किये जाने योग्य है।” सम्मानित अदालत का ये फैसला हमारे उन खबरों की सीरिज़ के दावो को भी सच करने वाला है जिसमे कहा जा रहा है कि गैग आफ बादशाह अली एंड राशिद खान दबाव बनाने के उद्देश्य से मुक़दमे करते है।

क्या था मामला

दरअसल मामला ये था कि बादशाह अली ने वाद सख्या 307/2021 अंतर्गत धारा 156(3) द0प्र0सं0 अदालत में पेश कर गुहार लगाया गया था कि प्रतिवादी संजय सहगल उर्फ़ बब्बल ने बादशाह अली से एक दूकान भवन सख्या 42/29 चाहमामा थाना चौक के भूतल पर देने के लिए बादशाह अली से किश्तों में तीन लाख रुपया चंद चुनिन्दा गवाहों के दरमियान लिए है। गवाहों में एक सपा नेता के पिता कमालुद्दीन और दुसरे रजत गुप्ता का नाम था। बादशाह अली ने अपने वाद में कहा था कि उक्त तीन लाख रुपया 22 अक्टूबर 2020 को नगद कई किश्तों में दिया गया था। साथ ही इसकी लिखा पढ़ी होने का भी दावा किया गया था।

वाद में कहा गया था कि संजय सहगल उर्फ़ बब्बल से जब बादशाह अली ने तीन लाख रुपया माँगा तो 17 फरवरी को उसने पैसे देने से मना कर दिया और गाली गलौंज देने लगा। इस क्रम में बादशाह अली का कहना था कि थाना चौक और एसएसपी वाराणसी को शिकायती प्रार्थना पत्र देकर मामले में मुकदमा दर्ज करने को कहा गया मगर मुकदमा दर्ज नही हुआ। जिसके बाद वादी मुकदमा बादशाह अली ने वाद दाखिल कर अदालत से गुहार लगाया था कि उक्त प्रकरण में मुकदमा दर्ज करने का आदेश चौक थाने को दे।

इसी दरमियान ये दावा करते हुवे संजय सहगल ने भी एक वाद 156(3) में दाखिल किया था कि एक बिल्डर इमरान उर्फ़ सोनू के षड़यंत्र से, बादशाह अली ने रजत गुप्ता और कमालुद्दीन के साथ मिलकर कूट रचित दस्तावेज़ का सहारा लेकर ऐसा आरोप लगाया है। इस केस में अदालत ने फैसला सुनाते हुवे संजय सहगल की शिकायत पर चौक पुलिस को निर्देश दिया था कि उक्त वर्णित प्रकरण में मुकदमा दर्ज कर मामले की विवेचना करे। जिसके बाद चौक थाने पर बादशाह अली सहित बिल्डर इमरान उर्फ़ सोनू, रजत गुप्ता और कमालुद्दीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था जिसकी विवेचना प्रचलित है।

अदालत के फैसले के बाद हडकंप में है गैंग आफ बादशाह अली एंड राशिद खान   

17 मार्च को अदालत द्वारा बादशाह अली के वाद को निरस्त करने की जानकारी होने के बाद गैंग आफ बादशाह अली एंड राशिद खान में हडकंप मचा हुआ है। खुद पर गिरफ़्तारी की लटकती तलवार देख कर पुरे झुण्ड के बीच हडकम्प की स्थिति है। इस हडकंप में ये झुण्ड बहकी बहकी बाते कर रहा है और हरकते कर रहा है। वही बादशाह अली एंड राशिद खान के करीबी हमारे एक सूत्र ने बताया है कि बादशाह अली आज प्रदेश के हाई कोर्ट अपने ऊपर दर्ज मुक़दमे में स्टे लेने गए है।

वही बब्बल के सूत्रों ने हमको बताया कि उक्त वाद में बब्बल ने हाई कोर्ट में कैविएट डाल रखा है। यानी इस हिसाब से बादशाह अली की मुश्किलें बढती हुई दिखाई दे रही है। वही दूसरी तरफ थाना चौक पुलिस इस प्रकरण में दुसरे वाद के निरस्त होने की सुचना मिलने के बाद ताबड़तोड़ विवेचना कर रही है। सब मिला कर गैंग आफ बादशाह अली एंड राशिद खान की मुश्किलें बढ़ रही है। वही सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में बिल्डर का नाम आने के बाद बिल्डर भी परेशान और हलाकान दिखाई दे रहे है। सूत्र बताते है कि बिल्डर साहब के करीबी लोग क्षेत्राधिकारी दशाश्वमेघ के आसपास दौड़ लगा रहे है।

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