जाने आरिज़ खान उर्फ़ जुनैद एक बैक बेंचर स्टूडेंट से कैसे बना दुर्दांत आतंकवादी
तारिक़ आज़मी
नई दिल्ली: कुख्यात आतंकी आरिज़ खान उर्फ़ जुनैद को साकेत कोर्ट ने सजा-ए-मौत तजवीज़ किया है। आज आये अदालत के फैसले के बाद मोस्ट वांटेड रह चूका आतंकी आरिज़ खान एक बार भी सुर्खियों में है। 2018 में गिरफ्तार आरिज़ खान को अदालत ने बाटला हाउस एनकाउंटर के मामले में सजा सुनाई है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले को रियर ऑफ़ द रियारेस्ट माना है जिसमे दो पुलिस कर्मी घायल हुवे थे और एक पुलिस इन्स्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा शहीद हुवे थे।हम आज आपको आरिज़ खान के एक आम बेक बेंचर स्टूडेंट से दुर्दांत आतंकवादी बनने के सफ़र को इस नज़रिए से बता रहे है कि आप अपने बच्चों के साथियों और दोस्तों के गतिविधियों पर नज़र रखे।
आरिज उर्फ़ जुनैद उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद के बिलरियागंज थाना क्षेत्र के नसीरपुर गांव में हुआ था। इसके चाचा डॉ फकरे आलम का मशहूर क्लिनिक नसीरपुर में है तथा उनका शहर के जालंधरी में निवास है। 30 जुलाई 1985 को पैदा हुआ आरिज उर्फ़ जुनैद ने 12वीं तक पढ़ाई आजमगढ़ में की। पढ़ाई में जो लगन चाहिए थी वह इसके पास शुरू से थी नही। अमूमन ये बैक बेंचर के तौर पर जाना जाता था। इसने कई एंट्रेंस एग्जाम दिए मगर उनमें फेल होता गया। काफी फेल होने के सर्टिफिकेट लेने के बाद इसने मुजफ्फरनगर में बीटेक में एडमिशन लिया, जहां इसका बड़ा भाई भी पढ़ता था।
आजमगढ़ से दसवीं पास कर ग्याहरवीं में एडमिशन लेने आरिज़ खान उर्फ़ जुनैद अपने साथी असादुल्लाह अख्तर उर्फ़ हड्डी उर्फ़ मिर्जा शादाब के साथ अलीगढ़ गया था। अलीगढ में टॉप लेवल का कम्पटीशन एडमिशन के लिए होता है। इसने वह 11वी के इंट्रेंस एग्जाम दिया और वहा फेल होने के बाद इसने फिर से आजमगढ़ का रुख किया और वह एडमिशन लिया। इस दरमियान अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में इसकी मुलाकात आतिफ अमीन नाम के लड़के से हुई। जहा इसकी उससे दोस्ती हो गई और आरिज तथा आतिफ वापस आजमगढ़ आए और एडमिशन ले लिया।
इसके बाद वक्त गुज़रता गया और 2003 में आरिज की मुलाक़ात आरिफ शेख नाम के एक शख्स से आतिफ के कमरे पर हुई। कहते है अधूरी जानकारी काफी खतरनाक होती है और इस मामले में भी वही हुआ। इन तीनो ने एक साथ बैठ कर इस्लाम और मौत के बाद की जिंदगी के बारे में बात किया। 2005 में आरिज खान उर्फ़ जुनैद अपने अकंल के घर दिल्ली के जाकिर नगर में शिफ्ट हो गया और इसका दोस्त आतिफ अपने भाई के घर शाहीन बाग़ रहने लगा। एक दिन आतिफ ने मुलाकत के दौरान आरिज उर्फ़ जुनैद को कराची में हथियार चलाने और बनाने की 40 दिन की ट्रेनिंग के बारे में बताया। इनके दिमाग में अधूरी इस्लाम की जानकारी थी।
2005 में आतिफ, आरिज को आजमगढ़ के तकिया मोहल्ला ले गया और उसकी मुलाक़ात सादिक शेख नाम के शख्स से कराई और बातों-बातों में सादिक ने बाबरी मस्जिद को लेकर “जिहाद” में शामिल होने की बात की। इसके बाद फ़रवरी 2005 में आतिफ जाकिर नगर में आरिज के घर रोज आने जाने लगा और उसका बात करने का तौर तरीका सब बदल गया और उसने आतंक की दुनिया में शामिल होने के लिए आरिज खान उर्फ़ जुनैद को रेडिक्लाइज कर लिया।
यही वो वक्त था जब एक बेक बेंचर आरिज़ खान उर्फ़ जुनैद आतंकी बन बैठा। आतंकी भी कोई ऐसा वैसा नही बल्कि दुर्दांत आतंकी बना जिसके ऊपर कुल मिला कर 15 लाख का इनाम घोषित थे। इसके खिलाफ रेड कोर्नर नोटिस जारी थी। आरिज़ बटला हाउस एनकाउंटर, दिल्ली सीरियल ब्लास्ट समेत, यूपी कोर्ट 2007 और 2008 के अहमदाबाद धमाको में वांटेड था। पुलिस की स्पेशल सेल समेत एनआईए और कई स्टेट पुलिस को 2008 से इसकी तलाश थी। आरिज उर्फ़ जुनैद दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर में फरार होने में कामयाब हो गया था और ये खुद उसी फ़्लैट L18 में अपने बाकि साथियों के साथ मौजूद था जिसमे आतंकियों से लोहा लेते हुए इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हुए थे।
यहां से वह किसी तरीके से फरार होने में कामयाब हुआ और सीधा नेपाल भाग गया, जहां ये अपने साथी अब्दुल सुभान उर्फ़ तौकीर के साथ रहने लगा था और इसने वही शादी भी कर ली थी, खुद की पहचान छिपाने के लिए इसने एक स्कूल में टीचर की नौकरी भी कर लिया था। इसके बाद ये अपने साथी के साथ 2014 सऊदी अरब चला गया और साल 2017 में वापस नेपाल आया और फिर भारत में इंडियन मुजहिद्दीन और सिमी जैसे संगठनों को दुबारा खड़ा करने की कोशिश करने लगा था।
इस दरमियान देश को सबसे बड़ी जांच एजेंसी एनआईए ने आरिज उर्फ़ जुनैद पर 10 लाख का ईनाम घोषित कर रखा था और दिल्ली पुलिस ने इसके ऊपर 5 लाख का ईनाम घोषित कर रखा था। 15 लाख के इनाम के आलावा भी कई और राज्यों की पुलिस ने भी इसके ऊपर इनाम रखा था।