अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस – महिला शक्ति की मिसाल है मानसिंह यादव की बेटी एसआई सुमन यादव
तारिक़ आज़मी
वाराणसी। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आज पूरी दुनिया में विविध कार्यक्रम आयोजित हुवे और हो भी रहे है। महिलाओं के सशक्तिकरण पर आज हमारे देश में पुरे दिन चर्चा होती रही। बेशक महिला के सम्मान में केवल एक दिवस ही काफी नहीं है। बल्कि दुनिया की इस आधी आबादी के लिए पुरे साल के 365 दिन भी महिला की अजमत को बयाँ करने के लिए कम पड़ सकते है। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हमने महिला सशक्तिकरण की कुछ मिसाल को आपसे रूबरू करवाने का फैसला किया। ऐसे ही एक महिला एसआई है सुमन यादव जो “महिला सशक्ति” शब्द की एक जीती जागती पूरी परिभाषा है।
प्रयागराज के रहने वाले मानसिंह ने अपने बेटे से कभी भी कम अपनी बेटी सुमन को नही समझा। जितना लाड दुलार बेटे के हिस्से आता उतना ही बेटी के भी। बेटी भी ऐसी लायक जो अपने पिता को अपना आदर्श माने तो कौन पिता फुला नही समां जायेगा। ऐसा जो कुछ है प्रयागराज के निवासी मान सिंह के साथ। बेटे पर जितना उनको गर्व है उससे कही अधिक गर्व उनको अपनी बेटी पर है। सिर्फ मान सिंह यादव ही नहीं बल्कि उस इलाके के रहने वाले हर एक महिला पुरुष को सुमन पर गर्व है।
सुमन यादव का जन्म एक माध्यम वर्गीय परिवार में प्रयागराज की धरती पर हुआ। शिक्षा की नगरी प्रयागराज से ही पूरी शिक्षा दीक्षा पाने वाली सुमन यादव ने इतिहास विषय से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल किया। दिल में जज्बा देश सेवा का और दिमाग में पिता मानसिंह यादव की आदर्श तस्वीर लिए सुमन यादव ने एसआई कम्पटीशन की तैयारी पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद ही शुरू कर दिया। इस तैयारी में उनको सफलता प्राप्त हुई और वर्ष 2015 के बैच में सुमन यादव का सेलेक्शन हुआ और वह बतौर एसआई वाराणसी में पोस्टेड हुई।
देखने में पतली दुबली, मगर आँखों में एक चमक लिए सुमन यादव को पहली पोस्टिंग रामनगर थाने पर मिली। इस दरमियान पहला ही सामना 25 हज़ार के इनामिया डकैत से हुआ और पुलिस टीम में वह डकैत ढेर हुआ। इस मुठभेड़ में सुमन यादव की बड़ी भूमिका रही। पहले ही पोस्टिंग में सुमन यादव ने दिखा दिया कि “नाज़ुक है कमज़ोर नही, शक्ति का नाम ही नारी है।” पुरे जिले में सुमन यादव की चर्चा होने लगी। उनके क्षेत्र में अपराधी आने से खौफ खाने लगे। मनचलों की हिम्मत नही होती कि अगर सुमन यादव ड्यूटी पर है तो उस क्षेत्र में आँखे ज़मीन से ऊपर उठा सके।
एक सफलता का परचम गाड़ने के बाद सुमन यादव का ट्रांसफर वाराणसी के चौक थाने पर हुआ। तत्कालीन एसएसपी वाराणसी ने सुमन यादव पर भरोसा जताते हुवे एक बड़ी ज़िम्मेदारी दिया और उन्हें ब्रह्मनाल चौकी इंचार्ज के पद पर पोस्टिंग मिली। पूर्वांचल की सबसे बड़ी सर्राफा मण्डी के साथ काशी विश्वनाथ और महाश्मशान मणिकर्णिका घाट इसी चौकी क्षेत्र में आता है। एक ऐसा इलाका जहा जीप तो जाना दूर बल्कि इलाके में बाइक तक लेकर चलना दुश्वार हो ऐसे इलाके में शांति व्यवस्था बनाना। पूर्वांचल की सबसे बड़ी सर्राफा मण्डी जहा करोड़ नही बल्कि करोडो का रोज़ कारोबार होता हो उस क्षेत्र में नियंत्रण और व्यापारियों में सुरक्षा की भावना को जागृत करना एक बड़ी चुनौती थी।
मगर इस बड़ी चुनौती को भी मान सिंह यादव की बिटिया एसआई सुमन यादव ने सहर्ष स्वीकार किया और आज कई महीनो से इस क्षेत्र का सफल सञ्चालन ऐसा किया कि अभी तक किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना सुनने में नही आई। सुमन यादव का खौफ जिस प्रकार से इलाके के अपराधियों में है उसको देखते हुवे इलाके के लोग उन्हें लेडी सिंघम कहकर पुकारते है। एसआई सुमन यादव के हर एक कदम पर उनके कंधे से कन्धा मिला कर चलने वाला भगवान ने जीवन साथी संजीव के रूप में दिया। संजीव अपनी पत्नी के हर एक फैसले पर उनका साथ देते है और हौसला देते है।
खुद सुमन यादव ने हमसे एक बार बातचीत में बताया कि उनके पिता मानसिंह यादव ने उन्हें कभी बेटी नही बल्कि बेटे जैसा ही समझा। भले मेरा खेल का शौक बास्केटबाल हो या फिर ड्राइविंग का शौक। आज भी मैं अपने मासूम भतीजे के साथ फुर्सत मिलने पर ड्राइव पर निकल जाती हु। वो भी अपनी बुआ का इंतज़ार किया करता है। वक्त मिलने पर बास्केटबाल भी खेल लेती हु। मेरे पिता ने जीवन की हर एक चुनौती को हसते हुवे स्वीकार करना सिखाया है। पिता के आदर्शो का पालन आज भी करती हु उसी से मुझको शक्ति और विश्वास मिलता है।
महिला शक्ति की जीती जागती मिसाल सुमन यादव को PNN24 न्यूज़ परिवार दिल से नमन करता है।