अपराध है जिसकी सहेली, बीकेडी आज भी है उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए एक अबूझ पहेली
तारिक़ आज़मी
वाराणसी। नाम इन्द्रदेव सिंह, प्यार से अथवा खौफ से लोग उसको बीकेडी कहते है। नाम तो सुना ही होगा आपने। पुलिस विभाग में इसकी कोई तस्वीर नही है। सिर्फ चंद पुलिस वाले इसको पहचान सकते है। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसका हुलिया कुछ इस प्रकार है कि कद पांच फिट 6 इंच, रंग गोरा, छरहरा बदन, साथ में सर पर बाल नही मगर चेहरे पर रौब दमदार है। सिर्फ नाम ही काफी है बीकेडी के खौफ को ज़ाहिर करने के लिए। अपराध की दुनिया में आज ये बेताज बादशाह के तौर पर है। ये कहा है, क्या करता है, क्या सोचता है ये आज तक पुलिस महकमे के लिए एक पहेली की तरह है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार इन्द्रदेव सिंह के बीकेडी बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। एक एक्शन थ्रिलर की तरह इसके जीवन का उतार चढ़ाव है। स्व मुन्नी देवी और स्व हरिहर सिंह थाना चौबेपुर के धरहौरा ग्राम के निवासी थे। परिवार का अच्छा रुतबा समाज में था। समाज में सम्मान के नज़र से परिवार देखा जाता था। इनके चार बेटे थे। बड़े लड़के का नाम इंद्र प्रकाश सिंह उर्फ़ पांचू था। दुसरे नम्बर पर था सत्यदेव उर्फ़ साचु और तीसरे नंबर पर था इन्द्रदेव सिंह उर्फ़ बीकेडी तथा चौथे नम्बर पर सिद्धार्थ सिंह उर्फ़ सीकेडी। बचपन से ही बीकेडी अपने फूफा अभयजीत सिंह और बुआ सुरमा देवी के पास ही रहा, जहा उसकी शिक्षा दीक्षा होती थी। बुआ सुरमा देवी का एक ही बेटा है गोपाल जो आँख और कान से माज़ूर है। बीकेडी ने बुआ के घर थाना केराकत के थानागद्दी क्षेत्र स्थित ग्राम जखिया नाऊपुर में रहकर हाई स्कूल तक की शिक्षा ग्रहण किया।
पुलिस रिकार्ड के अनुसार वर्ष 1985 में बीकेडी के पिता हरिहर सिंह की हत्या माफिया डॉन बृजेश सिंह के गैंग द्वारा कर दिया गया था। इसका असर ये पड़ा कि पांचू उर्फ़ इंद्रप्रकाश सिंह ने अपराध का रास्ता अपना लिया। इधर बीकेडी पिता के हत्या के बाद से दबंग किस्म का हो गया। इसका साथ संगत अपराधी किस्म के लोगो के साथ हो गया। लड़ाई-झगडा आम बात हो चुकी थी। हाई स्कूल पास होने के बाद इन्द्रदेव सिंह उर्फ़ बीकेडी ने मुंबई में मर्चेंट नेवी ज्वाइन कर लिया और वही रहने लगा था। तभी वर्ष 1999 के जनवरी माह के 11 तारिख को थाना सारनाथ क्षेत्र में बंशी सिंह और बीकेडी के बड़े भाई पाचू की पुलिस से मुठभेड़ हो गई। इस मुठभेड़ में पांचू सिंह भी मारा गया।
पुलिस रिकार्ड के अनुसार अपने बड़े भाई पांचू के एनकाउंटर की खबर सुनकर बीकेडी जो तब तक इन्द्रदेव सिंह ही था, मर्चेंट नेवी की नौकरी छोड़ कर वापस आ गया। इन्द्रदेव सिंह को शक था कि पाचू के एनकाउंटर की मुखबिरी अजय सिंह खलनायक और सतीश सिंह के द्वारा किया गया था। इन्द्रदेव सिंह ने वापस आकर अपना मुख्य अड्डा गाजीपुर जनपद को बनाया और यही उसने अपना नामकरण किया बीकेडी। वर्ष 2013 तक बीकेडी गाजीपुर जनपद में रहकर अपने गैंग को बढ़ा रहा था। इस दरमियान अपने खर्चो हेतु वह छोटे मोटे ठेके भी ले रहा था। ठेकेदारी में उसने अपना नाम दिनेश रखा था और समान्तर खुद का गैग खड़ा कर लिया।
इस गैंग में नामवर सिंह जैसे शूटर थे। वर्ष 2013 में बृजेश सिंह के तिहाड़ जेल स्थानांतरण के बाद से इन्द्रदेव सिंह ने अपना नामकरण बीकेडी जगजाहिर करते हुवे 4 मई 2013 को देर शाम टकटकपुर रोड पर अजय सिंह खलनायक पर जानलेवा हमला किया। ये हमला उस समय हुआ जब अजय खलनायक अपनी पत्नी के साथ जा रहा था। एक साथ कई गोलियां चलाई गई थी। शहर उस समय गैंगवार के दहशत से खौफजदा हो गया था। इसके बाद इस घटना में शामिल लोगो की शिनाख्त पुलिस ने इंद्रदेव सिंह, राजेश सिंह, वरुण सिंह, राकेश यादव, बिरादर यादव, नामवर सिंह सहित सात लोगों के रूप में किया था। जिसमे से राघवेन्द्र सिंह को पुलिस ने दुसरे दिन ही गिरफ्तार कर लिया था। इसके कुछ समय बाद वरुण सिंह ने अदालत में सरेंडर कर दिया था। इसके बाद एक लम्बी ख़ामोशी के बाद 2014 के जुलाई में नामवर सिंह को जब एसटीऍफ़ ने गिरफ्तार किया तो नामवर सिंह ने सतीश सिंह हत्याकाण्ड का भी खुलासा किया था।
शुरू में बीकेडी अपने साथियों के लिए भी एक अबूझ पहेली की तरह था। जब 2008 में चौबेपुर के मनीष सिंह का अपहरण हुआ था तो उसमे बीकेडी भी शामिल था। इस अपहरण में गैंग के अन्य सदस्य इसको दीपक नाम से जानते थे। पुलिस रिकार्ड के अनुसार बीकेडी की शादी कैमूर में हुई। अभी तक पुलिस के हाथ बीकेडी के कालर तक नही पहुच पाए है। पुलिस मानती है कि बीकेडी के शरणदाता काफी है। पुलिस रिकार्ड के अनुसार 3 दर्जन से अधिक शरणदाता है। वही गैग सदस्यों की बात करे तो पुलिस रिकार्ड के अनुसार हाईलाइटेड और सक्रिय सदस्य बीकेडी को लेकर 15 है।
पुलिस के पास इसके ठिकानों का केवल एक अंदाज़ है। आज तक पुलिस के हत्थे न पड़ने वाला बीकेडी पुलिस के लिए एक अबूझ पहेली है। नाम बदलने में माहिर बीकेडी पर पुलिस ने एक लाख का इनाम घोषित कर रखा है। मगर बीकेडी कहा है ये किसी को नही मालूम। वैसे पुलिस ये भी मानती है कि बीकेडी के पास आधुनिक असलहे भी है। सतीश सिंह की हत्या हुई और अजय खलनायक पर जानलेवा हमला हुआ। इसके बाद बृजेश के करीबी और उसका काम संभालने वाले राम बिहारी चौबे की हत्या कर दी गई। बृजेश के एक अन्य करीबी सतेंद्र सिंह की भी हत्या हुई। इन सभी में इंद्रदेव सिंह उर्फ बीकेडी का नाम आया। इस दरमियान वाराणसी तहसील परिसर में मारे गए नितेश सिंह बबलू की तेरही पर कई बाहुबली के शामिल होने की चर्चा रही। पुलिस सूत्रों के अनुसार तेरहवीं में एक लाख के इनामी इंद्रदेव सिंह उर्फ बीकेडी के भी शामिल होने की चर्चा रही। लेकिन पुष्टि नहीं हो सकी। वही मुन्ना बजरंगी के मारे जाने के बाद से बीकेडी द्वारा गैंग को सँभालने की बाते भी फिजाओं में रही। पुलिस सूत्र का कहना है कि पुलिस को भी इस बात की जानकारी हुई है। मगर कोई पुष्टि इस बात की अभी तक नही हुई है। अब देखना होगा कि वर्षो से पुलिस के हाथो से दूर बीकेडी कब तक पुलिस के पकड़ से दूर रहता है ?