पुर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने थमा टीएमसी का हाथ, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी से मुलाक़ात के बाद बताई वजह क्यों ज्वाइन किया टीएमसी
आफ़ताब फारुकी
कोलकाता: भारतीय जनता पार्टी के पूर्व नेता और अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में केंद्रीय मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा ने शनिवार को पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का हाथ थाम लिया। कोलकाता में कई पार्टी नेताओं की मौजूदगी में टीएमसी की सदस्यता लेते हुए यह पार्टी जॉइन करने के पहले आज ममता बनर्जी से मुलाकात किया। तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय, डेरेक-ओ ब्रायन और सुब्रत मुखर्जी की मौजूदगी में पार्टी मुख्यालय में शामिल होने से पहले यशवंत सिन्हा ने आज कोलकाता के कालीघाट स्थित घर जाकर ममता बनर्जी से मुलाकात की।
टीएमसी ज्वाइन करने के कारणों पर चर्चा करते हुवे यशवंत सिन्हा ने इसके कई कारण बताये। उन्होंने कहा कि आज देश ‘अप्रत्याशित परिस्थितियों’ का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि कि ‘ममता जी पर हमला अहम मोड़ था। यही फैसले का वक्त था कि मैं टीएमसी जॉइन करूं और ममता जी को सपोर्ट करूं।’ इसके पहले तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि ‘हम यशवंत सिन्हा का अपने पार्टी में स्वागत करते हैं। चुनावों में बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में उनके आने से मजबूती मिलेगी।’
बता दें कि यशवंत सिन्हा जो अटल सरकार और उसके पहले 1990 में चंद्रशेखर की कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं, पिछले काफी वक्त से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी के आलोचक रहे हैं। उन्होंने 2018 में पार्टी आलाकमान से गंभीर मतभेद होने के बाद बीजेपी छोड़ दी थी।
यशवंत सिन्हा ने टीएमसी का हाथ थामने के कारणों पर चर्चा करते हुवे कहा कि ‘ममता जी पर हमला अहम मोड़ था। यही फैसले का वक्त था कि मैं टीएमसी जॉइन करूं और ममता जी को सपोर्ट करूं।’ ‘देश आज एक अप्रत्याशित स्थिति का सामना कर रहा है। किसी भी लोकतंत्र की ताकत उसकी लोकतांत्रिक संस्था में होती है। लेकिन अब न्यायपालिका सहित देश की सभी संस्थाएं कमजोर हो चुकी हैं।’
उन्होंने कहा कि ‘अटल जी के वक्त में बीजेपी जनसंदेश में विश्वास करती थी। लेकिन आज की सरकार जनता को कुचलने और राज करने में भरोसा करती है। अकाली और बीजेडी, बीजेपी को छोड़ चुके हैं। आज बीजेपी के साथ कौन खड़ा है?’ अटल जी ने एक राष्ट्रीय गठबंधन का निर्माण किया था। वो गठबंधन के सहयोगियों को कमजोर करके उनकी जगह नहीं लेना चाहते थे। यह देशभर में गंभीर लड़ाई हो रही है। यह बस राजनीतिक लड़ाई नहीं है। यह लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है।
उन्होंने पुराने घटनाक्रम को याद करते हुवे कहाकि “मैं आज आपको बताना चाहता हूं कि जब इंडियन एयरलाइंस के विमान को कंधार में अपहरण कर रखा गया था, तब कैबिनेट में भारतीयों को बदले में छोड़ने की शर्त पर चर्चा हुई थी। तब ममता जी ने खुद को बंधक बनाने की पेशकश की थी, ताकि भारतीयों को छोड़ा जा सके। देशवासियों के लिए वह बलिदान देने को तैयार थीं।”