यह शर्म की बात है कि आज़ादी के सात दशक के बाद भी हम लोगों को ऑक्सीजन नहीं दे पा रहे – इलाहाबाद हाईकोर्ट
तारिक खान
प्रयागराज. हाईकोर्ट ने कोरोना के यूपी में बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सरकार को निर्देश दिया है कि वह दिन में दो बार हेल्थ बुलेटिन जारी करे। यह बुलेटिन प्रदेश के बड़े सरकारी अस्पतालों के संबंध में जारी किया जाए जो लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा, कानपुर नगर, गोरखपुर व झांसी में स्थित हैं। इससे लोगों को रोगियों के स्वास्थ्य की जानकारी मिल सकेगी। अस्पतालों को लार्ज स्क्रीन का प्रयोग करने को कहा गया है ताकि लोग रोगियों के बारे में जान सकें। कोर्ट ने कहा कि सरकार डिस्ट्रिक्ट पोर्टल के मार्फत इस बात की जानकारी सुनिश्चित करे कि कितने बेड आईसीयू व कोविड वार्ड में सरकारी अथवा प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध हैं।
कोर्ट ने कहा कि कि सभी सरकारी व कोविड का इलाज कर रहे प्राइवेट अस्पतालों में रेमडेसिविर का इंजेक्शन व अन्य जरूरी दवाएं तथा आक्सीजन निर्बाध रूप से मिलती रहनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कि यह शर्म की बात है कि आज़ादी के सात दशक के बाद भी हम लोगों को ऑक्सीजन नहीं दे पा रहे हैं। डॉक्टर व अन्य मेडिकल स्टाफ की समुचित व्यवस्था करने का भी कोर्ट ने निर्देश दिया है।
यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा व जस्टिस अजित कुमार की खंडपीठ ने कोरोना क्वारंटीन सेंटर को लेकर स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि केवल एंटीजेन की निगेटिव रिपोर्ट के आधार पर किसी रोगी को अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जा सकती, क्योंकि रोगी अन्य कारणों से भी संक्र्तमित हो सकता है। उसे एक सप्ताह के लिए नान- कोविड वार्ड में शिफ्ट किया जा सकता है।
चुनाव आयोग से नाराज़ अदालत, माँगा स्पष्टीकरण कि क्यों न उन्हें दण्डित किया जाए
वही दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट काफी सख्त नज़र आया. अदालत ने ने यूपी में पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना से मरे सरकारी कर्मचारियों को लेकर राज्य चुनाव आयोग के क्रियाकलापों की कड़ी निंदा किया। हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग व इसके 27 अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगते हुए पूछा है कि बताएं कि पंचायत चुनाव के दौरान कोविड गाइड लाइंस का पालन करने में आयोग कैसे विफल रहा, क्यों न उन्हें इसके लिए दंडित किया जाए।