वाराणसी – जब फोन ही नहीं उठता है तो फिर नोडल अफसर का नंबर क्यों जारी हुआ साहब
तारिक़ आज़मी
वाराणसी। वाराणसी में कोरोना संक्रमण को लेकर इन्सान नही बल्कि पूरी इन्सानियत ही सिसक रही है। लोग एक दुसरे को मदद की नज़र से देखते दिखाई दे रहे है। सोशल मीडिया पर लोग मदद की गुहार लगा रहे है। बेशक वाराणसी के जिलाधिकारी अपना पूरा प्रयास कर रहे है मगर इसके इतर उनके अधिनस्त शायद सिर्फ कुर्सी सँभालने और बचाने में लगे हुवे है। लोग फोन उठाने तक की ज़हमत नही उठाते है तो फिर किसी आम नागरिक की मदद कहा से करेगे।
वाराणसी में बढ़ते कोरोना संक्रमण और आक्सीज़न सप्लाई को निर्बाध्य रूप से सुचारु करने के लिए जिला प्रशासन ने टीम का गठन किया हुआ है। नोडल अधिकारी पद पर कमिश्नर आफ ड्रग के सी गुप्ता जी को आसीन किया गया। गुप्ता जी बिलाशुबहा लोग कहते है कि मेहनती है। जिला प्रशासन ने उनके नम्बर को भी आम जन की जानकारी के लिए सर्कुलेट किया और लोगो को विश्वास जगाया कि “सब कुछ चंगा है, गुप्ता जी आपकी समस्या का निस्तारण करेगे।” आम काशीवासी ही जमकर खुश हुवे कि गुप्ता जी अब निवारण करेगे।
वैसे तो काशीवासियो को बस खुश होने का बहान चाहता है। तो खुश हो लिए और जमकर इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर वायरल भी किया कि अब नोडल अधिकारी नियुक्ति के बाद कोई समस्या नहीं बचेगी और सब समाधान हो जायेगा। काशीवासियों की मगर ख़ुशी शायद ज्यादा देर तक रुकने वाली नही थी। उनको शायद मालूम नही था कि नोडल अधिकारी के पद पर नियुक्त ड्रग कमिश्नर साहब आवश्यकता पर फोन ही नही उठायेगे। अब मिलाओ फोन।
इस बात की शिकायत सोशल मीडिया पर जमकर हो रही है। हमने रियलिटी चेक के आधार पर नोडल अधिकारी महोदय यानी जनाब के0सी0 गुप्ता साहब को फोन किया। हमको विश्वास था कि बेवजह बदनाम करने के लिए ये सब हो रहा है और गुप्ता जी फोन उठायेगे। वैसे मेरी जानकारी के अनुसार गुप्ता जी के मोबाइल में मेरा खुद का नम्बर सेव है। एक बार एक खबर के सिलसिले में उनसे मुलकात हुई थी और उन्होंने मेरा नम्बर विशेष रूप से भेजा था। मगर मेरे भी इस सोच को ज्यादा देर परवाज़ नही मिली और धडाम से गिर पड़ी मेरी सोच। गुप्ता जी को मैंने दसियों काल कर डाला मगर गुप्ता जी का फ़ोन उठा ही नहीं। पूरी पूरी घंटी बज कर काट जाये मगर गुप्ता जी ने फोन नही उठाना था तो नही उठाया।
चर्चा है कि नोडल अधिकारी केसी गुप्ता साहब किसी का फोन नहीं उठाते है। भले से ही आप फोन करते करते अपने फोन की बैटरी को खत्म कर डाले, मगर गुप्ता जी का फोन नही उठेगा तो नहीं उठेगे। आपको विश्वास नही होता तो आप खुद चेक करके देख ले। अब सवाल ये उठता है कि जब नोडल अधिकारी पत्रकारों का फोन नही उठाते है तो आम जनता का फोन कैसे उठा लेटे होंगे ?