तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – इस्पेक्टर रोहनिया साहब आप कह रहे है तो मान लेते कि विजय जुलूस नही निकला, ये वीडियो भी झूठा है
तारिक आज़मी
वाराणसी। पंचायत चुनाव के रिजल्ट आने के बाद विजय जुलूस प्रतिबंधित था। अगर छिटपुट घटनाओं को छोड़ दे तो कही विजय जुलूस नही निकला। जहा निकला पुलिस ने दौड़ा भी लिया इसकी भी अपुष्ट सूचनाये है। अब जब सूचनाये पुष्ट न हो तो उसको हम कैसे कहे कि पक्की सुचना है। यहाँ हाल तो ऐसा है कि जहा सुचना पक्की हो, पुरे प्रूफ हो उसके बाद भी जांच अधिकारी कह दे कि नहीं गलत है तो सवाल किससे करेगे साहब ?
मामला पहले आपको बताते है। मामला है पंचायत चुनाव के रिजल्ट वाले दिन का। वाराणसी ग्राम पंचायत चुनाव में रोहनियां थानांतर्गत मड़ाव ग्राम प्रधान पद पर प्रकाश गौड़ जितने के बाद अपने ही क्षेत्र के समर्थकों को साथ लेकर विजय जुलूस की शक्ल में निकल पड़े। अब जो जीते थे वो ख़ुशी में भैया भाभी की जय कहते दिखाई दे रहे थे। मगर इस जयकारे में हारे हुवे भी पराजय कहते कही कोने में रहे होंगे। इनमे से किसी ने इस जुलूस की वीडियो बना डाली।
वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो गया। भैया भाभी की जयकारा मारने वाले रात को दावत खाकर सो चुके होंगे मगर यह बन तो गया खबर का हिस्सा। इस दरमियान स्थानीय एक पत्रकार ने मामले का एक फोटो ट्वीट कर दिया जिस पर जाँच का आदेश हो गया। वाराणसी ग्रामीण पुलिस ने प्रकरण में जाँच थाना प्रभारी निरीक्षक रोहनिया को दिया। इसके बाद की कोई कार्यवाही की जानकारी किसी को नही हुई। हमारे एक सहयोगी ने इस सम्बन्ध में जानकारी हासिल करने के लिए इस्पेक्टर साहब को फोन कर दिया। फोन कर जानकारी उपलब्ध करवाया गया कि यह विजय जुलूस नही था बल्कि वह अपने काउंटिंग एजेंट के साथ घर वापस जा रहे थे। हमारे सहयोगी भी बड़ा परेशान हो गये कि इतने एक काउंटिंग एजेंट्स ?
बहरहाल, उन्होंने हमको इस मामले में जानकारी दिया तो हम भाई समझाये उनको ठीक से। प्रेम मुहब्बत से सब समझ जाते है। हम उनको कहा कि अगर थाना प्रभारी कह रहे है कि विजय जुलूस नही था तो नही था। उसमें इतना परेशान होने की क्या बात है। भाई समझो, जब थाना प्रभारी ने कहा कि विजय जुलूस नही है तो नही है ये मान लो। देखो वीडियो झूठ बोल रहा है तुम्हारा, सिर्फ जाँच रिपोर्ट सही है। जाँच अधिकारी ने बताया कि वीडियो झूठ है तो झूठ है। फिर काहे इस वीडियो को लेकर बैठे हो। डिलीट करे। देखो कहा बहुत ज्यादा लोग है। देखो सबने मास्क लगाया हुआ है। असल में मास्क जो है वो अदृश्य है। आपको दिखाई नही देगा मगर उन्होंने मास्क लगाया हुआ है।
मगर हमरे सहयोगी समझे के तैयार ही नही रहे। बड़ा समझा रहे थे मगर बार बार वो वीडियो दिखा रहे थे। तो हम कहा उनसे देखो तुम नियम कायदा कानून न देखो। बस एक बात मान लो हमरी, न वीडियो, न खाता, न बही, बस जो थाना प्रभारी कहते है वही समझो है सही। विजय जुलूस नही है तो नही है। हम तो अपने आँखों में खुद से धुल झोक डाले है और कह दिया है कि वीडियो नही है। सीधे खाली थाना प्रभारी साहब जो कहे है वही सही है। विजय जुलूस नही है।