मुहब्बत की इसी ज़मी को हिन्दुस्तान कहते है – नफिल रोज़ा रखे सलीम ने 5 साल के मासूम सत्यम की ब्लड डोनेट कर बचाया जान
ए0 जावेद
वाराणसी। उनका जो पैगाम है वह अहल-ए-सियासत जाने, अपना तो पैगाम-ए-इन्सानियत है जहा तक पहुचे। बेशक इन्सानियत दुनिया का सबसे बड़ा मज़हब है। इसकी जीती जागती तस्वीर आज शहर बनारस में सामने आई जब कैंसर से जूझ रहे 5 साल के मासूम सत्यम की जान बचाने के लिए नफिल रोज़ा रखे हुवे मोहम्मद सलीम ने अपना खून देकर जान बचाया। इस बात की जानकारी जिसको भी हुई उसने इस इन्सानियत के मिसाल की तारीफ जमकर किया।
हुआ कुछ इस तरह की ब्लड कैंसर जैसी घातक बिमारी से जूझ रहा 5 साल का मासूम सत्यम लंका स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में आज सुबह भर्ती हुई। उसकी तबियत काफी ख़राब थी और उसका ब्लड ग्रुप ओ निगेटिव है। रियर ब्लड ग्रुप में आने वाले ओ निगेटिव ब्लड के लिए परिजनों ने सुबह से कई जगह गुहार लगाई। सोशल मीडिया पर वायरल करके मदद की गुहार को कोई देखता तो कोई देख कर अनदेखा कर देता। इसी दरमियान इसकी जानकारी गोदौलिया निवासी समाज सेवक मनोज दुबे को हुई।
मनोज दुबे ने PNN24 न्यूज़ के प्रधान सम्पादक तारिक आज़मी से संपर्क किया और इस बच्चे की मदद के लिए गुहार लगाई। तारिक आज़मी के द्वारा कही और मदद मांगने से बेहतर समझा गया अपने रिपोर्टर्स से सहयोग लेना। उन्होंने एक एक करके सभी रिपोर्टर्स को फोन करके उनका ब्लड ग्रुप पूछा। इस दरमियान PNN24 न्यूज़ के लोहता से संवाददाता मोहम्मद सलीम ने बताया कि उनका ब्लड ग्रुप ओ निगेटिव है। मो0 सलीम ने तुरंत बच्चे की स्थिति जानकार ब्लड देने की इच्छा ज़ाहिर किया। इस दरमियान तारिक आज़मी को जानकारी मिली कि मो0 सलीम नफिल रोज़ा है।
गौरतलब हो कि ईद के बाद काफी मुस्लिम समुदाय के लोग ईद के दुसरे और तीसरे दिन रोज़ा रखते है। उसको नफिल रोज़ा कहा जाता है। उपवास खत्म होने में एक घंटे का समय बाकी था। सलीम को जब बच्चे की स्थिति पता चली तो उन्होंने रोज़ा खोलने का इंतज़ार नही किया बल्कि खुद तुरंत ही आईएमए बिल्डिंग स्थित ब्लड बैंक पहुच गए। वहा फार्मेलिटी होने में लगभग एक घंटे का समय लगा और इस दौरान अज़ान हो गई। रोज़ा इफ्तार का वक्त हो गया। लॉक डाउन के कारण सभी दुकाने बंद थी। सलीम ने थोड़े पानी से रोज़ा खोला और बच्चे को ब्लड डोनेट किया।
ब्लड डोनेशन के बाद बच्चे सत्यम के परिजनों ने सलीम को धन्यवाद् कहा और अपनी कृतज्ञता ज़ाहिर किया। मो0 सलीम ने उनसे वायदा किया कि कोई आवश्यकता होने पर वह उन्हें तुरंत काल कर सकते है। सलीम के इस नेक काम और इस इन्सानियत के जज्बे की जानकारी जिसको भी हुई सभी ने उनकी प्रशंसा किया। हम केवल एक शब्द उन नाम में मज़हब तलाशने वालो को कहेगे कि “हे मित्र, मुहब्बत की इसी जमी को हिंदुस्तान कहते है।” अपनी टीम के साथी सलीम के इस इंसानियत के जज्बे तो हम दिल से सलाम करते है। मु0 सलीम ने हमसे बात करते हुवे कहा कि “मेरे रोज़े से रब खुश होगा या नही, ये मुझको नही मालूम। मगर बेशक रब इससे खुश ज़रूर होगा।”