ग्रामीण चिकित्सकों ने कोरोना अवधि में मानवता की अदम्य सेवा की है:  डॉ मोहम्मद आरिफ

आशा ट्रस्ट ने 5 चिकित्सकों को  "कोरोना योद्धा सम्मान पत्र" और मेडिकल किट देकर सम्मानित किया

शाहीन अंसारी

वाराणसी। सामाजिक संस्था ‘आशा ट्रस्ट’ द्वारा विभिन्न जिलों में कोरोना अवधि में उल्लेखनीय सेवा प्रदान करने वाले ग्रामीण चिकित्सकों को चिन्हित करके उन्हें “कोरोना योद्धा सम्मान” से सम्मानित किये जाने के कार्यक्रम के अंतर्गत  रविवार को वाराणसी में चांदमारी स्थित एक निजी परिसर में 5 चिकित्सकों को सम्मानित किया गया। सम्मान पत्र के साथ में उन्हें स्वास्थ्य रक्षक किट भी प्रदान की गयी जिसमे आक्सीमीटर, थर्मामीटर,  थर्मल स्कैनर, वेपोराइजर, फेस शील्ड, दस्ताना, मास्क, दवाएं आदि है जिसका चिकित्सा के दौरान प्रयोग किया जा सके।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि वरिष्ठ गांधीवादी इतिहासकार डॉ मोहम्मद आरिफ ने कहा कि  कोरोना संक्रमण के दूसरे लहर के दौरान जब सरकारी अस्पतालों और बड़े अस्पतालों में बेड और आक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ था उस समय दूर दराज गाँवों में चिकित्सकों ने बड़ी  जिम्मेदारी के साथ पीड़ित और संक्रमित लोगों को चिकित्सा सुलभ कराई। इन चिकित्सको के पास प्रायः बड़ी डिग्री नही होती लेकिन इनका विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज करने का अनुभव कही बहुत ज्यादा है और यही कारण था कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इन चिकित्सकों ने ग्रामीण क्षेत्र में हजारों लोगों की जान बचाई। ग्रामीण क्षेत्र में सेवा कर रहे तमाम निजी चिकित्सकों ने महामारी के दौर में मानवता की सेवा की मिसाल कायम की है, उन्हें प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम संयोजक एवं आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा कि ग्रामीण चिकित्सकों को आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के उपयोग का  प्रशिक्षण दिए जाने की जरूरत है जिससे भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर वे और बेहतर सेवा दे सकें। सामाजिक कार्यकर्ता महेश कुमार ने कहा कि प्रत्येक गाँव में मानदेय पर जन स्वास्थ्य रक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए जिससे ग्रामीण क्षेत्र में सामान्य जांच जैसे रक्तचाप, मधुमेह, ऑक्सीजन स्तर आदि आसानी से सुलभ हो सके। इस क्रम में सम्मानित किये गये चिकित्सकों डॉ0 मोहम्मद गुलबहार अहमद फैज़, डॉ0 नित्या नन्द पाण्डेय, डॉ शिव धनी पटेल, डॉ0 मोहम्मद नसीम अहमद और डॉ0 विजय कुमार ने भी  कोरोना संकट काल के समय के अपने अनुभवों को साझा किया।कार्यक्रम की व्यवस्था और संचालन नाहिदा और दीपक पटेल ने किया।

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