1987 बैच के आईपीएस मुकुल गोयल बने उत्तर प्रदेश के नये डीजीपी, अखिलेश सरकार में भी बखूबी निभाई है ये ज़िम्मेदारी

अनुराग पाण्डेय

लखनऊ. उत्तर प्रदेश पुलिस ने नए मुखिया की नियुक्ति हो चुकी है। सभी अटकलों को विराम देते हुवे इस पद पर तेज़ तर्रार आईपीएस मुकुल गोयल को नियुक्त करने की आज घोषणा हुई है। मुकुल गोयल को उत्तर प्रदेश का नया पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया है। राज्य सरकार ने आज बुधवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर ये जानकारी दी। 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी मुकुल गोयल वर्तमान में सीमा सुरक्षा बल यानि बीएसएफ में अतिरिक्त डीजी ऑपरेशन के रूप में तैनात हैं। गोयल एचसी अवस्थी की जगह लेंगे, जो बुधवार को रिटायर हो गये है।

उत्तर प्रदेश के जनपद के मुजफ्फरनगर के रहने वाले मुकुल गोयल का जन्म 22 फरवरी 1964 को हुआ था। आईआईटी के साथ उन्होंने दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है।इसके अतिरिक्त वह एमबीए डिग्री होल्डर भी है। मुकुल गोयल देश के उन चुनिन्दा अधिकारियो में से है जिनके पास फ्रेंच में प्रवीणता का प्रमाण पत्र और आपदा प्रबंधन में डिप्लोमा है। मुकुल गोयल उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में स्थित जनपदों को नियंत्रित करने का पुराना अनुभव भी रखे हुवे है। वह आजमगढ़, गोरखपुर, वाराणसी में बतौर पुलिस कप्तान रहे है वही अल्मोड़ा, जालौन, मैनपुरी, हाथरस, सहारनपुर और मेरठ जनपदों में भी पुलिस कप्तान की भूमिका निभा चुके है। इसके अलावा कानपुर, आगरा और बरेली रेंज में उन्होंने बतौर डीआईजी भी कार्य किया है। वही बरेली रेंज के वह आईजी भी रह चुके है।

वह भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) में भी तैनात थे। आपदा प्रबंधन में विशेष जानकारी रखने वाले मुकुल गोयल के नेतृत्व में एनडीआरऍफ़ ने कई उपलब्धियां हासिल किया है। गोयल को 2003 में वीरता के लिए पुलिस पदक से सम्मानित भी किया गया था।

वाराणसी में पोस्टिंग के दरमियान मुकुल गोयल के निकटस्थ शहर के कई पत्रकार थे। वैसे तो अधिकतर इनमे से अब पत्रकारिता जगत को अलविदा कह चुके है मगर जानकार बताते है कि आज भी पुराने पत्रकारों के सम्पर्क में रहते है। मृदुभाषी और स्पष्ट वक्ता के तौर पर अपनी पहचान रखने वाले मुकुल गोयल डिजिटल वर्क भी बखूबी जानते है। सोशल मीडिया पर ख़ास तवज्जो रखने वाले मुकुल गोयल 2024 में रिटायर्ड होंगे।

अखिलेश सरकार में मुकुल गोयल एडीजी ला एंड आर्डर के पद पर कार्यरत रहने के दरमियान उनके बारे में मशहूर था कि वह खुद का सीयूजी नम्बर पर हर एक काल अधिकतर स्वयं ही उठाते थे और कालर की पूरी समस्या को सुनते थे। कई ऐसे भी वाक्यात उस समय चर्चा का विषय बने थे जब शिकायत कर्ताओं ने सीधे उनको फोन किया और उन्होंने उनकी समस्याओं का संज्ञान लिया।

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