दिल्ली – केजरीवाल सरकार की महत्वाकांक्षी योजना “घर-घर राशन” पर केंद्र सरकार ने लगाई रोक, “आप” हुई केंद्र सरकार पर हमलावर
आदिल अहमद
नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर में प्रभावित प्रवासी मजदूरों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मई महीने में आदेश देते हुए कहा था कि केंद्र सरकार, दिल्ली, यूपी और हरियाणा में फंसे प्रवासियों को परिवहन प्रदान करने पर राहत के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दे। अदालत ने यह भी कहा था कि केंद्र दिल्ली, यूपी और हरियाणा में फंसे प्रवासियों के लिए आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत राशन उपलब्ध कराए। मई से प्रवासियों को सूखा राशन दिया जाए। राशन को दिल्ली-एनसीआर में प्रवासियों को बिना आई कार्ड के दिया जाना चाहिए। इस क्रम में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने “घर-घर राशन योजना” की शुरुआत किया था। जिस पर केंद्र सरकार ने आज रोक लगा दिया है।
यह योजना दिल्ली में राशन को हर घर तक पहुंचाने की थी। दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने 72 लाख लोगों को उनके घर पर राशन पहुंचाने के लिए योजना बनाई थी। एक हफ्ते बाद यह लागू होनी थी। मगर आज केंद्र सरकार ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार द्वारा लाई गई इस महत्वाकांक्षी ‘घर घर राशन योजना’ पर रोक लगा दी है। दिल्ली सरकार के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कहा है कि इस योजना के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी नहीं गई, इसलिए इस पर रोक लगाई गई है। योजना पर रोक लगाए जाने को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कल (रविवार) सुबह 11 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।
बताते चले कि राशन योजना के नाम को लेकर भी केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच तनातनी हो चुकी है। केंद्र सरकार ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि यह योजना केंद्र की योजना नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत आती है, जिसमें कोई भी बदलाव केवल संसद कर सकती है न कि राज्य। इसलिए दिल्ली सरकार इस योजना का न तो नाम बदल सकती है और न ही इसको किसी और के साथ जोड़ सकती है।
इस रोक के लगाये जाने के बाद केजरीवाल सरकार ने इस मामले में केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र ने दिल्ली की क्रांतिकारी राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना को रोक दिया है। दिल्ली सरकार ने कहा कि उप-राज्यपाल ने दो कारणों का हवाला देते हुए राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना के कार्यान्वयन की फाइल को खारिज किया है। पहला- केंद्र ने अभी तक इस योजना को मंजूरी नहीं दी है और दूसरा- कोर्ट में इसके खिलाफ एक केस चल रहा है।
दिल्ली सरकार के मुताबिक, ‘सरकार 1-2 दिनों के अंदर पूरी दिल्ली में राशन वितरण योजना शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार थी, जिससे दिल्ली में 72 लाख गरीब लाभार्थियों को लाभ मिलता।’ दिल्ली के खाद्य आपूर्ति मंत्री इमरान हुसैन के मुताबिक, ‘मौजूदा कानून के अनुसार ऐसी योजना शुरू करने के लिए किसी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा योजना के नाम के संबंध में केंद्र की आपत्तियों को दिल्ली कैबिनेट ने पहले ही स्वीकार कर लिया है।’
केंद्र सरकार के सुझाव के आधार पर, दिल्ली कैबिनेट ने योजना से ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ नाम को हटाने और मौजूदा एनएफएस अधिनियम, 2013 के हिस्से के रूप में राशन की डोरस्टेप डिलीवरी को लागू करने का निर्णय पास किया है, यह केंद्र सरकार की सभी आपत्तियों को दूर करता है। योजना की जानकारी देने के लिए 2018 से अब तक दिल्ली सरकार द्वारा केंद्र सरकार को 6 से अधिक पत्र लिखे गए हैं।
इमरान हुसैन ने कहा कि कोर्ट में चल रहे केस का हवाला देते हुए, जिसमें कोर्ट ने कोई स्टे का आदेश नहीं दिया है, ऐसी क्रांतिकारी योजना के लागू करने से रोकना यह स्पष्ट करता है कि यह निर्णय राजनीति से प्रेरित है। राशन की डोरस्टेप डिलीवरी उन गरीबों के लिए वरदान साबित होती, जो कोरोना के कारण राशन की दुकानों पर जाने या संभावित तीसरी लहर में बच्चों में वायरस के फैलने से डरते हैं। इस योजना को खारिज करना कोरोना के खिलाफ दिल्ली की लड़ाई को बहुत कमजोर करना है।
क्या है ‘घर-घर राशन‘ योजना?
इस योजना के तहत, प्रत्येक राशन लाभार्थी को 4 किलो गेहूं का आटा, 1 किलो चावल और चीनी अपने घर पर प्राप्त होगी, जबकि वर्तमान में 4 किलो गेहूं, 1 किलो चावल और चीनी उचित मूल्य की दुकानों से मिलता है। योजना के तहत अब तक बांटे जा रहे गेहूं के स्थान पर गेहूं का आटा दिया जाता और चावल को साफ किया जाता, ताकि अशुद्धियों को दूर कर वितरण से पहले राशन को साफ-सुथरा पैक किया जा सके।