पित्र सत्ता का कहर – जींस पहनने से नाराज दादा और चाचा ने 17 साल की लड़की को पीट-पीटकर मार डाला

संजय ठाकुर

देवरिया: पित्र सत्ता महिलाओं के जिस्म, उनके दिल और उनके दिमाग, तीनों पर अपना अधिकार चाहती है। यह पित्र सत्ता का शायद सबसे क्रूर चेहरा है कि पुरुषों के एक झुंड ने एक 17 साल की छोटी सी, नाज़ुक सी बच्ची नेहा को पीटकर सिर्फ इसलिए मार डाला कि वह अपनी पसंद का लिबास पहनना चाहती थी, जो कि उन पुरुषों को नापसंद था। बच्ची के पिता लुधियाना में काम करते हैं। बच्ची की मौत की खबर सुनकर आ गए हैं। पुलिस ने एफआईआर में बच्ची के घर के 10 लोगों को नामजद किया है। उनकी गिरफ्तारी की कोशिश हो रही है।  मामला जनपद के महुआडीह थाना क्षेत्र के सवरेजी खर्ग का है। पुलिस ने घटना में प्रयुक्त ऑटो को पकड़ लिया है और ऑटो चालक को हिरासत में ले लिया है।

देवरिया जनपद के  महुआडीह थाना क्षेत्र के सवरेजी खर्ग  में अमरनाथ पासवान की बेटी नेहा (17 साल) अपने दादा परमहंस के घर अपनी माँ और रिश्ते की बहन के साथ घुमने आई थी। सोमवार को शाम लगभग 7 बजे नेहा ने नहां कर जींस पहना तो दादा परमहंस ने इसके ऊपर एतराज़ जताया और कहा कि बदल कर आओ। जिसके बाद नेहा ने जींस बदलने से मना कर दिया और कहा कि सभी पहनते है और उसको अच्छी लगती है। आरोप है कि इसके बाद बच्ची नेहा के दादा का हुक्म पाकर चाचा अरविंद व उसकी पत्नी पूजा ने नेहा का गला दबा दिया, जिससे वह बेहोश हो गई। मां शकुंतला व बड़ी बहन निशा ने विरोध जताया तो आरोपितों ने धक्का देकर जमीन पर गिरा दिया। चाचा और दादा ने बच्ची नेहा को मार कर नदी में फेकना चाहा, मगर उसकी लाश नदी में ना गिरकर लोहे के पुल के एक एंगिल में फंसकर लटक गई। सुबह राहगीरों ने लाश देखकर पुलिस को खबर दी।

आप सोचे जिस माँ ने अपनी बच्ची को 9 माह कोख में रखा, जिसके एक आंसू पर वह माँ दुनिया को हिला सकती थी वह कितनी कमज़ोर उस पित्र सत्ता के सामने हो गई होगी कि उसकी बेटी को उसकी आँखों के पीट पीट कर दर्दनाक मौत दे दी गई। जिस मां की आंखों के सामने उसकी बेटी को पीट-पीटकर मार डाला गया उसकी हालत खराब है। घटना के सम्बन्ध में उस बेबस माँ ने बताया कि शाम को करीब साढ़े सात बजे बच्ची ने नहाकर जीन्स पहना तो उसे देख दादा बिगड़ गए। उन्होंने उसे फ़ौरन कपड़े बदलने का हुक्म दिया। बच्ची ने कहा कि उसे जीन्स पहनना अच्छा लगता है। दादा को यह बर्दाश्त नहीं हुआ और बेटों से कहा कि इसे मार डालो।

लड़की की मां शकुंतला ने कहा कि ”उन्होंने लाठी-डंडा, जैसे चाहा वैसे मारा। बहिनी हमारी मर गई। टेंपो बुलाकर फोन से, बहिनी को हमारी लादा, तो हमने कहा कि हमारी बेटी मर गई। कहने लगे कि थोड़ी चोट लगी है, दवा कराने ले जा रहे हैं। दवा कराने के बहाने हमारी बेटी को पटनवा पुल से फेंक दिया।”  शकुंतला ने बताया कि जब वह अपनी बच्ची के साथ जाने के लिए ऑटो में बैठने लगी तो उन्होंने उसे धकेलकर बाहर गिरा दिया। उसकी रिश्ते की बहन शशिकला ने कहा कि ”जब ऑटो में मेरी बुआ बैठने गईं तो धक्का देकर सबने नीचे गिरा दिया। उसके बाद उसको लेकर चले गए। रात को पूछा कि कहां है मेरी बेटी? तो कहने लगे कि बॉटल चढ़ रही है। सही है, वह अच्छी है। सुबह ले चलेंगे तुमको मिलवाने। फिर उसके बाद रातोंरात सारा समान लेकर सारे लोग गायब हो गए।”

शशिकला ने कहा कि ”अब तो गांव में भी चलन हो गया, सभी पहनते हैं, हर जगह। यह तो पढ़ने वाली थी, बाहर आने-जाने वाली। और वह तो यहां रहती भी नहीं थी, हम लोग के घर ही रहती थी। हम लोगों के साथ की दीदी भी पढ़ रही हैं, लिख रही हैं, हम भी करेंगे। आप लोगों की तरह ही बनेंगे। बस इन लोगों का कहना था कि हमें यहां नहीं रहना है, इस समाज में। इस समाज से बाहर निकलना है।”

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