हत्या के अनसुलझे केस क्या कभी हल हो पायेगे (भाग -3) : आखिर कब जगजाहिर होगा भेलूपुर थाना क्षेत्र में हुई विनोद गुप्ता मृत्यु का सच, जाने अनसुलझे सवाल
अब इस हत्या, आत्महत्या और दुर्घटना की गुत्थी उस कथित छापेमारी से जुडी दिखाई दे रही है। मगर उस छापेमारी में मौजूद एसआई त्रिवेणी सिंह, का0 विनीत और का0 अरविन्द ही उस रात के छापेमारी में क्या हुआ बता सकते है।
वाराणसी। वाराणसी के भेलूपुर थाने में दर्ज अपराध संख्या 25/20 आज लगभग डेढ़ साल के बाद भी अपने अनसुलझे सवालो के बीच जांच में अटका है। मृतक विनोद गुप्ता की आत्मा ही नही उसके परिजन भी उसकी मौत की गुत्थी के सुलझने का इंतज़ार कर रहे है। आज भी मृतक की पत्नी रचना गुप्ता को इंतज़ार है कि उसको मालूम चले कि उसके पति की मृत्यु कैसे हुई थी।
घटना कुछ इस प्रकार है कि दिनांक 16 जनवरी 2020 को सुबह वाराणसी हॉस्पिटल के पीछे बंद पड़े लक्ष्मी निवास के अन्दर एक अज्ञात लाश मिलने की सुचना पुलिस को मिली थी। मौके पर पहुची पुलिस बंद पड़े लक्ष्मी निवास के अन्दर से लाश को बरामद करती है जिसकी शिनाख्त नवाबगंज निवासी केबल टीवी कारोबारी विनोद गुप्ता के रूप में होती है। बंद पड़े लक्ष्मी निवास के अन्दर जाने का कोई भी रास्ता नही था। शुरू में पुलिस मामले को आत्महत्या का मान रही थी। मगर सवाल ये था कि आखिर विनोद गुप्ता आत्महत्या करने लक्ष्मी निवास के अन्दर कैसे पंहुचा। फिर मामले में ये मोड़ लाया गया कि हो सकता है कि वाराणसी हास्पीटल के छत पर जाकर विनोद गुप्ता ने बगल के मकान में छलांग लगा दिया हो। मगर पुलिस को इसका भी साक्ष्य नही मिल सका। वही विनोद गुप्ता की बाइक नवाबगज चौराहे पर लावारिस स्थिति में मिली थी जो घटना को और भी सदिग्ध बना रही थी।
इसके बाद परिजनों और मोहल्ले के लोगो के हंगामा कर दिया। मृतक विनोद गुप्ता के परिजनों का कहना था कि रात को विनोद गुप्ता द्वारा किसी पार्टी में होने की बात किया गया था। मगर उसके बाद से उनका मोबाइल स्वीच आफ हो गया और सुबह उनकी लाश मिली। पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। जिसके बाद रात को मृतक की पत्नी रचना गुप्ता के तहरीर पर नामज़द मुकदमा दर्ज होता है। जिसके बाद नामज़द युवको को पुलिस पूछताछ के लिए थाने लाती है और पूछताछ में कोई सुराग न मिलने पर उनको छोड़ दिया जाता है। एक सूत्र तो ये भी कहते है कि पुलिस तीन दिन तक लगातार इन युवको से पूछताछ कर रही थी। मगर घटना से इनकी कड़ी नही जुड़ सकी थी।
इसके बाद पुलिस के हाथ खाली हो चुके थे, जो सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आज भी खाली है। पुलिस प्रकरण में एक बार ऍफ़आर लगा चुकी है ऐसा हमको वर्त्तमान थाना प्रभारी रमाकांत दुबे ने बताया। उनका कहना है कि मगर कुछ बिन्दुओ पर रुख स्पष्ट न होने के कारण मामले की विवेचना चल रही है। जल्द ही प्रकरण में दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। ऍफ़आर की तारिख पूछने पर उन्होंने बताया कि 21 जून को ही ऍफ़आर लग गई थी। लगता है शायद तत्कालीन विवेचक थोडा जल्दी में रहे होंगे।
कथित पुलिस छापेमारी है अबूझ पहेली
इस पुरे प्रकरण में हमने मृतक विनोद गुप्ता के परिजनों से मिलने का प्रयास किया। मगर किसी से मुलाकात न हो पाई। विनोद गुप्ता की पत्नी कुछ भी इस मामले में बोलने को तैयार ही नहीं थी। पड़ोस और नवाबगंज मोहल्ले के लोगो ने हमसे दबी जबान में जो बाया वह पुलिस की एक कथित छापेमारी को संदिग्ध बनाती है। मिली जानकारी को इकठ्ठा करके उसकी ऑर छोर तलाश किया तो जो बाते निकल कर सामने आई वह पुलिस की एक छापेमारी को ही संदिग्ध बना रही है।
मृतक की पत्नी ने अपने तहरीर में ज़िक्र किया है कि उसने जब आखिर बार अपने पति से बात किया तो उसने किसी पार्टी में होने की बात कही थी। वही इस पुलिस छापेमारी के सम्बन्ध में मिली सूत्रों से जानकारी के अनुसार वाराणसी हास्पिटल के ठीक पीछे के भवन में प्रोफ़ेसर राजीव द्रिवेदी का निवास था। प्रोफ़ेसर द्विवेदी ने 15 जनवरी को रात में 112 पर सुचना दिया था कि जिस भवन में वह रहते है उसके ऊपर एक कमरे में पार्टी चल रही है और अवांछनीय तत्व यहाँ शराब पी रहे है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार और हमारी अपनी की गई खोज बीन के अनुसार इस दिन भेलूपुर थाना क्षेत्र के दुर्गाकुंड पुलिस चौकी पर फैंटम ड्यूटी पर का0 विनीत और का0 अरविन्द की ड्यूटी थी। दुर्गाकुंड चौकी प्रभारी उस समय त्रिवेणी सिंह थे। यहाँ ये बात आपको याद दिलाते चले कि इसी दिन दुर्गाकुंड चौकी इंचार्ज त्रिवेणी सिंह को तत्कालीन एसएसपी वाराणसी प्रभाकर चौधरी के द्वारा घुसखोर सिपाहियों के पर नियंत्रण न कर सकने के आरोप में लाइन हाज़िर कर दिया गया था। सूत्र बताते है कि लाइन हाज़िर हुवे दरोगा जी त्रिवेणी सिंह उस दिन काफी गुस्से में भी थे। तभी इस सुचना पर वह छापेमारी के लिए वहा गए थे ये जानकारी पुलिस सूत्र से हमको मिली।
अब छापेमारी में क्या बरामद हुआ और क्या कार्यवाही हुई ये प्रश्न काफी गंभीर और अनसुलझा है। मृतक के पत्नी की तहरीर और 112 पर गई सुचना को मिलाये तो इस बात से इनकार नही किया जा सकता है कि उस पार्टी में मृतक विनोद गुप्ता भी मौजूद था। एक तरफ जहा का0 विनीत जो अभी भी भेलूपुर थाने पर क्राइम टीम का हिस्सा है ने आफ द रिकार्ड इस छापेमारी पर हमारे प्रतिनिधि से कहा कि उस छापेमारी में कुछ लोगो को पकड़ कर थाने लाया गया था और 34 पुलिस एक्ट में कार्यवाही की गई थी। तो सवाल ये उठता है कि क्या ये कार्यवाही विनोद गुप्ता पर भी हुई थी ? वैसे हमने काफी प्रयास किया मगर थाना भेलूपुर पर हमे इस प्रकार की कोई जानकारी नही मिल सकी जो इसकी पुष्टि कर सके कि छापेमारी में किसी को थाने लाया गया था।
बाइक लावारिस मिलने की गुत्थी क्यों नही सुलझा रही है पुलिस
इस घटना में सबसे बड़ी चुक उस समय हुई थी जब घटना हुई थी। मृतक विनोद गुप्ता की बाइक नवाबगंज चौराहे पर लावारिस हाल में मिली थी। चौराहे के पास ही अन्दर रोडनुमा गली में विनोद गुप्ता का आवास है। अब सवाल ये उठता है कि अगर जिस मकान में छापेमारी हुई थी उस पार्टी में विनोद खुद भी मौजूद था तो फिर उसकी बाइक नवाबगंज चौराहे पर कैसे लावारिस स्थिति में पहुची। वही अगर विनोद उस पार्टी में नही था तो फिर लक्ष्मी निवास में उसकी लाश कैसे पहुची। वही मौके पर विनोद के पैर में पड़े जूते पर काफी मिटटी लगी हुई थी। ये बात पुलिस रिकार्ड में भी शायद दर्ज होगी और हमको इनकी जानकारी उस दिन के एक प्रातःकालीन अख़बार के माध्यम से मिली जिसने इस खबर को प्रमुखता से उठाया था।
अगर तत्कालीन विवेचक बाइक के नवावगंज चौराहे पर लावारिस स्थिति में मिलने की जानकारी को सीसीटीवी फुटेज से तलाशते तो शायद आज ये केस हल हो चूका होता। वैसे कुछ भी हो ये पुलिस छापेमारी सदिग्ध अवश्य नज़र आ रही है। अब उस पुलिस छापेमारी में क्या हुआ था ये तो उस छापेमारी में मौजूद दरोगा त्रिवेणी सिंह, थाना भेलूपुर में क्राइम ब्रांच के वर्त्तमान में सिपाही विनीत और का अरविन्द ही बता सकते है। अथवा फिर उस छापेमारी में जिनको पकड़ कर थाने लाया गया था (जैसा कि पुलिस का कहना है) वो बता सकते है। मगर छापेमारी में कुछ न कुछ तो संदिग्ध था अवश्य। शायद इसका राज़ खुले तो विनोद गुप्ता की मौत का भी राज़ खुल सकता है।
क्या कहते है ज़िम्मेदार
इस प्रकरण में हमने थाना प्रभारी और इस केस के वर्त्तमान विवेचक इस्पेक्टर रमाकांत दुबे ने हमसे बात करते हुवे बताया कि “प्रकरण में 21 जून 2020 को ऍफ़आर लग चुकी थी। मगर कुछ बिन्दुओ पर आपत्ति थी तो प्रकरण की पुनः जाँच किया जा रहा है। जल्द ही मामले का खुलासा होगा।” प्रकरण में पुलिस छापेमारी की बात पूछने पर थाना प्रभारी ने कोई स्पष्ट वक्तव्य तो नही दिया हां, दबी ज़बान से इस छापेमारी की बात को स्वीकार भी किया। वही थाने पर पुराने कोई भी पुलिस कर्मी इस छापेमारी पर कोई भी बात करने को तैयार नही है। कई परिचित चेहरे थाना भेलूपुर पर पोस्टेड है। मगर कोई भी इस प्रकरण में कुछ भी बोलने को तैयार नही है। एक ने दबी जबान से सिर्फ इतना कहा कि विनीत का दबदबा थाने पर है।