मद्रास हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी – यह आदेश “पिंजड़े में बंद तोते सीबीआई” को रिहा करने का प्रयास

तारिक खान

डेस्क। सीबीआई पिछले कुछ सालो से विपक्ष के निशाने पर है। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि सीबीआई के द्वारा विपक्ष को सरकार परेशान करती है। इसको बल इस बात से और भी मिल गया कि पिछले कुछ सालों ने सीबीआई ने विपक्ष के काफी नेताओं के खिलाफ केस दर्ज कर जांच आगे बढ़ाई है। विपक्ष अब सीबीआई पर भाजपा के नियंत्रण का आरोप लगाते हुवे “पिंजड़े का तोता” जैसे लफ्जों से नवाज़ती है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी  तो स्पष्ट रूप कहती रही हैं कि ये पीएम द्वारा कंट्रोल की जाने वाली ‘साजिश ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन’ है। इतने आरोपों से घिरी सीबीआई पर आज मद्रास हाईकोर्ट ने एक बड़ी टिप्पणी किया है।

मद्रास हाईकोर्ट ने सीबीआई को लेकर बड़ी टिप्पणी करते हुवे मंगलवार को कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो केवल संसद को रिपोर्ट करने वाला स्वायत्त निकाय होना चाहिए। कोर्ट का कहना है कि सीबीआई को सीएजी की तरह होना चाहिए जो केवल संसद के प्रति जवाबदेह है। मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करने की बात करते हुए 12 प्वाइंट्स के निर्देश में कोर्ट ने कहा, ”यह आदेश ‘पिंजड़े में बंद तोते (सीबीआई)’ को रिहा करने का प्रयास है।

बता दें कि 2013 में कोलफील्ड आवंटन मामलों की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई पर टिप्पणी की थी और उसे  “पिंजरे के तोते” के रूप में वर्णित किया था। उस समय विपक्ष में रहने वाली भाजपा ने एजेंसी पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा नियंत्रित होने का आरोप लगाया था। कोर्ट ने कहा की एजेंसी की स्वायत्तता तभी सुनिश्चित होगी, जब उसे वैधानिक दर्जा दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार को सीबीआई को अधिक अधिकार और शक्तियां देने के लिए एक अलग अधिनियम बनाने के लिए विचार करके निर्णय का निर्देश दिया जाता है, ताकि सीबीआई केंद्र के प्रशासनिक नियंत्रण के बिना कार्यात्मक स्वायत्तता के साथ अपना काम कर सके।

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