अलगाववादी विचारधारा के समर्थक और हुर्रियत (जी) के पूर्व प्रमुख गिलानी का 92 वर्ष की आयु में निधन, वर्ष 2008 से थे अपने आवास पर नज़रबंद
आफताब फारुकी
नई दिल्ली। अलगाववादी नेता और हुर्रियत (जी) के पूर्व प्रमुख सैय्यद अली शाह गिलानी का आज बुधवार देर रात निधन हो गया। वे 92 वर्ष के थे। उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी और बुद्धवार दोपहर से ही उनके सीने में जकडन थी। चिकित्सकों ने घर में ही उनकी देखभाल की। देर रात लगभग साढ़े 10 बजे उन्होंने आखरी सांस लिया। वे 2008 से लगातार हैदरपोरा स्थित आवास पर नजरबंद थे।
आईजीपी कश्मीर विजय कुमार ने बताया कि पूरी घाटी में पाबंदियां लगाने के साथ ही मोबाइल इंटरनेट सेवा स्थगित कर दी गई है। इस बीच दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग से हुर्रियत नेता तथा जम्मू-कश्मीर पीपुल्स लीग के अध्यक्ष मुख्तार अहमद वाजा को देर रात गिरफ्तार कर लिया गया। गिलानी के निधन के बाद पूरी घाटी में अलर्ट कर दिया गया। पुलिस तथा सुरक्षा बलों की संवेदनशील स्थानों पर तैनाती कर दी गई है। सभी जिलों के एसएसपी को कानून व्यवस्था बनाए रखने की हिदायत दी गई है।
गिलानी के परिवार वाले चाहते हैं कि श्रीनगर के शहीदी कब्रगाह में उन्हें दफनाया जाए, लेकिन उन्हें हैदरपोरा में दफनाए जाने की उम्मीद है। उधर, उत्तरी कश्मीर के लोगों से संयम बरतने की पुलिस ने अपील की है। लोगों से श्रीनगर की ओर न जाने की सलाह दी है। बताते चले कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जून 2020 में उन्होंने हुर्रियत (जी) के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। 29 सितंबर 1929 को सोपोर में जन्मे गिलानी पूर्व में जमात-ए-इस्लामी के सदस्य थे, लेकिन बाद में तहरीक-ए-हुर्रियत का गठन किया। वे आल पार्टीज हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन भी रहे। 1972, 1977 व 1987 में वे सोपोर से विधायक रहे।
उनके निधन पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती व पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने संवेदना प्रकट की है। महबूबा ने ट्वीट किया कि गिलानी साहब के निधन की खबर से दुखी हूं। हम ज्यादातर बातों पर सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन मैं उनकी दृढ़ता और उनके विश्वासों के साथ खड़े होने के लिए उनका सम्मान करती हूं। अल्लाहताला उन्हें जन्नत और उनके परिवार तथा शुभचिंतकों को सब्र प्रदान करें।