चरणजीत सिंह चन्नी बने पंजाब के मुख्यमंत्री, एक तीर से तीन निशाने साध कांग्रेस ने दिया विपक्षी पार्टियों को शह और मात
तारिक आज़मी
पंजाब में तीन बार से विधायक, तकनिकी शिक्षा मंत्री मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण कर लिया है। शपथ ग्रहण समारोह में खुद राहुल गाँधी भी उपस्थित थे। चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के 16वे मुख्यमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल का पहला दिन संभाल चुके है। राजनैतिक हलको में कांग्रेस के इस कदम के बाद से सियापा जैसा छाया हुआ है। कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना कर एक तीर से तीन निशाने साधे है।
गौरतलब हो कि पंजाब के बटवारे 1966 से पहले दो मुख्यमंत्री हुवे जो हिन्दू समाज से आते थे। इसके बाद सभी पार्टियों की नज़र 19% वोट बैंक वाले समुदाय सिख जाट पर पड़ी रही। इसके बाद यदि ज्ञानी जेल सिंह को छोड़ दिया जाए तो पंजाब की सत्ता पर सिख जाट समुदाय ही काबिज़ रहा है। धन और प्रतिष्ठा बल के मुद्दे हमेशा यहाँ की सियासत पर हावी रहे है। इस पुरे राज्य में कुल 32 फीसद वोटर दलित समुदाय से आते है। जो बेहद पिछड़े है। वैसे दलित समुदाय पुरे देश में ही लगभग ऐसी ही स्थिति में है। सियासी पकड़ थोडा दूर ही रही है और अधिकतर पार्टियों में दलित नेता तीसरे और चौथे पायदान पर सियासत में दिखाई देते है।
अब अगर दलित समुदाय की सियासत में इंट्री को देखे तो इसके लिए सबसे ज्यादा श्रेय कांशीराम को जाता है। मगर कांशीराम के समय में भी पंजाब में बसपा सत्ता के गलियारे तक नही पहुच पाई थी। हाँ ये बात और है कि बसपा ने उत्तर प्रदेश में अपनी पकड़ मजबूत रखा हुआ है। मगर पंजाब में इसका बहुत ज्यादा प्रभाव नही पड़ सका। दलित मुख्यमंत्री की बात पंजाब में सभी दलों द्वारा किया जाता रहा है। मगर आज तक इसको धरातल पर मूर्त रूप किसी ने नही दिया।
मायावती द्वारा अकाली दल से गठबंधन के बाद अकाली दल के तरफ से इस बात को कहा जाता रहा कि डिप्टी सीएम दलित समुदाय से होगा। वही भाजपा जो अभी तक पंजाब में लड़ाई में भी नही दिखाई दे रही है के द्वारा भी दलित सीएम बनाये जाने की बात कही गई। थोडा इससे आगे बढ़कर आम आदमी पार्टी ने नेता विपक्ष के रूप से हरपाल सिंह चीना को नियुक्त करके खुद को दलित हितैषी बताते हुवे दलित को सम्मान देने की बात कर रही थी। यहाँ ध्यान देना होगा कि मौजूदा सियासी हालात पर गौर करे तो पंजाब में कांग्रेस और आप सहित अकाली दल से त्रिकोणीय मुकाबला इस बार विधान सभा चुनावों में देखने को मिल सकता है।
अब जब चंद महीने ही चुनावों की घोषणा को बचे है तो कांग्रेस ने दलित नेता चन्नी को मुख्यमंत्री बना कर एक तीर से तीन निशाने साधे है और विपक्षी पार्टियों पर तगड़ा सियासी प्रहार कर इस बात को साबित कर दिया है कि चुनावी माहोल को भापना और उसको परखना उसे भी आ गया है। चन्नी को कैप्टन विरोधी गुट का माना जाता रहा है। इससे कांग्रेस ने दल के अन्दर भी सबक भेजा है कि वह निर्णय करने में चुक नही करेगी। दुसरे निशाने पर पंजाब के 32 फीसद दलित मत भी है, जिसको चन्नी के मुख्यमंत्री बनते ही कांग्रेस अपने खेमे में मान रही है। तीसरे पंजाब में सभी दलों की घोषणाओं पर सीधा प्रहार किया और उनके दलित मुख्यमंत्री अथवा डिप्टी सीएम बनाये जाने की घोषणाओ को भी अब ठन्डे बस्ते में डाल दिया है।