डीसीपी काशी साहब : चरस की बरामदगी और फरार अभियुक्त, कई अनसुलझे सवालों के बीच है पूरी कहानी

ए0 जावेद संग शाहीन बनारसी

वाराणसी। चौक पुलिस को एक सफलता मिलने के बाद सोशल मीडिया के फिजाओं में गुरुवार की देर रात बाते तैरने लगी। फिजाओं में तैरती हुई कहानियो को अगर आधार माने तो वाराणसी के चौक थाना क्षेत्र स्थित रेशम कटरा से पुलिस को एक स्कूटर की डिग्गी, हेड लाइट इत्यादि जगहों पर गोपनीय तरीके से छिपा कर रखी गयी एक किलो तीन सौ ग्राम चरस बरामद हुई। बताया जा रहा है कि यह गाडी पुलिस को लावारिस स्थिति में मिली है। इसकी जानकारी किसी आज्ञात सूचनाकर्ता ने पहले थाने के काशीपुरा चौकी इंचार्ज अभिनव श्रीवास्तव को प्रदान किया, फिर एसीपी को और फिर डीसीपी काशी को दिया। जिसके बाद पुलिस ने उक्त काले रंग की मैस्ट्रो को अपने कब्ज़े में लेकर तलाशी लिया और उसमे से इस “भारी मात्रा” में चरस की बरामदगी हुई। जिसकी इंटरनॅशनल मार्किट में कीमत 3 लाख आंकी जा रही है। वही मिली जानकारी के अनुसार उस गाडी को खडी करके जाते हुवे इफ्तेखार नज़र आ रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गाडी लगभग 50 घंटे से अधिक समय तक वहा खडी थी।

सोशल मीडिया के फिजाओं में तैरती इन तमाम जानकारियों ने कई बड़े सवाल पैदा कर दिए है। इनके जवाब शायद एसीपी दशाश्वमेध तलाश रहे है, मगर मिल नही रहा है। सोशल मीडिया के फिजाओं में चलते दावे जो कुछ कहा, वह वाकई कई शक पैदा कर रहा है। सबसे बड़ा शक तो उस कथित सूचनाकर्ता पर आ रहा है जिसने कॉल करके इतने गोपनीय तरीके से रखे गये मादक प्रदार्थ की जानकारी पुलिस को प्रदान किया। सवाल ये है कि इतनी गोपनीय तरीके से मादक प्रदार्थ रखा गया है, इसकी जानकरी उस सूचनाकर्ता को कैसे हुई। दूसरा सवाल ये पैदा होता है कि गाड़ी अमुक जगह लावारिस तरीके से खड़ी है। इसकी जानकरी पुलिस को मिली, कोई स्मगलर कथित रूप से करोड़ो का माल ऐसी लावारिस स्थिति में क्यों छोड़ेगा ? हम साफ़ साफ़ बताते चले कि हमे ये जानकरी सोशल मीडिया के फिजाओं में तैर रही बातो से मिली है। वैसे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बरामद चरस नेपाली चरस लग रही है। दूसरी सबसे बड़ी बात यहाँ ये है कि प्रकरण में किसी भी तरीके से इफ्तेखार को क्लीन चिट तो दिया ही नहीं जा सकता है क्योकि इफ्तेखार का पुराना इतिहास इसकी पुष्टि कर रहा है। हम इस मामले में केवल और केवल अनसुलझे सवालो को उठा रहे है. ऐसे सवाल जिनके जवाब बेशक होने ज़रूर चाहिए।

सोशल मीडिया के जो दावे चल रहे है, उसके अनुसार सूचनाकर्ता ने पहले पुलिस की अन्य इकाई को जानकारी दिया, कार्यवाही न होते देख, चौक पुलिस के काशीपुर चौकी इंचार्ज अभिनव श्रीवास्तव को फोन करके जानकारी दी। जिस पर कार्यवाही नहीं हुई तो एसीपी दशाश्वमेध, और फिर डीसीपी काशी को जानकारी दिया। इसके पहले की थोडा अगर बात करे तो इसकी जानकारी इसके पूर्व क्राइम ब्रांच को भी दी गई थी, अब यहाँ हमारे सूत्र बताते है कि क्राइम ब्रांच ने आकर इस गाडी को जो शैलेन्द्र से सम्बन्धित दिखाई दे रही है और सूचना में भी यही कहा गया था, की चारो तरफ से घूम कर जांच किया था और चली गई थी। अब सवाल ये पैदा होता है कि सूचनाकर्ता जो खुद को अब समाजसेवक बताएगा। उसको इतनी जिद्द क्या थी कि वो गाड़ी को किसी भी तरीके से पकड़वाना ही चाहती थी। अमूमन समाज हित की भावना रखने वाला सूचनाकर्ता सीधे 112 पर फ़ोन करके मामले की जानकारी दे देता है, और अपने रास्ते चल देता है। पुलिस कार्यवाही क्या करती है? कैसे करती है? कब करती है? यह बात वह पुलिस के ऊपर ही छोड़ देता है। फिर इस मामले में ये नियम कही नज़र ही नहीं आया और सूचना देने वाली इस गाड़ी को बस किसी भी तरीके से पकड़वाना चाह रही थी। जबकि अगर 112 कर सन्देश दिया जाता तो पुरे शहर का वारलेस खडखड़ा जाता और सुचना देने वाले का नम्बर भी नोट करवाया जाता। इन सूचनाओं की मानिटरिंग सीधे लखनऊ से होती है तो इसके ऊपर कार्यवाही भी होती है।

इन सब में सबसे ज्यादा अचम्भित करने वाला जो बात है, वह यह है कि संदिग्ध लावारिस ब्लैक कलर की गाड़ी के बरामद होकर थाने पहुँचने के महज़ चंद मिनटों में ही सोशल मीडिया के फिजाओं में यह जानकारी तैर गयी कि चौक पुलिस ने भारी मात्रा में मादक प्रदार्थ पकड़ा। जबकि यहां हमारे पुलिस सूत्र एक बार फिर बताते है कि तब तक उस संदिग्ध गाड़ी की तलाशी भी पूरी तरीके से नहीं ली गयी थी। साथ ही पुलिस को उस समय तक कुछ भी बरामद नही हुआ था। पुलिस गाडी की डिग्गी आदि खोलने का इंतज़ाम कर रही थी। इस इंतज़ाम में एक गाडी मैकेनिक को बुला कर उससे पूरी वीडियोग्राफी करवाते हुवे गाडी खुलवाया गया। पुलिस बेशक इस मामले में कोई रिस्क नही लेना चाहती थी, एक एक सेकेण्ड और कदम पर चौक पुलिस और एसीपी दशाश्वमेघ ने पुरे नियमो का पालन किया। अब सवाल ये उठता है कि जब पुलिस को ही बरामदगी नही हुई थी तो फिर ये जानकारी कि गाडी में मादक पदार्थ है वो सोशल मीडिया की फिजाओं को कैसे हो गयी ?

बृहस्पतिवार को देर रात लगभग 1 बजे तक चौक पुलिस फर्द बनाने में मशगुल थी। हमारे पुलिस सूत्रों के अनुसार रात 2 बजे के बाद दोनों फर्द बनाने वाले दरोगा अपने आवास पर गए। स्थानीय कोई सिपाही इसकी जानकारी नही रखता था और एसीपी दशाश्वमेघ का पूरा ध्यान इस मुद्दे पर था और वह आरोपी की गिरफ़्तारी के लिए पूरी तरह लगे हुवे थे। इस दरमियान उसी दिन अमरेश सिंह बघेल की भी गिरफ़्तारी होती है। एसीपी दशाश्वमेघ उस प्रकरण में भी लगे हुवे थे। अब स्थानीय पुलिस इस बात को लेकर अधिक परेशान है कि फिर जानकारी कैसे बाहर निकली और सोशल मीडिया की फिजाओं में ये बात कैसे आई कि अमुक गाडी में कहा कहा किस किस प्रकार से मादक पदार्थ रखा गया था ?

बहरहाल, हम यहाँ बरामदगी पर आते है। संदिग्ध काले रंग की मेस्ट्रो से एक किलो 300 ग्राम के करीब चरस बरामद हुई है। चरस के साथ सिर्फ गाडी मिली है। गाडी की स्थिति भी संदिग्ध है और गाडी चोरी की प्रतीत होती है। गाडी पर फर्जी नम्बर प्लेट है, जिसकी पुष्टि हो चुकी है। अब पुलिस इस गाडी की असलियत जानने की कोशिश कर रही है। फुटेज की अगर बात करे तो पुलिस के अनुसार फुटेज में स्पष्ट रूप से इफ्तेखार गाडी खडी करके जाता दिखाई दे रहा है। वह भी बरामदी से लगभग 50 घंटे पहले वह गाडी खडी करके गया है। गाडी को जब चौक पुलिस ने बरामद किया है तो उस पर काफी धुल जमी थी। पुलिस मामले में जाँच कर रही है। शैलेन्द्र जो अभी जेल में है का पार्टनर इफ़्तेख़ार पुत्र मुख़्तार फरार है। भुलेटन पर इसको लेकर काफी चर्चाओं का बाज़ार गर्म है। केवल इफ्तेखार ही नही बल्कि उसका बेटा सद्दाम भी फरार है। सद्दाम एक निजी बैक में नौकरी करता है। घटना के दिन से सद्दाम बैंक भी नही गया है।

कौन है इफ्तेखार जो है फरार                                

इस मामले में इफ्तेखार फरार है। इफ्तेखार सिवान के पूर्व सांसद रहे शहाबुद्दीन से करीबी सम्बन्ध रखता है इसकी जानकारी सूत्रों ने हमको प्रदान किया है। शाहबुद्दीन कोरोना से मृत्यु के पूर्व तिहाड़ में बंद था। बताया जाता है कि इफ्तेखार की पत्नी बानो शहाबुद्दीन के सबसे करीबी कुख्यात अपराधी “हाजी” की सगी बहन है। हाजी कई मामलो में जेल जा चूका है और सिवान में उसका अपना ही दबदबा है। हाजी से सगे करीबी सम्बन्ध होने के कारण इफ्तेखार दबंगई से रहता है। सूत्र बताते है कि रिजवान अत्ता जैसे कुख्यात तस्करों का भी इफ्तेखार साथी रह चूका है। इसमें कोई दो राय नही कि इफ्तेखार एक कुख्यात, दबंग और अपराधिक प्रवित्ति का व्यक्ति है और अभी फरार है। उसकी फरारी इस बात के तरफ इशारा करती है कि इफ्तेखार की इस स्मगलिंग में भूमिका बेशक संदिग्ध है। मगर सवाल काफी अनसुलझे आज भी है।

बड़े नामो का करीबी रहा है इफ्तेखार

सूत्रों की माने तो कभी रईस बनारसी जैसे कुख्यातो के साथ नाम जुड़े होने के कारण चर्चा में रहने वाले एक बिल्डर का इफ्तेखार कभी साझेदार कुछ साईट में रहा है। वही सिर्फ इफ्तेखार ही नही बल्कि शैलेन्द्र भी उसकी साईट में साझेदार और कभी फायनेंसर के तौर पर रहा है। सूत्र बताते है कि बिल्डर से लेंन देंन के मामले में उसका विवाद भी कुछ समय से चल रहा है। वही इफ्तेखार के परिजनों का आरोप है कि कुछ तथाकथित सफ़ेदपोश इफ्तेखार को झूठे मामले में फ़साने का षड़यंत्र रच चुके है। मगर इस बात पर एक और शंका बलवती होती है कि अगर इफ्तेखार को फ़साने का षड़यंत्र है तो फिर इफ्तेखार कैसे सीसीटीवी फुटेज में गाडी खडी करके जाता दिखाई दे रहा है जैसा पुलिस बता रही है। बहरहाल इसको जानने के लिए अदालत है। मगर वर्त्तमान में सफ़ेदपोशो के खुलासे में पुलिस लगी है और इफ्तेखार के गिरफ़्तारी का प्रयास कर रही है। वही इफ़्तेख़ार ने अदालत में सरेंडर अप्लिकेशन डाला है ऐसा हमारे सूत्र हमको बता रहे है। दूसरी तरफ पुलिस कई सफ़ेदपोशो का भी नया पुराना रिकार्ड खंगाल रही है। धर्म की नगरी में ऐसे अधर्म के कार्यो की बेशक कोई जगह नही है। चौक पुलिस मामले में हर एक पहलू से जाँच कर रही है। बारीक निगाह हर एक बिंदु पर रखा जा रहा है।

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