शाइन सिटी घोटाला : अगर पुलिस पहले होती गम्भीर तो रुक सकता था यह घोटाला

तारिक़ खान संग शाहीन बनारसी

उत्तर प्रदेश ही नही बल्कि झारखंड और बिहार जैसे राज्यों में आम सीधी-साधी और भोली-भाली जनता का अरबो रूपये ठगी करके फरार होने वाले राशिद नसीम और उसके भाई के सहयोगियों पर पुलिस सख्त है। मगर यहां सवाल एक और भी बड़ा गम्भीर है कि अगर पुलिस समय रहते शाइन सिटी प्रकरण में गंभीरता दिखाती तो शायद राशिद नसीम इतना बड़ा घोटाला नहीं कर पाता। आज भी जितना गम्भीर शाइन सिटी प्रकरण में वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस गम्भीर है उतनी गंभीरता अन्य किसी जनपद के पुलिस ने नहीं दिखाई है। राशिद नसीम और उसका भाई आसिफ नसीम ठगी का पैसा लेकर देश छोड़ कर फरार है।

हकीकत ये है कि मामला ईओडब्ल्यू को ट्रांसफर होने के बाद जब हाईकोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लिया तब जाकर पुलिस की नींद टूटी। इसके बाद प्रदेश भर में अभियान चलाकर मुकदमों में वांछित आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। यही नहीं निदेशक राशिद नसीम व उसके भाई आसिफ नसीम पर पांच-पांच लाख जबकि तीन अन्य पर एक-एक लाख का इनाम घोषित किया गया। दोनों भाई देश छोड़कर भाग निकले हैं जबकि वांछित नैनी निवासी जसीम घर छोड़कर फरार है।

अरबों का घोटाला करने वाले शाइन सिटी के मालिकों व कर्मचारियों के मददगारों की फेहरिश्त में अभी अन्य नाम भी शामिल हैं। इनमें पुलिसकर्मी ही नहीं बल्कि कुछ अफसरो की भी भूमिका संदिग्ध हो सकती है। मामला हाईप्रोफाइल होने की वजह से ऐसे सभी लोग रडार पर हैं, गोपनीय तरीके से इनकी जांच कराई जा रही है। माना जा रहा है कि जांच में कुछ सफेदपोश चेहरे भी बेनकाब होंगे।

अगर प्रयागराज पुलिस की कार्यवाही पर नज़र उठाकर देखे तो शाइन सिटी के निदेशक समेत पांच लोगों पर दर्ज मुकदमे में लापरवाही बरतने के आरोप में सिविल लाइंस थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर रविंद्र प्रताप सिंह का सस्पेंड किया गया था। साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच के भी आदेश दिए गए है। निलंबन की कार्यवाही के पीछे आधिकारिक वजह तो मुकदमे के पर्यवेक्षण में लापरवाही बताई गई है लेकिन सूत्रों का कहना है कि  आरोपियों पर कार्रवाई करने में की गई कोताही इंस्पेक्टर के निलंबन का मूल कारण बनी।

इस मामले में तत्कालीन विवेचक राजेश कुमार सिंह के निलंबन की संस्तुति करते हुए भी रिपोर्ट भेजी गई है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि घोटालेबाजों पर मेहरबानी करने वालों में और भी नाम शामिल हैं। जांच निष्पक्ष तरीके से हुई तो इनके चेहरों का बेनकाब होना तय है। जिसमें न सिर्फ पुलिसकर्मी बल्कि अफसर भी रडार पर हो सकते है। दरअसल न सिर्फ स्थानीय थाने बल्कि विवेचना क्राइम ब्रांच को स्थानांतरित होने के बाद भी कार्यवाही काफी समय तक लंबित रही। ऐसे में क्राइम ब्रांच के विवेचक की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। अब देखना होगा कि शाइन सिटी प्रकरण में कितने सफेदपोश नाम सामने आते है। शायद अभी बहुत कुछ खुलना बाकी है। आज नहीं तो कल राशिद नसीम और आसिफ नसीम भी पुलिस की गिरफ्त में आयेंगे।

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