मेहनत और जज़्बे को सलाम : सब्जी बेच कर बेटी को बना दिया डिप्टी कलेक्टर
शाहीन बनारसी
जांजगीर/डभरा। जब कुछ कर जाने का जूनून इंसान ठान लेता है तो वह कर ही दिखाता है और कुछ करने के लिए मेहनत और जज़्बे की जरुरत होती है। मेहनत अमीरी या गरीबी नहीं देखती बल्कि जज्बा और जूनून देखती है और ज़िन्दगी में सब कुछ मेहनत से ही हासिल होता है। अपने मेहनत से ऐसा ही कुछ कर दिखाया है डभरा ब्लाक की बेटी पिंकी ने। पिंकी एक गरीब घर की बेटी है। जिसके पिता बाज़ार में घूमकर सब्जी बेचा करते है। पिता अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए खून-पसीना बहाकर मेहनत करते थे और उनकी मेहनत उस वक्त रंग लाई जब पिंकी ने पहले ही प्रयास में डिप्टी कलेक्टर बनकर न केवल गांव का नाम रोशन किया है बल्कि यह साबित कर दिया है कि मन में ठान लें तो हर मंजिल तक पहुंचा जा सकता है।
सपने को पूरा करने के लिए पिता और बेटी ने जी तोड़ मेहनत की है और ये दिखा दिया कि मेहनत से ही सबकुछ हासिल होता है। पिंकी ने ये भी साबित किया कि सरकारी स्कूल की पढ़ाई में भी उतना ही दम है। जितना बड़ी इमारतों वाली हाईक्लास के स्कूलों में। बचपन से ही छोटे से गांव धुरकोट के हाईस्कूल में पढ़ाई करने के बाद बिलासपुर के गल्र्स कालेज में पिंकी मनहर ने ग्रेजुएट किया। ये बेटी का जज़्बा और जूनून ही था कि उसने मन में ठान लिया कि उसे कुछ कर दिखाना है।
दो साल तक लगातार सीजीपीएससी की तैयारी करती रही और पहले प्रयास में वह आबकारी सब इंस्पेक्टर बनी, लेकिन इस पद से वह संतुष्ट नहीं हुई। फिर लगन से पढ़ाई कर दूसरी बार में ही डिप्टी कलेक्टर बन गई। 29 अक्टूबर को जब सीजीपीएससी का रिजल्ट निकला तो उसके घर में बधाई देने वालों का तांता लग गया। पिंकी को विश्वास नहीं हो रहा था कि वह अब डिप्टी कलेक्टर बन चुकी है और नीली बत्ती वाली गाड़ी में बैठेगी। पिंकी ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता व गुरुजनों को दिया है। पिंकी ने कहा कि उसके पिता चाहते थे कि उनके खून-पसीने का पैसा व्यर्थ नहीं जाएगा और हुआ भी वही।
पिंकी ने बताया कि उसने पहले से ही मन में ठान लिया था कि उसे कुछ कर दिखाना है। वह धुरकोट गांव में इतने बड़े पद पर नौकरी करने वाली अकेली लड़की है जो डिप्टी कलेक्टर बनी है। उसने बताया कि लड़कियां आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहीं हैं। वह लड़कियों के लिए यह संदेश देना चाह रही है कि हर लड़कियां अच्छे से पढ़ाई करे और सेल्फ डिपेंड हों, ताकि माता पिता का नाम रोशन हो सके। पिंकी मनहर ने कहा कि वह हर रोज 7 से 8 घंटे पढ़ाई करती थी।
उसने पहले से ही सोच लिया था कि हर हाल में उसे प्रशासनिक अफसर बनना है। चाहे उसे जितनी भी पढ़ाई करनी पड़े। खास बात यह है कि उसके पिता केवल खेतों में सब्जी उगाकर बमुश्किल 10 से 12 हजार रुपए कमाते हैं और इतनी रकम में 3-4 हजार रुपए बचाकर अपनी बेटी पिंकी को देते थे। इतने कम खर्च में पिंकी ने यह मुकाम हासिल कर लिया। पिता के साथ-साथ बेटी ने भी खूब मेहनत की। पिता और बेटी के इस जज़्बे को सलाम।