गंगा स्नान पर श्रद्धालु महिला पुरुषों ने स्नान के बाद किया पूजा-पाठ व दान पुण्य
सरताज खान
लोनी। हिंदू समाज के बीच एक विशेष महत्व रखने वाले कार्तिक माह के गंगा स्नान पर गुरुवार के दिन आस्थावानो ने अपनी सुविधानुसार विभिन्न स्थानों पर पहुंचकर डुबकी लगाई या अपने घरों में रहकर ही ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के उपरांत विधिवत रूप से पूजा-अर्चना की तथा अपनी सामर्थ्यनुसार दान किया। इसके अतिरिक्त पूरे माह तारों की छांव में स्नान कर पूजा- पाठ करने वाली श्रद्धालु महिलाओं ने मंदिरों में एकत्रित होकर पूजा एवं यज्ञ का आयोजन किया तथा इस मौके पर वहा के पंडित/पुजारी की मुख वाणी से कथा वाचन का सरवन करते हुए धर्म लाभ उठाया।
शास्त्रोंनुसार कार्तिक मास के स्नान का काफी महत्व बताया गया है जिसका पूरा महीना ही पूजा पाठ, दान, तप, स्नान आदि के लिए महत्वपूर्ण होता है। कार्तिक के पूरे महीने स्नान कर पूजा-पाठ करने का विधान होता है जिसके प्रति खास तौर पर महिलाएं अधिक श्रद्धा रखती हैं। लेकिन कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करने का विशेष महत्व होता है। आज होने वाला गंगा स्नान तिथियों के फेरबदल के चलते बहुत से आस्था वान लोगो द्वारा 18 नवंबर को भी किया गया। आम नागरिक स्नान के लिए अपनी सुविधानुसार जहां हरिद्वार, गंगा जी आदि धार्मिक स्थलों पर पहुंचे वहीं दूसरी ओर नागरिकों ने अपने घरों में रहकर ही स्नान किया और श्रद्धा पूर्वक पूजा करते हुए अपनी समर्थनुसार विभिन्न सामग्री, नगदी व दीपदान किया।
वहीं दूसरी ओर स्नान के उपरांत क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों में एकत्रित होने वाली महिलाओं ने भी पूजा-पाठ करने के साथ-साथ वहा आयोजित यज्ञ में घी, सामग्री आदि की आहुति देते हुए अपनी श्रद्धा भाव का परिचय दिया। इस धार्मिक मौके पर बात गुलाब वाटिका स्थित प्राचीन शिव मंदिर की करें तो वहा पं0 श्री विनय कुमार शास्त्री ने विधिवत पूजा पाठ और यज्ञ आयोजन के उपरांत एकत्रित श्रद्धालु महिला व पुरुषों को कार्तिक माह की कथा सुनाते हुए उसके महत्व का ज्ञान प्रदान किया। उन्होंने अपनी मुख वाणी से ज्ञान की अमृत वर्षा करते हुए बताया कि कार्तिक स्नान करने वाला व्यक्ति अपने जीवनकाल में सभी सुखों का भोग करता है, उसे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
वैसे तो कार्तिक पूर्णिका के दिन गंगा स्नान करने की परंपरा है, लेकिन अगर आप गंगा स्नान करने में असर्मथ हैं तो आप पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं या किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं। इस दिन सूर्योदय पूर्व किए गए स्नान से एक हजार बार गंगा स्नान के बराबर फल मिलता है। उन्होंने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा स्नान के उपरांत दीपदान जरूर करें और राधा-श्रीकृष्णा की पूजा के बाद अपनी समर्थनुसार दान भी जरूर करें क्योंकि इस दिन स्नान के बाद दिए गए दान से दोगुना पुण्यफल प्राप्त होता है। हो सके तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी जरूरतमंद को भोजन अवश्य कराएं।