शर्मनाक नही तो और क्या कहेगे?: तीन सगी बहनों ने कल दिया था ट्रेन के आगे आकर जान, दाने दाने को मोहताज परिवार ने तीनो का एक ही चिता पर किया अंतिम संस्कार, किसी जन प्रतिनिधि ने नही लिया सुध
ए जावेद / अनुराग पाण्डेय
जौनपुर। इसको शर्मनाक नही तो और क्या कहेगे आप ? कल तीन सगी बहनों ने अपने माँ की डांट से नाराज़ होकर ट्रेन के आगे आकार जान दे दिया था। इस घटना की जानकारी होने के बाद पुरे गाँव में शोक का सन्नाटा बिखरा हुआ है। दूसरी तरफ दाने दाने को मोहताज इस परिवार ने आज पोस्टमार्टम होने के बाद आई लाशो का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया। इस दरमियान सियासत यहाँ पूछने तक नही आई। कोई भी जनप्रतिनिधि ने इस दुखियारे गरीब परिवार से मुलाकात तक नही किया।
ट्रेन के आगे कूदकर खुदकुशी करने वाली तीन सगी बहनों का अंतिम संस्कार आज शनिवार को रामघाट पर किया गया। दाने-दाने के लिए मोहताज परिवार के पास दाह संस्कार तक के लिए पैसा नहीं था। फिर तीन अलग अलग चिता कैसे ये परिवार सजाता। आखिर मज़बूरी में तीनो शवो को एक ही चिता नसीब हुई। इतना ही नहीं, जिम्मेदारों ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। परिवार दाने दाने की मोहताजी झेल रहा है। एक चिता का भी इंतज़ाम रिश्तेदारी ने मिल कर किया था। फिर एक ही चिता पर तीनों का शव रखकर अंतिम संस्कार किया गया। भाई गणेश ने मुखाग्नि दी तो मौजूद रिश्तेदारों की आंखें नम हो गईं।
गौरतलब हो कि महराजगंज थाना क्षेत्र के अहिरौली गांव निवासी निवासी प्रिती (16), आरती (14) और काजल (11) ने बदलापुर थाना क्षेत्र के फत्तूपुर रेलवे क्रासिंग पर गुरुवार रात ट्रेन के आगे कूदकर खुदकुशी कर ली थी। शुक्रवार को शवों का पोस्टमार्टम किया गया। गरीबी का आलम ये रहा कि परिजनों के पास शवों के घर ले जाने के लिए भी पैसे नहीं थे। परिवार से जुड़े लोगों के मुताबिक रिश्तेदारों की मदद से 600 रुपये में एक एंबुलेस तय हुई। शनिवार को शवों को रामघाट ले जाया गया। जहां रिश्तेदारों ने लकड़ी की व्यवस्था की और एक ही चिता पर तीनों सगी बहनों का अंतिम संस्कार किया गया।
सबसे शर्मनाक ये बात रही कि तीन तीन मौत एक ही परिवार में होने के बाद भी गांव में कोई जनप्रतिनिधि शोक जताने नहीं पहुंचा। दूसरी ओर नेत्रहीन मां आशा देवी अपनी बेटियों के लिए तड़प रही थीं। बहन रेनू और ज्योति का रो-रोकर बुरा हाल है। मौके पर पहुचे मीडिया कर्मियों से बात करते हुवे रेनू यह बताते हुए रो पड़ी कि कुछ दिन पहले बहन प्रीती ने मुझे फोन किया था। बता रही थी कि घर में दाना-पानी और एक फूटी कौड़ी नहीं है। कैसे पांच परिवार की व्यवस्था की जाए। वह यह बताते हुए रो रही थी। कह रही थी कि मां अंधी है, किसके घर मजदूरी कंरू। वहीं दूसरी बहन ज्योति ने कहा कि हमसे बात ही नहीं होती थी। कभी-कभी हालचाल चचेरे भाई महेंद्र द्वारा मिल जाता था।
मामला मीडिया में आने के बाद जब मीडिया कर्मियों ने प्रशासनिक अमले से फोन पर बयान लेना शुरू किया तो अचानक प्रशासनिक स्तर पर हडकंप जैसी स्थिति महकमे में पैदा हो गई। जिसके बाद पीड़ित परिवार के घर संवेदना जताने पहुंचे महराजगंज के खंड विकास अधिकारी शशिकेश सिंह ने एक बोरी अनाज, कंबल व कुछ नकद सहायता दी। उन्होंने ग्राम प्रधान राकेश वर्मा व ग्राम पंचायत अधिकारी को मृत किशोरियों की मां आशा देवी को स्वीकृत आवास का छत शीघ्र बनवाने का निर्देश दिया। कार्यवाहक एडीओ (पंचायत) विजयभान यादव ने बताया कि आशा देवी के परिवार को लाल कार्ड देने का प्रस्ताव ग्राम पंचायत की बैठक में पारित कर भेजा जा चुका है।
मृत किशोरियों की मां आशा देवी का कृषि योग्य भूमि का पट्टा दिया जाएगा। इसके लिए प्रशासनिक स्तर से कवायद भी शुरू हो गई है। शनिवार को एसडीएम लाल बहादुर अहिरौली के दलित बस्ती में पहुंचे। आशा देवी की दयनीय हालत देखकर कुछ आर्थिक सहयोग किया। साथ कृषि योग्य भूमि देने का भी आश्वासन दिया। अधूरे पीएम आवास को अतिशीघ्र पूरा कराने व नि:शुल्क राशन अंत्योदय कार्ड जारी करने का निर्देश भी दिया। संबंधित कानूनगो हल्का लेखपाल संदीप जायसवाल को कृषि आवंटन के लिए फाईल तैयार करने को कहा।