सुपर स्टार शाहरुख़ खान पुत्र आर्यन खान क्रूज़ ड्रग्स मामले में बाम्बे हाई कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने एनसीबी की जवाबदेही हेतु उठाई मांग, कहा साबित हुआ कि अवैध थी हिरासत
आदिल अहमद
डेस्क। बालीवुड सुपर स्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान और दो अन्य आरोपितों को क्रूज ड्रग्स पार्टी मामले में जमानत देने का बांबे हाई कोर्ट का विस्तृत फैसला कल शनिवार को सार्वजनिक कर दिया गया। अपने फैसले में हाई कोर्ट ने कहा कि आर्यन और दो अन्य आरोपितों के खिलाफ पहली नजर में ड्रग्स पार्टी को लेकर साजिश रचने के सुबूत नहीं हैं। अब इस मामले में कांग्रेस ने एनसीबी को जवाबदेह बनाने की मांग किया है। कांग्रेस ने कहा है कि एजेंसियों और अधिकारियों को दंडित करने का प्रावधान किया जाना चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बांबे हाई कोर्ट की टिप्पणी स्पष्ट और न्यायसंगत है। आर्यन खान को एनसीबी की मनमानी के चलते गैरजरूरी ढंग से 25 दिन जेल में रहना पड़ा। यह पूरी तरह से कानून का दुरुपयोग था। कानून को अब दोषी अधिकारियों के खिलाफ अपना काम करना चाहिए। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कहा कि हाई कोर्ट ने माना कि आर्यन के खिलाफ साजिश रचने का कोई सुबूत नहीं है। अब गलत गिरफ्तारी, अनुचित हिरासत और गलत अभियोग के मामलों में एजेंसियों को जवाबदेह बनाने की जरूरत है। उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान किया जाना चाहिए। एजेंसियां कानून का अपने मतलब के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकती हैं।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने इस फैसले पर वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्य सभा सदस्य महेश जेठमलानी से प्रतिक्रिया लिया है। हाई कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सदस्य महेश जेठमलानी ने कहा कि आर्यन और अन्य के खिलाफ मामले को पूरी तरह बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। इससे संदेह पैदा होता है कि आरोपियों से वसूली का प्रयास किया गया होगा।
वही इस मामले में एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े विवादों के घेरे में हैं। उन पर वसूली की कोशिश का आरोप लगा है। विवाद के चलते उन्हें इस केस से हटा दिया गया। वहीं, एनसीपी नेता नवाब मलिक पिछले कुछ समय से लगातार वानखेड़े के खिलाफ नए दावे व खुलासे कर रहे हैं। नवाब मलिक, समीर वानखेड़े के मुस्लिम होने का दावा कर प्रमाणपत्र सामने ला चुके हैं। उनका कहना है कि वानखेड़े ने नौकरी की खातिर आरक्षण पाने के लिए खुद को हिंदू बताया। ये मामला अब अदालत भी पहुंच चुका है।
गौरतलब हो कि जस्टिस एनडब्ल्यू सांब्रे की एकल पीठ ने 28 अक्टूबर को आर्यन खान, उनके मित्र अरबाज मर्चेट और फैशन माडल मुनमुन धमेचा को एक-एक लाख रुपये के निजी बांड पर जमानत दी थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आर्यन के फोन की चैटिंग में कुछ भी आपत्तिजनक सामग्री नहीं है। इसे पढ़ने के बाद ऐसा नहीं लगता कि आर्यन, मर्चेट और धमेचा ने अपराध के लिए कोई साजिश रची होगी।
अदालत ने यह भी कहा कि एनसीबी द्वारा एनडीपीएस अधिनियम की धारा 67 के तहत रिकार्ड किए गए आर्यन के बयान को सिर्फ जांच के उद्देश्य से देखा जा सकता है। इससे यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि आरोपित ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत कोई अपराध किया है। एनसीबी की दलीलों को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि रिकार्ड पर मुश्किल से ऐसा कोई साक्ष्य उपलब्ध है, जिससे अदालत यह मान ले कि सभी आरोपित गैरकानूनी गतिविधि को अंजाम देने पर सहमत हो गए। एनसीबी ने अपनी दलील में कहा था कि सभी आरोपितों को एक साथ समझा जाना चाहिए।