तिवारी परिवार के ज़रिये सपा ने साधा ब्राहमण मतो पर निशाना, बसपा को बड़ा झटका, बोले कुशल तिवारी, पूर्वांचल के लोग बोरिया बिस्तर समेट देते है, जाने पूर्वांचल की सियासत में “हाता” और “फाटक” की अहमियत
तारिक़ आज़मी
गोरखपुर के चिल्लूपार से विधायक और बसपा से निष्कासित विनय शंकर तिवारी आज सपा में शामिल हो गए। उनके भाई कुशल तिवारी ने भी लखनऊ में सपा की सदस्यता ली। विनय शंकर तिवारी की नजर में अखिलेश विकास का चेहरा हैं। विनय और कुशल पूर्वांचल के बाहुबली और पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के बेटे हैं। पूर्वांचल की सियासत में हाता और फाटक का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। गोरखपुर की सियासत में हाता हरिशंकर तिवारी की सियासी पैठ को बताने के लिए काफी है।
पूर्वांचल में बड़ा रसूख है “हाता” का
भाजपा की सरकार बनते ही बाहुबली के खिलाफ 22 अप्रैल 2017 को योगी सरकार ने उनके घर “तिवारी हाता” पर जांच बैठा दी थी। गोरखपुर के आला अधिकारियो ने 22 रिमाइंडर दिए थे, फिर भी जांच दो साल से अधिक समय से पेंडिंग ही रही। कोई अधिकारी विवेचना की हिम्मत नहीं जुटा सका था। ये घटना आपको बताने का मकसद केवल हाता की पूर्वांचल की सियासत में अपनी पैठ बताने के लिए है। आप समझ सकते है कि
वही मुहमदाबाद (गाजीपुर) का फाटक अंसारी परिवार की सियासत में पैठ बताने के लिए काफी है। अंसारी परिवार की पकड़ केवल गाजीपुर ही नही बल्कि मऊ और बलिया में भी मजबूत है। वही हाता यानी तिवारी परिवार की पैठ गोरखपुर ही नही बल्कि आसपास के जनपदों में भी काफी मजबूत है। अब लगभग 14 साल के बाद एक बार फिर हाता ने सायकल की सवारी कर लिया है। इस परिवार की सियासी गतिविधियों पर सत्ता पक्ष भाजपा की भी नज़र रही। वही बसपा को ये एक बड़ा झटका है। दूसरी तरफ सपा ने तिवारी परिवार को अपने पाले में करके ब्राह्मण मतो पर भी बड़ी पकड़ मजबूत किया है।
14 साल बाद दुबारा हुई सायकल की सवारी
वर्ष 2007 में जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे, तब हरिशंकर तिवारी लोकतांत्रिक कांग्रेस के अध्यक्ष थे। सहयोगी दल के रूप में सरकार में शामिल हुए और कैबिनेट मंत्री बने थे। गणेश शंकर पांडेय ने सपा की सदस्यता ली थी और स्थानीय निकाय का चुनाव सपा से लड़कर जीते थे। अब गणेश शंकर पांडेय और हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटे विनय शंकर और भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी रविवार आज सपा में शामिल हो गये है। इस तरीके से अगर देखे तो पूर्वांचल के ब्राहमण मतो में तगड़ी पैठ रखने वाले तिवारी परिवार को साथ लेकर सपा ने बड़ा सियासी दाव खेला है। यहाँ ध्यान देने वाली बात ये भी है कि तिवारी परिवार का केवल ब्राहमण मतो पर ही नियंत्रण नही है बल्कि मुस्लिम मतदाता भी तिवारी परिवार की इज्ज़त करते है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री हरिशंकर तिवारी की सियासत में आमद बाहुबली ब्राहमण नेता के रूप में हुई थी। उनकी पूर्वांचल के ब्राह्मण समाज में अच्छी पैठ मानी जाती है। पूर्वांचल में उन्हें कभी ब्राह्मण चेहरे के तौर पर देखा जाता था। यही वजह है कि सरकारें किसी भी दल की बनती थीं, हरिशंकर तिवारी का मंत्री बनना तय होता था। वर्ष 2007 में राजेश त्रिपाठी से चुनाव हारने के बाद हरिशंकर तिवारी ने राजनीति से संन्यास ले लिया था। मगर उनकी विरासत को उनके छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी ने संभाल रखा है। इस परिवार की सियासी पकड़ केवल इसी बात से समझ सकते है कि वर्ष 2017 में जब भाजपा की प्रचंड लहर थी, उस समय हाता परिवार ने अपना दमखम दिखाया और चिल्लूपार विधानसभा सीट से विनय शंकर चुनाव जीता।
वहीं, हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी संतकबीरनगर संसदीय क्षेत्र से दो बार सांसद रह चुके हैं। जबकि, गणेश शंकर पांडेय गोरखपुर-महराजगंज से स्थानीय निकाय का चुनाव चार बार जीत चुके हैं। बसपा की सरकार में वे विधान परिषद के सभापति बनाए गए थे। तीनों नेता अभी तक बसपा में थे, लेकिन इनके सपा में जाने की चर्चा के बाद बसपा ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था। अब सपा को इस ब्राहमण चेहरे के मिलने पर बड़ा सियासी लाभ मिलने की पूरी उम्मीद बन गई है।
पूर्वांचल के लोग बोरिया बिस्तर समेट देते है : कुशल तिवारी
बसपा से पूर्व सांसद और हरिशंकर के बेटे कुशल तिवारी ने कहा कि पूर्वांचल की भाषा भोजपुरी है- ‘यह मीठी भाषा है, इसमें केमिकल डाल कर जहरीला नही करना चाहिए। पूर्वांचल के लोग बोरिया बिस्तर समेट देते हैं। इस बार पूर्वांचल भाजपा का बोरिया बिस्तर समेट देगा। यह सरकार जोर-जबरदस्ती और विज्ञापन से चल रही है’। उनका कहना है कि बीजेपी सरकार में पंडितों पर शोषण बढ़ा है। योगी आदित्यनाथ उनके परिवार से निजी दुश्मनी निकालते हैं। तिवारी हाता पर छापा मारकर परिवार को पुलिस ने परेशान किया। साल 2012 से 2017 तक चली सपा की सरकार में जितना काम हुआ वह पहले या बाद में नहीं हुआ। दूसरी ओर वसपा के लोग उनका साथ छोड़ रहे हैं, जिसके लिए मायावती खुद जिम्मेदार हैं।