अपर पुलिस कमिश्नर आईपीएस सुभाष चन्द्र दुबे ने वृद्धाश्रम में बुजुर्गो और अंध विद्यालय के बच्चो संग मनाया अपना जन्मदिन
तारिक़ आज़मी
वाराणसी। अपर पुलिस कमिश्नर सुभाष चन्द्र दुबे ने आज अपने जन्मदिन को वृद्धाश्रम के बुजुर्गो और अंध विद्यालय के बच्चो के साथ मनाया। बिना कैमरों की चमक, बिना किसी मीडिया कवरेज के अपर पुलिस अधीक्षक आज शाम ढले अपने मतहतो के साथ वृद्धाश्रम पहुचे और रहा रहने वाले बुजुर्गो के साथ अपना जन्मदिन मनाया। इसके बाद वहां से वह पास ही अंध विद्यालय गये जहाँ नेत्रहीन बच्चो के साथ अपने यौम-ए-पैदाईश की खुशियाँ मनाई।
इस अवसर पर वृद्धाश्रम में अपर पुलिस कमिश्नर सुभाष चन्द्र दुबे ने बुजुर्गो के साथ काफी वक्त गुज़ारा। उनके साथ अपने जन्मदिन की खुशियों को मनाया। इस मौके पर अपर पुलिस कमिश्नर सुभाष चन्द्र दुबे ने वृद्धाश्रम में रहने वालो के लिए मिठाई, फल, मेवे, खाने, और कपडे उपहार स्वरुप दिए। ये उपहार पाकर बुजुर्गो के चेहरे पर मुस्कान आई। उनकी आँखों में उठी चमक शायद कह रही थी। “जुग-जुग जियो, साहब आप।” बुजुर्गो के साथ बैठ कर कुछ लम्हे भी आईपीएस सुभाष चन्द्र दुबे ने बिठाये। इस दरमियान न मीडिया को इस कार्यक्रम की जानकारी थी और न ही मीडिया के कैमरे अपनी चमक बिखेर रहे थे।
हमने देखा कि जितनी ख़ुशी बुजुर्गो के चेहरे पर थी, उतना ही सुकून सुभाष चन्द्र दुबे के आँखों में था। वह एक एक बुज़ुर्ग को अपने हाथो से उपहार दे रहे थे। कुछ बुज़ुर्ग उनमे भावुक भी हो गए। उन लोगो को उन्होंने तसल्लीबक्श लफ्ज़ भी अदा किये। सुभाष चन्द्र दुबे खुद चल कर एक एक बुज़ुर्ग के पास जाते और अपने साथ लाये गए उपहार उनको देते। इस मौके पर ख़ास तौर पर बुजुर्गो के लिए “सुगर फ्री” मिठाई वह अपने साथ लेकर गए थे। उन बुजुर्गो के सेहत का ख्याल करते हुवे उन्हें मिठाई खिलाते। बुजुर्गो के चेहरे पर एक दिलकश सुकून दिखाई दे रहा था। वही उससे ज्यादा सुकून आईपीएस सुभाष चन्द्र दुबे के आँखों में था।
काफी वक्त वहा गुज़ारने के बाद वह अंध विद्यालय पहुचे। वहा नाबीना (नेत्रहीन) छात्रो को जब पता चला कि उनके बीच वाराणसी के अपर पुलिस कमिश्नर सुभाष चन्द्र दुबे आये है तो उन्होंने “हैप्पी बर्थ डे सर” कहकर उनका स्वागत किया। अपने चेहरे पर चिर परिचित मुस्कराहट लिए सुभाष चन्द्र दुबे ने सभी नेत्रहीन छात्रो को मिठाई, फल, चाकलेट्स आदि का वितरण किया। इस दरमियान आईपीएस सुभाष चन्द्र दुबे ने उनसे बात चीत भी किया। उनकी चल रही पढाई के सम्बन्ध में जाना और उनके उज्जवल भविष्य की कामना किया। कुछ वक्त बच्चो के साथ बिता कर सुभाष चन्द्र दुबे अपनी गाडी से रवाना हो गये।
बेशक हम अपनी खुशियों को अपने अपनों के बीच तक ही महदूद (सीमित) रखते है। अगर कोई समाज से जुड़े इन कामो को करता भी है तो पहले मीडिया कवरेज का इंतज़ाम कर लेता है। मगर यहाँ तो स्थिति ये थी कि न मीडिया को जानकारी और न कोई हो हल्ला। सीधे सादगी से सिविल ड्रेस में आईपीएस विकास चन्द्र दुबे अपनी खुशियों में चार चाँद लगाने यहाँ पहुच गए थे। हमारा गुज़र उधर से हो रहा था तो उनकी गाडी देख हम रुक गए। उसी वजह से दो चार तस्वीरे भी हमको मिल गई। शायद अपने इस सामाजिक कार्यो का प्रदर्शन अपर पुलिस कमिश्नर को पसंद न हो, इसीलिए उन्होंने ये कार्यक्रम ख़ामोशी के साथ किया।
हकीकत है, अपनों के साथ तो हमेशा खुशियाँ बाटी जाती है। उनके साथ हर लम्हा सेलिब्रेशन का होता है। मगर इस ज़िन्दगी के कुछ लम्हे उनके लिए भी होने चाहिए जो अपनों की मुहब्बत से महरूम है। ऐसे लोगो की तलाश करने की ज़रूरत नही है। शहर में आप किसी भी वृद्धाश्रम पहुच जाये। वही खुद की ज़िन्दगी के कुछ रंगीन लम्हों को ऐसे लोगो के साथ भी हम बिता सकते है, जिनकी ज़िन्दगी का हर एक लम्हा सख्त सियाह अँधेरे में गुज़रता है। ऐसे लोगो की तलाश आपको अंध विद्यालय लेकर जायेगी। समाज की सुरक्षा के साथ साथ समाज सेवा करने वाले आईपीएस अधिकारी सुभाष चन्द्र दुबे के लिए आम जनता के दिल में मुहब्बत बढती जा रही है।