जाने आखिर क्या है बुल्ली बाई ऐप जो मुस्लिम महिलाओ की तस्वीरो को करता है नीलाम, जाने कौन है इसकी मुख्य अभियुक्त श्वेता सिंह #BulliBai #BulliDeals, #SulliDeals
तारिक़ आज़मी
मुस्लिम महिलाओं के तस्वीरो की नीलामी करने वाले सोशल मीडिया ऐप बुल्ली बाई को लेकर पुलिस कार्यवाही चालु हो गई है। ट्वीटर पर हैश टैग की बाढ़ सी आ गई है। नए साल के आने के साथ यह विवाद भी खुल कर सामने आ गया है। कभी महिलाओं के अपमान जनक सुल्ली बाई जैसे शब्दों का प्रयोग करके सुल्ली डील नाम से एक ऐप बना था जो मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरो को एडिट करके उसकी नीलामी किया जाता था।
आखिर #BulliBai #BulliDeals, #SulliDeals जैसी तस्वीरें और हैशटैग क्या हैं ? आखिर इसमें गिरफ्तारी क्यों हो रही है ? यह कुल विवाद क्या है इसके बारे में समझने में थोडा वक्त लगाना होगा। थोडा ये समझना होगा कि आखिर वो कौन है जिनको मुस्लिम शब्द से ही नफरत है। देखिये, साफ़ साफ़ अगर बात किया जाए तो ऐसे महज़ 2-3 फीसद लोग ही इस पुरे ब्रह्मण्ड में जिनको इस्लामोफोबिया जैसे रोग है। उनके मर्ज़ का शिकार कौन कौन हो सकता है इसका अंदाजा आप लगा सकते है। बेटी किसी की भी हो, वह देश के हर एक पिता की बेटी होती है। इसको समझने के लिए हमको किसी बड़े यूनिवर्सिटी की आवश्यकता नही है। हम सभी सड़क पर चलती हर एक बेटी को अपनी बेटी समझते है।
बहरहाल, हम मुद्दे पर आते है और समझते है कि आखिर बुल्ली बाई ऐप क्या है? बुल्ली बाई लोगों को बरगलाने और खुद का वित्तीय लाभ कमाने के लिए देश भर में एक संदिग्ध समूह है। इसमें काफी क्या अधिकाँश जैसे शब्द सही रहेगी कि उनकी पहचान होना अभी बाकी है। ये उन्ही लोगो द्वारा विकसित ऐप है। एप को बनाने के पीछे का मकसद भारतीय महिलाओं जिसमे ज्यादातर मुस्लिम होती है की नीलामी के लिए रखना और बदले में पैसा कमाना है।
‘बुल्ली बाई’ एप माइक्रोसॉफ्ट के मालिकाना हक वाली ओपन सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट साइट GitHub पर बनाया गया था। बुल्ली बाई जैसी घटनाओं में, साइबर अपराधी इंटरनेट से लोकप्रिय महिलाओं, सेलेब्स, प्रभावशाली लोगों, पत्रकारों आदि की तस्वीरें लेते हैं और उनका उपयोग अपने वित्तीय लाभ के लिए करते हैं। ये ऑनलाइन स्कैमर्स सोशल मीडिया अकाउंट से इन महिलाओं की तस्वीरें चुराते हैं और उन्हें प्लेटफॉर्म पर लिस्ट कर देते हैं। इसलिए इन महिलाओं को हमेशा अपनी प्रोफाइल को लॉक करके रखना चाहिए या अपनी प्रोफाइल को प्राइवेट रखना चाहिए। एप पर प्रोफाइल में पीड़ितों की फोटो और दूसरे पर्सनल डिटेल शामिल थे, जो महिलाओं की सहमति के बिना बनाई गई और शेयर किए जा रहे थे। ट्विटर पर बुल्ली बाई एप से कई पोस्ट शेयर होने के तुरंत बाद, सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ऐसे अपमानजनक पोस्ट को तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्देश दिया।
फिलहाल बुल्ली बाई एप मामले में दो छात्रों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें एक मुंबई का और एक बेंगलुरु का है। इसके अतिरिक्त, इससे पहले मंगलवार को इस मामले में उत्तराखंड की एक महिला को भी गिरफ्तार किया गया था। Bulli Bai एप मामले में मुंबई पुलिस ने उत्तराखंड की रहने वाली 18 साल की युवती को उधम सिंह नगर जिले से गिरफ्तार किया था। इस मामले में अब एक अहम खुलासा हुआ है। सूत्रों की माने तो आरोपी युवती श्वेता सिंह कथित तौर पर नेपाल में स्थित एक सोशल मीडिया के मित्र के निर्देश पर काम कर रही थी।
सूत्रों के अनुसार श्वेता सिंह से मिली प्राथमिक जानकारी से पता चला है कि जियाउ नाम का एक नेपाली नागरिक एप पर उसे निर्देशित कर रहा था। मुंबई पुलिस के अधिकारियों ने मास्टरमाइंड श्वेता सिंह के लिए 5 जनवरी तक ट्रांजिट रिमांड की मांग की थी। ‘बुल्ली बाई’ एप को गिटहब पर बनाया गया है। यह एक होस्टिंग प्लेटफॉर्म है जहां पर ओपन सोर्स कोड का भंडार रहता है, लेकिन अब गिटहब और इस पर बनाए जा रहे ऐसे एप्स को लेकर लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि बुल्ली बाई एप यूजर को गिटहब द्वारा ब्लॉक कर दिया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि गिटहब की ओर से खुद रविवार सुबह यूजर को ब्लॉक करने सूचना दी गई है। सुल्ली महिलाओं के खिलाफ इस्तेमाल किया जाने वाला अपमानजनक शब्द है। चार जुलाई, 2021 को ट्विटर पर सुल्ली डील्स के नाम से कई स्क्रीनशॉट साझा किए गए थे। इस एप में एक टैग लाइन लगी थी, ‘सुल्ली डील ऑफ द डे’ और इसे मुस्लिम महिलाओं की फोटो के साथ शेयर किया जा रहा था। खास बात यह निकलकर आई कि इसे गिटहब पर एक अज्ञात समूह द्वारा बनाया गया था।
अब जब इस मामले में पुलिस कार्यवाही शुरू हो चुकी है तो यह सवाल उठाना लाजिम है कि आखिर कौन है वो लोग जो अपने फायदे के लिए दुसरे की तस्वीरो का इस्तेमाल करते है। दरअसल सोच में बैठी गन्दगी ने ऐसे लोगो को मनोबल दे रखा है। खुद सोचे श्वेता किसी जाहिदा की तस्वीरो को खुद के फायदे को ध्यान में रखकर उपयोग कर रही है। समझे इस सोच में बैठी गन्दगी को जो आपकी सोच को भी ख़राब करने की कोशिश कर रही है। ऐसे ऐप पर पड़ी तस्वीरे शायद उनसे ही मिलती जुलती होंगी जो पड़ोस में आपको भैया या अंकल कहती है। साथ ही आप उनको अपनी बेटी अथवा बहन के तरह मानते है। फिर आखिर कैसे कोई आपके सोच में गंदगी को पनपा पायेगा? बेशक महिलाओ का सम्मान केवल भाषण और लेख में अथवा हमारी सार्वजनिक प्रतिक्रियाओं में नही होना चाहिए बल्कि सम्मान दिल से होना चाहिए। आइये और ऐसे लोगो को और उनकी ऐसी सोच को नकार दे जो बेटियों को मज्हबो में तकसीम करते है।