पश्चिमी देशो के विभिन्न दबावों के बीच रूस ने युक्रेन के कीव में स्थित तेल भण्डारण को उड़ाया, हर तरफ फैला ज़हरीला धुआं, जारी हुई चेतावनी, जाने क्या थी वजह जो जंग के मैदान में कूद पड़े दो मित्र देश
आफ़ताब फारुकी
रूस व यूक्रेन के बीच घमासान जंग जारी है। दोनों देशों की सेनाएं मोर्चे पर डटी हैं। चारों ओर तबाही का मंजर नजर आ रहा है। कीव पर कब्जे के लिए रूस ने हमले और भी ज्यादा तेज कर दिए हैं। रूसी हमलों में अब तक सैंकड़ों नागरिकों के मारे जाने की खबर है। उधर, रूस के सेंट्रल बैंक पर अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने प्रतिबंध लगा दिया है। जर्मनी ने रूसी विमानों के लिए अपने एयरस्पेस को बंद कर दिया है।
इस बीच समाचार मिल रहा है कि रूस ने युक्रेन स्थित कीव का एक तेल भण्डारण उड़ा दिया है। इससे हर तरफ ज़हरीला धुँआ ही धुआ हो गया है। पलटवार में युक्रेन ने भी रूस को नुक्सान पहुचाया है। डेली मेल के मुताबिक, यूक्रेन ने रूस के चेचेन स्पेशल फोर्स के शीर्ष कमांडर मैगोमेद तुशैव को मार गिराया है। कीव में तेल डिपो पर मिसाइल हमले के बाद जहरीला धुआं फैल गया है। इससे लोगों को सांस लेने तक में समस्या हो रही है। इस बीच चेतावनी जारी की गई है कि, लोग घरों से बाहर न निकलें और घर की खिड़की तक न खोलें।
BREAKING: Oil depot on fire after missile strike near Kyiv pic.twitter.com/TQkz7s8xiq
— BNO News (@BNONews) February 26, 2022
रूस की ओर से दावा किया गया है कि, उसने यूक्रेन के दो बड़े शहरों का घेराव कर लिया है। इसमें से एक शहर दक्षिण और दूसरा दक्षिण-पूर्व में है। इस बीच यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में रूसी सेना के दाखिल होने की भी खबर सामने आई है। तीन दिन तक लगातार टैंकों की गोलाबारी, क्रूज मिसाइलों और हवाई हमलों के बावजूद रूस यूक्रेन की राजधानी पर कब्जा नहीं कर सका है। अन्य शहरों में भी रूस को यूक्रेनी सेना के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। रविवार को यूक्रेन के खारकीव में एक गैस पाइपलाइन को उड़ा दिया है। वहीं वासिल्किव शहर में रूसी बैलिस्टिक मिसाइलों से एक तेल डिपो को भी टारगेट किया गया है।
शनिवार को भी कीव पर लगातार मिसाइलें दागी गईं। इनमें से एक मिसाइल कीव के बाहरी इलाके स्थित एक आवासीय बहुमंजिला इमारत की 16वीं और 21वीं मंजिल के बीच से गुजर गई और इमारत की दो मंजिलें आग से घिर गईं। हमले में कम से कम छह नागरिक गंभीर रूप से घायल हो गए जबकि 80 को बचाकर निकाला गया। एक अन्य मिसाइल कीव को पानी की आपूर्ति करने वाले बांध को निशाना बनाकर दागी गई लेकिन यूक्रेन ने इसे हवा में ही मार गिराया। देश के इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्री ने बताया कि अगर यह मिसाइल निशाने पर गिरती तो कीव के उपनगरों में बाढ़ आ जाती।
WATCH: Intense battle erupts as Russian forces enter Kharkiv pic.twitter.com/vUdWw9jSgy
— BNO News (@BNONews) February 27, 2022
वहीं, रूस के रक्षा प्रवक्ता इगोर कोनाशेंकोव ने फिर दावा किया रूसी मिसाइलें सिर्फ यूक्रेन के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर दागी जा रही हैं। अब सवाल ये उठता है कि आखिर रूस और युक्रेन जो कभी बहुत अच्छे मित्र देश हुआ करते थे, उनके बीच आखिर क्या विवाद हुआ जो ऐसे युद्ध की स्थिति बन गई। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर इस विवाद की जड़ क्या है?
दरअसल, यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से जुड़ी है। 1991 तक यूक्रेन पूर्ववर्ती सोवियत संघ का हिस्सा था। रूस और यूक्रेन के बीच तनाव नवंबर 2013 में तब शुरू हुआ जब यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का कीव में विरोध शुरू हुआ। जबकि उन्हें रूस का समर्थन था। यानुकोविच को अमेरिका-ब्रिटेन समर्थित प्रदर्शनकारियों के विरोध के कारण फरवरी 2014 में देश छोड़कर भागना पड़ा। इससे खफा होकर रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। इसके बाद वहां के अलगाववादियों को समर्थन दिया। इन अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया।
इसके बाद 2014 के बाद से रूस समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच डोनबास प्रांत में संघर्ष चल रहा था। इससे पहले जब 1991 में यूक्रेन सोवियत संघ से अलग हुआ था तब भी कई बार क्रीमिया को लेकर दोनों देशों में टकराव हुआ। 2014 के बाद रूस व यूक्रेन में लगातार तनाव व टकराव को रोकने व शांति कायम कराने के लिए पश्चिमी देशों ने पहल की। फ्रांस और जर्मनी ने 2015 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में दोनों के बीच शांति व संघर्ष विराम का समझौता कराया।
हाल ही में यूक्रेन ने नाटो से करीबी व दोस्ती गांठना शुरू किया। यूक्रेन के नाटो से अच्छे रिश्ते हैं। 1949 में तत्कालीन सोवियत संघ से निपटने के लिए नाटो यानी ‘उत्तर अटलांटिक संधि संगठन’ बनाया गया था। यूक्रेन की नाटो से करीबी रूस को नागवार गुजरने लगी। अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश नाटो के सदस्य हैं। यदि कोई देश किसी तीसरे देश पर हमला करता है तो नाटो के सभी सदस्य देश एकजुट होकर उसका मुकाबला करते हैं। रूस चाहता है कि नाटो अपना विस्तार न करे। राष्ट्रपति पुतिन इसी मांग को लेकर यूक्रेन व पश्चिमी देशों पर दबाव डाल रहे थे।
आखिरकार रूस ने अमेरिका व अन्य देशों की पाबंदियों की परवाह किए बगैर गुरुवार को यूक्रेन पर हमला बोल दिया। अब तक नाटो, अमेरिका व किसी अन्य देश ने यूक्रेन के समर्थन में जंग में कूदने का एलान नहीं किया है। वे यूक्रेन की परोक्ष मदद कर रहे हैं, ऐसे में कहना मुश्किल है कि यह जंग क्या मोड़ लेगी। यदि यूरोप के देशों या अमेरिका ने रूस के खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई की तो समूची दुनिया के लिए मुसीबत पैदा हो सकती है। इसको तीसरे वर्ल्ड वार के तौर पर भी देखा जा सकता है।