थम गया अंतिम चरण के मतदान हेतु चुनाव प्रचार, जाने इस चरण में किस किस सीट पर है इस बार प्रतिष्ठा की लड़ाई, 613 प्रत्याशियों के सियासी मुस्तक़बिल का फैसला 7 मार्च को करेगी आवाम

तारिक़ आज़मी

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के आखरी चरण में आज चुनाव प्रचार थम गया है। कुल 9 जिलो की 54 विधानसभा सीट पर 613 प्रत्याशियों के सियासी मुस्ताक़बिल का आवाम अब 7 मार्च फैसला करेगी। इस चरण में पूर्वांचल के बाहुबली धनंजय सिंह, विजय मिश्र से लेकर मुख्तार अंसारी के बेटे तक का सियासी मुस्तक़बिल दांव पर है। वहीं, योगी सरकार के कई मंत्री का भी सियासी मुस्तक़बिल इस चरण में दाव पर हैं। पूर्वांचल की इन सीट पर आज चुनाव प्रचार थम गया है। इस चरण में कई बड़े नाम भी चुनाव मैदान में है।

इस चरण में बड़े नामो पर अगर गौर करे तो योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे दारा सिंह चौहान इस बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ की घोसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। चौहान के खिलाफ भाजपा ने विजय राजभर, बसपा ने वसीम इकबाल और कांग्रेस ने प्रियंका यादव को प्रत्याशी बनाया है। 2017 में यह सीट भाजपा के फागू चौहान जीते थे। हालांकि, बाद में उन्हें बिहार का राज्यपाल बना दिया गया। 2019 में हुए उप-चुनाव में इस सीट से भाजपा के विजय राजभर जीते थे। अब मसला ये है कि इस सीट पर दारा सिंह चौहान का सियासी मुस्तक़बिल दाव पर है।

दूसरी तरफ भदोही की ज्ञानपुर सीट से बाहुबली विजय मिश्र का भी सियासी मुस्तक़बिल दाव पर है। विजय इस बार प्रगतिशील मानव समाज पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं। 2017 में उन्हें निषाद पार्टी ने टिकट दिया था। इस बार भाजपा गठबंधन में शामिल निषाद पार्टी से विपुल दुबे को प्रत्याशी बनाया गया है। सपा ने राम किशोर बिंद और बसपा ने उपेंद्र कुमार सिंह को टिकट दिया है। कांग्रेस की तरफ से सुरेश चंद्र मिश्र को प्रत्याशी बनाया गया है। जबकि आजमगढ़ के फूलपुर पवई सीट से समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद और बाहुबली नेता रमाकांत यादव को टिकट दिया है। 2017 में समय इस सीट से भाजपा के अरुणकांत यादव ने जीत हासिल की थी। अरुणकांत रमाकांत यादव के बेटे हैं। इस बार भाजपा ने अरुणकांत का टिकट काट दिया है।

वही मुहम्मदाबाद विधानसभा सीट से कृष्णानंद राय की पत्नी और मौजूदा विधायक अलका राय भाजपा से प्रत्याशी हैं। उसके सियासी मुस्तक़बिल को चुनौती सपा गठबंधन ने मन्नु अंसारी दे रहे है। मन्नू अंसारी का भी सियासी मुस्तक़बिल दाव पर है क्योकि अंसारी कुनबा अपनी नेक्स्ट जेनरेशन को सियासत में इस चुनाव से ला रहा है। मन्नु बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई सिबगतुल्लाह अंसारी के बेटे हैं। सपा ने पहले सिबगतुल्लाह अंसारी को ही टिकट दिया था, लेकिन नामांकन से ठीक पहले टिकट बदलकर मन्नु को दे दिया। बसपा ने मध्वेंद्र राय और कांग्रेस ने अरविंद किशोर राय को टिकट दिया है। जबकि मऊ सदर सीट से इस बार बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को समाजवादी गठबंधन ने टिकट दिया है। अब्बास सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। अब्बास के खिलाफ भाजपा ने अशोक कुमार सिंह और बसपा ने भीम राजभर को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने माध्वेंद्र बहादुर सिंह को टिकट दिया है। यहाँ से अब्बास अंसारी अपना सियासी सफ़र शुरू करना चाहेगे वही भाजपा मुख़्तार के हाथो से इस सीट को लेने की पूरी कोशिश करेगी।

ऐसी ही प्रतिष्ठा की सीट गाजीपुर की जहूराबाद सीट है। यहां से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर मैदान में हैं। भाजपा ने ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ कालीचरन राजभर को मैदान में उतारा है। बसपा ने शादाब फातिमा और कांग्रेस ने ज्ञान प्रकाश को टिकट दिया है। पिछली बार इस सीट पर ओम प्रकाश राजभर ने जीत हासिल किया था। हालांकि, तब वह भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे थे। इस बार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का गठबंधन सपा के साथ है।

वाराणसी की शिवपुर सीट से योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर मैदान में हैं। अनिल के खिलाफ ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, बसपा ने रवि मौर्य और कांग्रेस ने गिरीश पांडेय को टिकट दिया है।  जबकि वाराणसी की पिंडरा सीट से इस बार कांग्रेस ने अजय राय को मैदान में उतारा है। अजय की गिनती यूपी कांग्रेस के बड़े नेताओं में होती है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। अजय के खिलाफ भाजपा ने अपने पुराने विधायक अवधेश सिंह पर भरोसा जताया है। वहीं, सपा गठबंधन से राजेश सिंह और बसपा से बाबूलाल पटेल को टिकट दिया है।

जौनपुर की मल्हनी विधानसभा सीट भी इस बार चर्चा में है। यहां से जदयू के टिकट पर बाहुबली धनंजय सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। धनंजय के खिलाफ भाजपा ने कृष्ण प्रताप सिंह और सपा ने लकी यादव को मैदान में उतारा है। बसपा ने शैलेंद्र यादव और कांग्रेस ने पुष्पा शुक्ला को टिकट दिया है। आजमगढ़ की मुबारकपुर सीट की भी चर्चा हो रही है। यहां से एआईएमआईएम ने मौजूदा विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को टिकट दिया है। शाह आलम ने 2017 में बसपा के टिकट पर जीत हासिल की थी। इस बार बसपा ने शाह आलम की जगह अब्दुस्सलाम को प्रत्याशी बनाया है, वहीं कांग्रेस ने परवीन बानो और भाजपा ने अरविंद जायसवाल को टिकट दिया है।

इन सबके अलावा वाराणसी की दक्षिणी, उत्तरी और कैंट विधानसभा सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बना हुआ है। कैंट, दक्षिणी में दशको का अपना सफ़र भाजपा जहा खत्म नही करना चाहती है। वही विपक्ष उसके इस विजय रथ को रोकने के लिए तैयार खडी है। वही ऐसा ही कुछ हाल उत्तरी विधानसभा का नज़र आ रहा है, जहा रविन्द्र जयसवाल का विजय रथ रोकने के लिए सपा ने अशफाक अहमद डब्लू तो आम आदमी पार्टी ने आशीष जायसवाल को उतारा है। यहाँ से कांग्रेस द्वारा अपने पूर्व मंत्री की बहु पर विश्वास जताया गया है।

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