राइज एंड एक्ट के तहत “राष्ट्रीय एकता शांति व न्याय” विषयक तीन दिवसीय कार्यशाला में बोले डॉ0 मोहम्मद आरिफ: लिखने, पढ़ने, सीखने व प्रश्न करने से ही आता है निखार
शाहीन बनारसी
वाराणसी। नवसाधना, तरना में राइज एंड एक्ट के तहत “राष्ट्रीय एकता शांति व न्याय” विषयक तीन दिवसीय प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण की शुरुआत हुई, जिसमें प्रतिभागियों ने सामाजिक मुद्दों पर अपने लेख प्रस्तुत किया और सांवैधानिक अधिकारों व उत्तरदायित्वों के प्रति आगाह किया।
कार्यशाला का शुभारंभ एवं अतिथियो का परिचय कराते हुए आयोजक डॉ0 मोहम्मद आरिफ ने कहा कि गांधी, अंबेडकर, भगत सिंह व नेहरू जैसी हस्तियों ने कमजोर वर्गों की दशा सुधारने की वकालत की। जिससे स्वतंत्रता, बन्धुता, न्याय व समता के मूल्यों को ताकत मिलीं। हमें लिखने, पढ़ने, सीखने व प्रश्न करने की जरूरत है। साथ ही अपने वरिष्ठों से प्रश्न करना चाहिए तभी आप धरातलीय स्तर पर अपनी बात रख पाएंगे।
मुख्य वक्ता शिव कुमार पराग ने कहा कि आज सत्य को विस्थापित कर झूठ को स्थापित किया जा रहा है। जो चीज भौतिक नहीं है उसे प्रसारित किया जा रहा है और चारों ओर झूठ छाया हुआ है। लोकतंत्र का एक ही पहलू शेष है की वह लोकतंत्र खतरे में है। किसी भी तरह की आजादी नहीं है। आज गांधी के विचार नहीं बल्कि उनके चश्मे को अपनाया जा रहा है और गांधी-अंबेडकर, गांधी-सुभाष, नेहरू-पटेल को लड़ाया जा रहा है। संविधान को बचाये रखने के लिए आज भी गांधी साम्प्रदायिक ताकतों के लिए बडी चुनौती है। लाल प्रकाश राही ने देश की आर्थिक नीतियों की चर्चा करते हुए वर्तमान आर्थिक तंत्र को समझने के नजरिये को लेकर कहा कि नजरिया भौतिक व आध्यात्मिक रूप से समझा जा सकता है।
सुरेश कुमार अकेला ने कहा कि विकास की आंधी में आम आदमी लूट रहा है। गंभीर खतरों को जानने के लिए सिद्धांत, विचार व उत्तरदायित्व के निर्वहन की आवश्यकता है। इसी क्रम में रामजन्म कुशवाहा, हरिश्चंद बिंद, अब्दुल मजीद, अयोध्या प्रसाद, राजाराम राव आदि ने अपने विचार रखे। प्रतिभागियों के प्रश्नो का जवाब वक्ताओं ने दिया। इस अवसर पर प्रतिरोध की कविता में विख्यात कवि शिव कुमार पराग ने लोगों के मनोभावों पर “दिलों के बीच मे पत्थर दिखाई देता है, हर एक मन में कोई डर दिखाई देता है।“ एवं “इनके मारे नहीं मरेंगे, गांधी फिर जी उठेंगे।“ सुनाकर गांधी पर उठ रहे सवालों पर निशाना साधा।
सुरेश कुमार अकेला ने कविता के माध्यम से कहा जो अंग्रेजों के संग, गलबहियां करके खड़े रहे, हांथो में जिनके सदा हीरे मोती जड़े रहे. नाहिदा आरिफ ने “कहते हैं जो खुद को तरक्की की बयार, करते है हर वक़्त अपने जीत की हाहाकार.” नाकर इंसानियत पर सवाल खड़े किए तो लाल प्रकाश राही ने साम्प्रदयिक ताकतों की ओर इशारा करते हुए “भाई-भाई को यूं ही लड़ाया गया, खून नाहक सबों का बहाया गया.” सुनाकर सोंचने पर मजबूर कर दिया। ग्रुप चर्चा के दौरान आगे की कार्य योजनाओं पर चर्चा की गई। शाम को गांधी के मोहन से महात्मा बनने के जीवन वृत्त को कठ पुतली मंचन के माध्यम से दिखाया गया।
संचालन हृदया नन्द शर्मा एवं आभार अर्शिया खान ने व्यक्त किया। इस दौरान राम किशोर चौहान, मनोज कुमार, कमलेश ने किया। इसी क्रम में साधना यादव, संजय सिंह, नाहिदा आरिफ, संजू, असलम, वीना गौतम, विनोद गौतम, विकास मोदनवाल, अर्शिया खान, शमा परवीन, राम कृत आदि मौजूद रहे।