खौफ का दूसरा नाम मोस्ट वांटेड “विश्वास नेपाली” आज भी है वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट की पकड़ से दूर, जाने कौन है खौफ का दूसरा नाम विश्वास नेपाली
तारिक़ आज़मी
विश्वास नेपाली खौफ का दूसरा नाम पिछले तीन दशक से बनता जा रहा है। पुलिस की पकड़ से दो दशक के लगभग से दूर विश्वास नेपाली पुलिस के लिए सरदर्द बना हुआ है। पुलिस कमिश्नरेट वाराणसी इसको गिरफ्तार करने के लिए जाल बिछाती है मगर विश्वास पुलिस से अभी तक दो कदम आगे ही रहा है। पुलिस के पास विश्वास का लगभग 25 साल पुराना फोटो है जिसके जिसके आधार पर पुलिस विश्वास को तलाश रही है। जबकि विश्वास अगर पुलिस के सामने भी खडा हो जाए तो बदलाव इतना है कि पुलिस उसको पहचान भी नही पायेगी। फिर भी कम से कम दावो के आधार पर तो वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट विश्वास के पीछे ही है और बहुत जल्द उसको पकड़ लेगी। शायद यही कारण है कि दो दशक से फरार विश्वास नेपाली आज भी पुलिस के लिए अबूझ पहेली है।
विश्वास नेपाली वाराणसी ही नही बल्कि पूर्वांचल के जरायम की दुनिया में एक बड़ा नाम है। मुन्ना बजरंगी का राईट हैण्ड माना जाने वाला विश्वास वाराणसी पुलिस का इनामिया अपराधी है। विश्वास नेपाली का नाम खूंखार अपराधियों की फेहरिश्त में आता है। वाराणसी में कभी खौफ का कारोबार करने वाला विश्वास धीरे धीरे अपना साम्राज्य पूर्वांचल ही नहीं बल्कि नेपाल में भी फैला चूका है। सूत्र बताते है कि विश्वास नेपाल में ट्रेवेल एजेंसी चलाता है। मगर ट्रेवल एजेंसी तो सिंर्फ नाम की है। असली काम आज भी अपराध और अपराधियों को संरक्षण देना है। कभी खूंखार अपराधी परवेज़ टांडा के संरक्षण में रहने वाला विश्वास अब खुद दूसरो को नेपाल में संरक्षण देने वाला बन गया है। सूत्रों की माने तो विश्वास नेपाली की माओवादियों में गहरी पैठ है। जिसके कारण उत्तर प्रदेश पुलिस उसके सम्बन्ध में बहुत जानकारी नही जुटा पाती है। कुछ ऐसे भी पुलिस वाले है तो विश्वास का सुराग हासिल करने के लिए नेपाल के पोखरा तक चले गए मगर सुराग तो छोड़े विश्वास तक पहुचने का कोई सुराख तक हासिल नही कर पाए।
कौन है विश्वास नेपाली
पक्के महाल की गलियों में बैठ कर कभी गांजा पीकर अपनी सुबह करने वाला विश्वास अपराध की दुनिया में बेताज बादशाह आज बना हुआ है। विश्वास नेपाली उर्फ़ विश्वास शर्मा उर्फ़ बिस्वा शर्मा जैसे नामो से पुकारा और जाना जाने वाला विश्वास शुरू से ही मनबढ़ था। उसका पहली बार जरायम की दुनिया में नाम वर्ष 2001 में भेलूपुर थाना क्षेत्र के एक मामले में सामने आया था जब उसके नाम से पहली ऍफ़आईआर आईपीसी की 506 में दर्ज हुई थी। इसके बाद इसी साल कोतवाली थाना क्षेत्र में रंगदारी मांगने का मामला सामने आने के बाद पुलिस ने उसके ऊपर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहा और इसी वर्ष गुंडा एक्ट तथा गैंगेस्टर की भी कार्यवाही कोतवाली पुलिस द्वारा किया गया। यहाँ से अपराध की प्राइमरी में पढने वाला विश्वास अचानक ही जरायम की दुनिया के यूनिवर्सिटी में पंहुच जाता है और उसको साथ अनुराग त्रिपाठी उर्फ़ अन्नू त्रिपाठी तथा बाबु यादव का मिल जाता है। जिसके बाद विश्वास जरायम की दुनिया का छात्र नही बल्कि प्रोफ़ेसर बन जाता है।
सूत्र बताते है कि अन्नू त्रिपाठी गैंग का ये मुख्य शूटर ही नहीं बल्कि गैंग का मास्टर माइंड था। कोई भी घटना को कैसे अंजाम देना है और कहा देना है का प्लान भले कोई भी बनाये मगर एग्जिट प्लान केवल विश्वास ही बनाता था। उसकी हरकतों से परिवार भले ही परेशान रहता था, मगर विश्वास शायद अपना कदम पीछे नही खीचना चाहता था। तत्कालीन अन्नू गैंग के सूत्र ने तो ये भी दावा किया कि जेल में मारे गए पार्षद गोपाल यादव की घटना को भले ही अन्नू के शूटर मयंक ने अंजाम दिया था, मगर घटना के बाद का एग्जिट प्लान विश्वास ने बनाया था जहा से ये मुन्ना बजरंगी का पसंदीदा बन गया। इस दरमियान कोतवाली क्षेत्र में हुई हत्या में भी विश्वास का नाम आया, पूर्वांचल की सबसे बड़ी मडी विशेश्वरगंज में रंगदारी का पोस्टर लगा कर अन्नू गैंग ने दहशत कायम कर डाला था। लगभग डेढ़ दशक पहले लगे इन पोस्टरों के बाद वाराणसी पुलिस की काफी किरकिरी हुई थी। पुलिस सूत्र बताते है कि मामले में तफ्तीश शुरू हुई तो पता चला कि यह पोस्टर विश्वास नेपाली के खुद के कंप्यूटर से बनाये गए थे।
यहाँ से विश्वास नेपाली पुलिस के लिए अबूझ पहेली बना जो आज तक है। सूत्र बताते है कि किलर मशीन मुन्ना बजरंगी सबसे अधिक विश्वास पर ही विश्वास करता था। सूत्र तो ये तक बताते है कि मुन्ना बजरंगी के कामो में भी विश्वास की काफी पैठ थी और घटना के बाद का एग्जिट प्लान केवल विश्वास ही बनाता था। हाईटेक टेकनोलाजी का माहिर विश्वास के नाम कई अपराध पंजीकृत हुवे और वह पुलिस की पकड़ से दूर ही होता चला गया। विश्वास का परिवार बनारस छोड़ कर वापस नेपाल चला गया। वही सूत्र कहते है कि विश्वास ने नेपाल जाकर पहले खुद की पैठ बनाया और उसके बाद परिवार को वहा बुलवा लिया। सूत्रों बताते है कि बनारस से नेपाल जाने के बाद विश्वास ने जहा माओवाद का साथ दिया और एक बड़े माओवादी नेता का संरक्षण पाया वही दिखावे के लिए एक टूर एंड ट्रेवेल का काम भी शुरू किया। सूत्रों की माने तो विदेशो में प्लेसमेंट का काम भी दिल्ली की किसी फर्म के साथ मिल कर इसने शुरू कर दिया। साथ ही माओवाद आन्दोलन में भी हिस्सा लिया। इस दौरान पूर्वांचल में अपना नाम कायम रखने के लिए अपने गैंग को भी संचालित करता रहा।
सनी सिंह और रुपेश सेठ से थी ज़बरदस्त दुश्मनी
इसी वर्चस्व में उसके आगे सबसे बड़ा रोड़ा उभर का सामने आया सनी सिंह गैंग। सनी सिंह और रुपेश सेठ ने मिलकर क्षेत्र के जुआ अड्डो और सर्राफा कारोबारियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था। मगर बीच में विश्वास का ही आदमी रोड़ा बना हुआ था, क्योकि विश्वास अपना वर्चस्व खत्म नही करना चाहता था। इसी दौरान विश्वास के आदमी की 6 गोलिया मार कर हत्या कर दिया गया था। इस हत्या में गुड्डू मामा और रुपेश सेठ का नाम सामने आया था। विश्वास को अपनी जरायम की रियासत हिलती हुई दिखाई दे रही थी। इस दौरान पुलिस को शंका थी कि कही दोनों गुटों में गैंगवार न हो जाए। वक्त गुज़रता है और सनी सिंह के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने और फिर मामा बिन्द के जेल जाने के बाद से रुपेश सेठ विश्वास के वर्चस्व को चुनौती दे रहा था। इस दौरान विश्वास ने भी अपने पकड़ दुबारा काफी मजबूत कर लिया था। सूत्र तो बताते है कि सफ़ेदपोश लोगो के कई विवाद इसने नेपाल में बैठ कर ही हल करवा दिये। इसका नाम एक बार फिर चर्चा में 2019 में आया था जब एक घी व्यवसाई से रंगदारी की बात सामने आई थी। पुलिस ने मामला तो हल कर लिया मगर पुलिस के हाथ कोई सुराग इसमें विश्वास नेपाली के होने का नही लग सका।
परिवार के सदस्य आज भी जोड़े है भारत से रिश्ता
सूत्र बताते है कि इसके दोनों भाइयो की नौकरी भारत में ही अभी भी है। इसने अपने सोर्सेस का प्रयोग करके भारत में ही दोनों भाइयो बल्लभ और विशाल की नौकरी लगवा दिया है। खुद भी विवाह कर लिया है और बच्चो को अच्छी शिक्षा भी दे रहा है। अपुष्ट समाचार बताते है कि इसके बच्चे दिल्ली के नज़दीक में ही एक शहर में पढ़ते है और यह बच्चो से अक्सर मिलता जुलता रहता है। शादी भी इसने वाराणसी में ही किया है।
अपराधी प्रवित्ति के युवक ने करवाया विश्वास की शादी
विश्वास नेपाली की शादी वाराणसी के पक्के मुहाल में हुई है। सूत्र बताते है कि चौक थाना क्षेत्र के ब्रह्मनाल चौकी का एक कुख्यात अपराधी इसके शादी का सरगना बना था। उस अपराधी ने विश्वास की शादी अपनी पत्नी की सहेली से करवाया है। सूत्रों की माने तो विश्वास नेपाली की पत्नी इलाज करवाने के लिए इसी अपराधी के घर आकर रूकती है। इस हिस्ट्रीशीटर की अपनी पकड़ सियासी होने के कारण पुलिस का दबाव भी इसके ऊपर नही पड़ पाटा है। सूत्रों के अनुसार विश्वास की पत्नी का वर्त्तमान में पिछले एक वर्ष से इलाज चल रहा है। सूत्रों के अनुसार इलाज वाराणसी के किसी अज्ञात चिकित्सक के यहाँ से चल रहा है।
परिवार में बहनों की भी शादिया अच्छी तरीके से किया है। दोनों बहने अपने परिवार में रहती है और इसके दोनों जीजा वाइट कालर है। इसके एक जीजा सरोज दहन एक बड़ा कारोबारी और नेपाल में माओवादी नेताओं में बड़ा नाम है। जरायम से अपने परिवार को दूर रखने वाला विश्वास अपने भाइयो और परिवार अथवा रिश्तेदारों में किसी को भी अपनी जरायम की दुनिया में नही लाया। सभी को इससे दूर रखा।
सूत्र से मिली सबसे अहम जानकारी के मुताबिक जरायम की दुनिया में इसका सबसे विश्वसनीय अज़ीम रहा है। कभी पुलिस के हत्थे न चढ़े अज़ीम को अधिकतर लोग पहचानते ही नही है जो विश्वास के लिए काफी काम आने वाला तथ्य है। काफी पुरानी विश्वास की फोटो और उससे भी पुरानी अज़ीम की फोटो लेकर दोनों को तलाश करने वाली पुलिस के पास दोनों की कोई लेटेस्ट तस्वीर भी नही है। ये विश्वास के लिए सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है। सूत्रों की माने तो विश्वास न जुआ खेलता है और न ही शराब का सेवन करता है। अगर शराब पीता भी है तो सिर्फ उतनी ही जितना उसको नशा न कर सके। नशे के तौर पर सिगरेट और रोज़ गांजा प्रसाद के तौर पर लेता है। वही पहनावे में ब्रांडेड जीन्स का काफी शौकीन है। विश्वास को धार्मिक आस्था भी काफी तगड़ी है। विश्वास भोलेनाथ का भक्त है और रोज़ सुबह शाम पूजा करता है। धार्मिक मान्यताओ का भी पालन खूब करता है। सबसे बड़ी बात जो अन्य अपराधियों से इसको अलग करती है वह है इसका मोबाइल न इस्तेमाल करना। अगर इसके अपराधो की कडियों का 2 और 2 जोड़े तो इसने अपराध के लिए हमेशा दुसरे का मोबाइल मांग कर इस्तेमाल किया है। ये मोबाइल प्रयोग ही नही करता है।
नोटबंदी में कमाया था जमकर पैसे
भारत में नोटबंदी होने के बाद काफी लोग ऐसे थे जिसने पुराने रखे काले धन बदल नही पाये थे। वही भारत सरकार से पैकेड के बाद नेपाल को अतिरिक्त समय नोट बदलने के लिए मिला हुआ था। ऐसा केवल इस कारण से था क्योकि भारतीय करेंसी नेपाल में भी आम तौर पर खरीदारी में चलन में थी। नेपाली करेंसी के तरह भारतीय करेंसी से भी खरीदारी हो जाती थी। भारत में पुराने नोट बंद होने के बाद भी नेपाल को अतिरिक्त समय मिला था जहा नोट बदली जा रही थी। इस वक्त में विश्वास ने जमकर चांदी काटी थी। सूत्र बताते है कि उसके सफ़ेदपोश लोगो ने भारत में ऐसे लोगो से संपर्क किया जो पुराने नोट बदल नही पाए थे। एक लाख पर 15 हज़ार से लेकर 30 हज़ार तक का सौदा होता था। ऐसे काफी पैसे अलग अलग शहरों में इस दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस ने पकडे भी थे। जो बड़ी रकम के रूप मिले थे। नोट बदलने के लिए पार्टी को करेंसी लेकर खुद जाना होता था। जहा पर करेंसी लेने के बाद तय रेट पर उनको नई नोट अथवा नेपाली करेंसी दे दिया जाता था। इसको कारोबार के तौर पर अपनाते हुवे विश्वास और उसके सफ़ेदपोश गुर्गो ने काफी चांदी काटी।
बहरहाल, हमारे सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार विश्वास नेपाली उर्फ़ विश्वास शर्मा नेपाल में बिश्वा शर्मा के नाम से जाना जाता है। माओवाद आन्दोलन में अहम गोपनीय भूमिका निभाने वाला विश्वास नेपाल में स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है। सूत्र तो यहाँ तक बताते है कि विश्वास नेपाली इसके लिए कन्वेंसिंग भी जारी करवा चूका है। मगर उसका कोई पोस्टर बैनर नही छपा है। अगर सूत्रों से प्राप्त इस जानकारी पर गौर करे तो यदि विश्वास नेपाली ये चुनाव लड़ता है और जीत जाता है तब फिर उसको गिरफ्तार करना मुश्किल नही बल्कि बहुत मुश्किल होगा।