नखडू: मोबाइल स्नेचिंग, बाइक चोरी का बड़ा सिंडिकेट चलाने वाले आदमपुर थाने के इस एचएस को नही पकड़ पाती पुलिस तो करती है शरीफों को परेशान, पढ़े नखडू के सिंडिकेट का बड़ा खुलासा करती रिपोर्ट
तारिक़ आज़मी
वाराणसी। मोबाइल चोरी और मोबाइल स्नेचिंग की घटनाओं की तह तक अगर जाकर देखे तो पुरे जनपद में होने वाली अधिकतर घटनाओं के पीछे एक ही कुख्यात हिस्ट्रीशीटर के सिंडिकेट का नाम सामने आयेगा जो है नखडू। वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के भेलूपुर पुलिस ने विगत दिनों दो मोबाइल लुटेरो को पकड़ा था। पुलिस सूत्रों की माने तो जिसने बयानों के आधार पर कई मोबाइल स्नेचिंग की जानकारी पुलिस को मिली थी, साथ ही इन मोबाइल लुटेरो ने नखडू का नाम बताया था। मगर आदमपुर थाना क्षेत्र का रहने वाला नखडू पुलिस के हाथ एक बार फिर नही लगा।
पुलिस सूत्रों की माने तो कई थाने की पुलिस नखडू की सुरागगशी में है मगर नखडू आज भी पुलिस के पकड़ से बाहर है। सूत्र बताते है कि नखडू अपने सिंडिकेट के साथ मोबाइल स्नेचिंग ही नही बल्कि बाइक चोरी के भी अपराध में जुटा है। स्थानीय पुलिस इसकी तलाश करती रहती है, मगर नखडू रेत की तरह पुलिस के हाथ से फिसल जाता है। नखडू का नाम एक बार फिर से आदमपुर क्षेत्र में चर्चा का विषय तब बना जब दो दिन पूर्व जीआरपी गोरखपुर बनारस पहुची और आदमपुर थाना क्षेत्र के एक युवक नदीम को एक चोरी के मोबाइल प्रकरण में पूछताछ के लिए उठाया। सीधा साधा नदीम अथवा उसका परिवार ही नही बल्कि नदीम का पूरा खानदान दहल गया। युवक पर आरोप था कि वह एक चोरी का मोबाइल प्रयोग करता है। देर रात गए पुलिस ने नदीम को पूछताछ करके छोड़ दिया और आवश्यकता पड़ने पर दुबारा पूछताछ हेतु बुलाने की बात कही है।
मामले के गहराई में जाकर देखा गया तो मालूम हुआ कि नदीम की बहन आफरीन ने अपने पड़ोस के रहने वाले टोटो चालक शोएब उर्फ़ सोना से एक मोबाइल खरीदा था। सोना वैसे तो टोटो चलाता था और इलाके में ख़ासा बदनाम भी था। मगर अपनी आवश्यकता की दुहाई देकर सोना ने ये मोबाइल नदीम की बहन आफरीन को बेच दिया था। अफरीन जो सिम प्रयोग करती थी वह नदीम के नाम से था। इस मोबाइल को बेचने के लगभग 20 दिनों बाद सोना आता है और मोबाइल वापस मांगता है तथा अपने साथ आये दो युवको का मोबाइल होना बताता है। जिसके बाद आफरीन ने मोबाइल सोना को वापस कर दिया।
बात यहाँ से खत्म हो जाती है और शोएब उर्फ़ सोना मोबाइल का पैसा बाद में देने को कहता है। अफरीन अपने दरवाज़े पर होती मारपीट को देख कर थोडा डर गई थी। इसके बाद शोएब उर्फ़ सोना मोबाइल लेकर चला जाता है। इसी मोबाइल को तलाशते हुवे दो दिन पूर्व जीआरपी गोरखपुर की टीम नदीम के घर पहुच गई थी। इस प्रकरण में लगभग बेकसूर नदीम जिसका इस पुरे मामले में कोई लेना देना नही था मगर ज़लालत उसको उठानी पड़ी। लगभग 8 घंटे तक जीआरपी चौकी वाराणसी सिटी स्टेशन पर बैठने के बाद सूत्रों की माने तो अर्थ व्यय करके एक कलंक अपने माथे पर लेकर बाहर रात दस बजे आता है।
यहाँ सबसे अचम्भित करने वाली बात ये है कि सूत्रों के अनुसार सब कुछ जानते हुवे कि इस पुरे मामले का मुख्य सूत्रधार “नखडू” है और वह अपना पूरा सिंडिकेट चलाता है, जीआरपी नदीम के परिवार की महिलाओं से आशा करती है कि वह “नखडू” को लेकर उसके पास आये। कमाल ही कहेगे इसको अपराध के लिए पुलिस की सोच का कि जो “नखडू” पुलिस को चकमा देता रहता है, उस “नखडू” को महिलाए पकड़ कर सामने ले आएगी। इसको अचम्भा ही कहा जायेगा सोच का। महिलाओं ने भी अपना प्रयास किया और “नखडू” की तलाश में गलियों के ख़ाक रात तक छाने। मगर “नखडू” ने भी गज़ब का चकमा दिया और उन महिलाओं के साथ अपने गुर्गे लगा दिए।
बहरहाल, महिलाए “नखडू” को पकड़ कर पुलिस के पास ले जाने की मेहनत के दरमियान मुझसे मिलती है। पुरे घटनाक्रम की जानकारी हमको होती है। महिलाओं के साथ आगे पीछे उनका सहयोग करने वालो पर भी हमारी नज़र पड़ती है। इन सहयोगियों में कई लड़के “नखडू” के अपने सिंडिकेट के है ये हम भी समझ रहे थे। इस मामले में नदीम को देर रात पुलिस ने ये कहकर छोड़ा कि “नखडू” पर नज़र रखे और उसको पकड़ ले, या फिर पकड़वा दे। पुलिस ये उम्मीद नदीम से कर रही है कि “नखडू” जैसे शातिर को वह पकड़ लेगा।
अब सवाल ये है कि आखरी “नखडू” पर क्या पुलिस सख्त नही हो पाती। ऐसा नही है कि पुलिस इसको पकड़ने की कवायद नही करती है। आदमपुर पुलिस अक्सर “नखडू” को पकड़ने की कवायद में लगी रहती है। मगर उसका सफेदपोश शरणदाता उसको पुलिस कार्यवाही की पहले ही सुचना दे देते है। चुनावो के पहले आदमपुर थाने में पोस्टेड एक हेड कांस्टेबल ने बढ़िया जाल “नखडू” के लिए बिछाया था। उन्होंने सहयोग हेतु एक सफ़ेदपोश से इसका तस्केरा कर डाला। मगर वही सफ़ेदपोश “नखडू” का शरणदाता था और उसने “नखडू” को पहले ही बता दिया, जिससे “नखडू” मौके से सरक लिए। सफ़ेदपोश ने इस पर एक चाल और चला तथा पुलिस को अपने एक विरोधी का नाम बताया कि उसके जानकारी में मामला था और उसने “नखडू” को अलर्ट कर डाला।
बहरहाल, अपने सफ़ेदपोश साथी के बल पर “नखडू” पुलिस से एक कदम आगे निकल जाता है। ये एक अलग बात है कि वक्त “नखडू” का अच्छा चल रहा है और कई बाइक चोरी जैसी घटनाओं में “नखडू” के गैंग के लड़के शामिल होने की सम्भावना दिखाई देने के बाद भी पुलिस अभी तक कोई बड़ी कार्यवाही “नखडू” के गैंग पर नही कर पाई है। इसके साथ जुड़े कई नवजवान भले ही अच्छे घरो से आते है मगर इनको नशे की आदत डलवा कर “नखडू” इनके अन्दर के अपराधिक प्रवित्ति को जागृत कर देता है।
कितना बड़ा है सिंडिकेट
“नखडू” का सिंडिकेट काफी बड़ा है। सूत्रों की माने तो इसके सिंडिकेट में अल्पसंख्यक समुदाय के लड़के अधिक है। अधिकतर कोरेक्सबाज़ और गांजे के नशे का शिकार होकर नवजवान लड़के चोरी जैसे अपराध में जुड़ जाते है। इसके सिंडिकेट में हमारे सूत्रों ने अन्दर तक जाकर पता किया तो इसका सबसे करीबी युवक को “लेरी” नाम से पुकारा जाता है। एक सफेद्पोश के कारखाने में बतौर कारीगर काम कर चुके “लेरी” के कारण ही ये सफेदपोश अब “नखडू” की टीम का संरक्षणदाता बना हुआ है। “नखडू” का दूसरा सबसे बड़ा विश्वासपात्र युवक शोएब उर्फ़ सोना है, जो वर्त्तमान में मोबाइल लूट के मामले में जेल में बंद है। दिखाने के लिए तो ये टोटो चालक है मगर “नखडू” का दाहिना हाथ जैसा करीबी है। इसके अलावा पप्पी, गजालू, बाबा, सहाबू नाम के युवक इसके करीबी साथी है।
कहा है इसके अड्डे
“नखडू” गैंग के मुख्य अड्डो में सलेमपुरा की एक मशहूर एक मिठाई की दूकान के सामने खुली हुई चाय की दूकान है। इस दूकान पर शाम को लगने वाली अड़ी में इसी गैंग के युवक अधिकतर शामिल रहते है। चाय के दूकान पर दो छत्ती बनवा कर वहा बैठने की व्यवस्था भी ज़बरदस्त है। रात के समय इस दूकान के अन्दर जायेगे तो गांजे की महक से सर घूम उठेगा। इसके अलावा मडई, चिकवनटोला, आलमपुर में भी गली नुक्कड़ पर इसके गैंग की बैठकी होती है। हर हफ्ते के अनुसार गैंग अपना मोबाइल नम्बर बदल लेता है। लगभग हर शाम से लेकर रात तक चन्दन शहीद पर भी ये गैंग अपना वर्चस्व बना कर बैठकी करता है।