तारिक आज़मी की मोरबतियाँ: उठनी थी डोली मगर उठ गई अर्थी, अनसुलझे सवालो के जवाब नही है सिगरा पुलिस और VDA के पास कि “सील भवन में कैसे हो रहा था निर्माण” क्योकि चुभने वाले हमारे सवाल सही है
तारिक़ आज़मी
वाराणसी: वाराणसी विकास प्राधिकरण और जुगाड़ एक दुसरे के पर्यावाची होते जा रहे है। बिल्डरों और जेई के बीच ऐसा गठजोड़ है कि फेविकोल का जोड़ भी फेल हो जाए। इस गठजोड़ में मलाई बिल्डर और विकास प्राधिकरण खाते है और ज़िन्दगी आम इंसान की दाव पर लग जाती है। इस गठजोड़ की ही दें थी कि एक ज़िन्दगी शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई। वो तो अपनी होने वाली शादी की तैयारी और खुशियों में सराबोर थी। फिर आखिर उसको कैसे पता होगा कि दुर्दांत बिल्डर की करतूत और वाराणसी विकास प्राधिकरण के जेई का ऐसा गठजोड़ था जिसमे स्थानीय पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध थी, उसकी नई ज़िन्दगी शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई।
कल ऐसी आंधी आई कि उस युवती बेबी जिसके शादी की तैयारी चल रही थी और वह दो दिनों बाद डोली में रुखसत होनी थी, आज उसकी अर्थी उठ गई। बिल्डर ने ताश के पत्तो के तरह ऐसा भवन बनाया जिसकी दीवारे हवा का एक तगड़ा झोका झेल न पाई और भरभरा कर गिर पड़ी। कई घायल हो गए। ईंट उसके सर पर गिरी कि उसकी डोली उठने के बजाये आज अर्थी उठ गई। दौलत कमाए बिल्डर, मकान बनवाये भवन स्वामी, मलाई खाए जेई और स्थानीय पुलिस। जान गवाए आम इंसान। इसको कहते है बढ़िया है। या फिर कह सकते है कि तुलसी दास ने सत्य ही कहा था कि “समरथ को नाही दोष गुसाई।”
कल से इस मामले में मीडिया अपनी रिपोर्ट दे रही है। नार्मल रनिंग स्टोरी के तरह आप इसको महज़ हादसा समझ रहे होंगे। हमने कल से इस मसले में एक लफ्ज़ नही लिखा और पूरी रात तथा आधा दिन इसमें गुज़ार दिया कि आखिर खबर के अन्दर की खबर क्या है? इस घटना में आखिर किस व्यक्ति अथवा पद को बचाया जा रह है। कौन है जिसको सवालो के जवाब देने पड़े इसके लिए उसको बचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। आइये इस पूरी घटना का असली सच बताते है।
सीज़ बिल्डिंग पर चलता निर्माण कार्य क्या जवाब देगी सिगरा पुलिस और प्राधिकरण के जेई साहब ?
वाराणसी के सोनिया मार्ग पर जिस भवन की दिवार गिरी है वह भवन पिछले काफी समय से वाराणसी विकास प्राधिकरण के द्वारा सील है। यहाँ आपको बताते चले कि जिस थाना क्षेत्र में भवन सील होता है उस थाने को वाराणसी विकास प्राधिकरण लिखित रूप से सूचित करता है। जिसके बाद उस भवन पर होने वाले निर्माण कार्य की जवाबदेही स्थानीय पुलिस की भी होती है और वाराणसी विकास प्राधिकरण के जेई की भी। साथ ही भुनिरिक्षक की भी ज़िम्मेदारी होती है।
अब आप जानकार हैरान हो जायेगे कि जिस भवन को वीडीए ने सीज़ कर दिया था उस भवन पर धड़ल्ले से निर्माण कार्य चल रहा है। इसको कहते है “समरथ को नाही दोष गुसाई।” सवाल किससे करे कि सील भवन पर निर्माण कार्य कैसे हो रहा था? थाना प्रभारी साहब काफी व्यस्त व्यक्ति है। उन्होंने साफ़ साफ़ कहा कि जानकारी में नही है कि भवन सील है अथवा नही। चौकी प्रभारी टुन्नू सिंह को भी नही मालूम की भवन सील है कि नही। सबसे अचंभे की बात तो ये रही कि स्थानीय जेई साहब कल रात को कहते है कि भवन सील है इसकी जानकारी नही है। मगर आज सुबह मृदु भाषी जोनल अधिकारी आनंद मिश्रा ने कहा कि भवन सील था इसकी जानकारी है। निर्माण कार्य कैसे हो रहा था पता किया जायेगा।
अब पता करेगे और फिर सवाल का जवाब देंगे। हकीकत में जवाब नही आयेगा, न थाना प्रभारी का और न ही चौकी इंचार्ज का। जेई साहब तो मस्त मौला इंसान है, तो जवाब उनका भी नही आयेगा क्योकि हम जानते है कि ये जवाब नही दे सकते है क्योकि हमारा सवाल सही है और थोडा चुभने वाला सवाल है। नारे गुलाबी कागजों की आँखों पर पट्टी बांधे थाना सिगरा, चौकी इंचार्ज सोनिया और वाराणसी विकास प्राधिकरण से जवाब कौन मांगेगा? सवाल हमारे थोडा चुभते हुवे है इसीलिए जवाब नही आयेगा। एक आम ज़िन्दगी की सांसे थम गई है। सिगरा इस्पेक्टर मामले में गिरफ़्तारी करने की कोशिश जारी है का बयान दे रहा है। मगर कोशिश उनकी कितनी मजबूत है ये हम आपको अगले कड़ी में बतायेगे। जुड़े रहे हमारे साथ। हम दिखाते है वह सच जो वक्त की धुंध में कही दब कर रह जाती है।