ग्राम चौपाल महिला प्रधान की गैर मौजूदगी में हुआ सम्पन्न
फारुख हुसैन
सम्पूर्णानगर(खीरी)। प्रदेश की ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों की समीक्षा के उद्देश्य से हाल ही में विभिन्न गाँवों में ब्लाक अधिकारियों की तरफ से ग्राम चौपाल आयोजित किया गया जिसमें प्रदेश के योगी सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण अभियान की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई गईं। प्रदेश सरकार के फरमान के बावजूद गाँवों में महिला प्रधान की जगह पुरूष प्रधानी चलाते दिखे। बताते चलें कि लखीमपुर खीरी जिले के पलिया ब्लाक के गाँव रानीनगर कालोनी में वर्ष 2021 के प्रधानी चुनाव में सरकार ने महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से महिला प्रधान चुने जाने हेतु आरक्षण लागू किया परिणामस्वरूप गाँव की महिला बदामी देवी प्रधान के रूप में निर्वाचित हुईं।उनके निर्वाचन के समय से ही उनका पति व बेटा गाँव में प्रधानी चलाते हैं और दबंगई करते हैं।
प्रदेश के गाँवों में विकास कार्यों के सत्यापन के लिए आयोजित ग्राम चौपालों के क्रम में दो दिन पूर्व रानीनगर में बिना डुगडुगी पिटवाये, चौपाल भी लगाई गई जिसमें ब्लाक से एक नोडल अधिकारी व पंचायत सचिव तथा लेखपाल विकास कार्यों की समीक्षा करने पहुंचे जहां महिला प्रधान बदामी देवी की गैर मौजूदगी में ब्लाक के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने समीक्षा की। वहीं प्रधान की कुर्सी पर एक तरफ उनका बेटा जितेंद्र यादव मौजूद रहा तथा दूसरी तरफ प्रधानपति राम दुलारे यादव मौजूद रहे। दोनों ने प्रधानी चलाई ग्रामीणों के सवालों का अशोभनीय भाषा में जवाब भी दिया। यदि महिला प्रधान की जगह पुरुषों से ही प्रधानी कलवानी है तो फिर प्रधानी में महिला आरक्षण का क्या काम?
दूसरी बात प्रधान चुने जाने के बाद महिला की जगह उसके परिवार के पुरुष के ही प्रधानी चलाएंगे तो योगी सरकार के महिला सशक्तिकरण अभियान का क्या काम? क्या ऐसे ही सरकार महिला सशक्तिकरण अभियान को अमलीजामा पहनाएगी। मजेदार बात यह रही कि ब्लाक अधिकारियों ने भी महिला चौपाल के दौरान की कुर्सी पर बैठने की वास्तविक हकदार है को बुलवाना उचित नहीं समझा। महिला प्रधानों के कार्यों में परिवार के पुरुषों का दखल महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं तो और क्या है? योगी सरकार व उसके मातहतों को इसका संज्ञान लेना चाहिए जबकि सरकार ने पहले ही महिला की जगह पुरुष ने चलाई प्रधानी तो खैर नहीं का फरमान सुना चुकी है।