विवादित पोस्ट पर गिरफ्तार हुवे प्रो0 रतन को मिली ज़मानत, अदालत ने कहा “किसी एक व्यक्ति द्वारा महसूस भावना पर चोट पुरे समूह का प्रतिनिधित्व नही कर सकती, जाने क्या पेश हुई अदालत में दलील

शाहीन बनारसी

डेस्क: सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किए प्रोफ़ेसर रतन लाल को पुलिस ने शनिवार को कोर्ट में पेश किया था। एक ज़बरदस्त जिरह के बाद अदालत ने आज प्रोफ़ेसर रतन लाल को सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट न करने और किसी को साक्षात्कार न देने की शर्त पर ज़मानत दे दिया है। अदालत ने आज कहा है कि ” किसी व्यक्ति द्वारा महसूस की गई चोट की भावना पूरे समूह या समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती है और आहत भावनाओं के बारे में ऐसी किसी भी शिकायत को तथ्यों के पूरे स्पेक्ट्रम पर विचार करते हुए इसके संदर्भ में देखा जाना चाहिए।”

प्रोफ़ेसर रतन लाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने शिकायत की थी। अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि रतन लाल ने हाल ही में ‘शिवलिंग’ पर एक अपमानजनक और उकसाने वाला ट्वीट किया था। इसी मामले में संज्ञान लेते हुए पुलिस ने कार्रवाई की थी।दिल्ली यूनीवर्सिटी के हिंदू कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को शनिवार को दिल्ली पुलिस ने तीस हजारी कोर्ट में पेश किया।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने प्रोफेसर रतनलाल की रिमांड नही मांगी थी। पुलिस ने कहा था कि आरोपी की न्यायिक हिरासत चाहिए। एक पढ़े लिखे आदमी से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। ये केवल सोशल मीडिया पोस्ट नहीं था, बल्कि इसे यूट्यूब में भी डालने के लिए कहा जा रहा था। आरोपी आगे ऐसी गलती न करे, इसके लिए पुलिस उसे बिना नोटिस दिए, सीआरपीसी 41A के तहत गिरफ्तार कर सकती है? इस पर अदालत को जवाब देते हुए पुलिस ने कहा कि दो वीडियो हैं। ऐसे में आरोपी को 14 दिनों की जेसी पर भेजा जाए।

इस मुद्दे पर प्रो0 रतन लाल के वकील ने दलील देते हुवे कहा कि मामले में कोई केस ही नहीं बनता है। गिरफ्तारी छोड़िए, इनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज नहीं होनी चहिए। अभी तक सोशल मीडिया पोस्ट से कोई हिंसा नहीं हुई है। ऐसे में पुलिस सेक्शन 153A कैसे लगा सकती है। अगर किसी व्यक्ति की सहनशक्ति कम है, तो उसके लिए रतन कैसे ज़िम्मेदार हो सकते हैं। भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां हर किसी को बोलने की आजादी है। ये एफआईआर रद्द होनी चाहिए। प्रो0 के वकील की दलील सुनकर जज ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि अपने इन्हें बगैर नोटिस दिए गिरफ्तार क्यों किया?

इस पर दिल्ली पुलिस ने कहा कि इसमें इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस हैं। अगर नोटिस जारी करते तो एक क्लिक में सारे एविडेंस डिलीट कर देते। आरोपी अम्बेडकरवादी हैं। उन्हें बहुत लोग फॉलो करते हैं। अगर आप इतने शिक्षित हैं, तो आपको ज़िम्मेदार भी होना चाहिए। आपको ऐसी पोस्ट करने से पहले सोचना चाहिए। हमें इनके खिलाफ छह शिकायतें मिली हैं। इस पर प्रोफ़ेसर रतन के वकील ने दलील देते हुवे कहा कि उन्हें जेल नहीं भेजा जाना चाहिए। ये कानून का दुरुपयोग होगा। इस तरह होगा तो जेल बुद्धजीवियों से भर जाएगी। हालांकि, पुलिस का कहना था कि अगर इन्हें जमानत दी गई, तो समाज में गलत मैसेज जाएगा। अगर ये जमानत पर छूटे तो और भी लोग ऐसा करने का साहस करेंगे।

बताते चले कि रतन लाल को शुक्रवार की रात को गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने) और 295ए (धर्म का अपमान कर किसी वर्ग की धार्मिक भावना को जानबूझकर आहत करना) के तहत साइबर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। प्रोफ़ेसर रतन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने शिकायत की थी। अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि रतन लाल ने हाल ही में ‘शिवलिंग’ पर एक अपमानजनक और उकसाने वाला ट्वीट किया था। इसी मामले में संज्ञान लेते हुए पुलिस ने कार्रवाई की थी। लेकिन अब कोर्ट ने उन्हें राहत दी है।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *