ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण: अदालत कल सुनेगी सभी का पक्ष, अगली तारीख हुई 19 मई मुकर्रर
तारिक़ आज़मी/ए0 जावेद
वाराणसी। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में वजू खाने पर मिले शिवलिंग जिसको मस्जिद कमेटी लगातार फौव्वारा कह रही है, की जगह पर दर्शन-पूजन व वजू खाने के पास से शौचालय, मछलियों को हटाने की मांग पर आज बुधवार को सुनवाई हुई है। अदालत ने तीनों पक्षों की बातें सुनीं और आवेदन लिया। जिसमे मस्जिद कमेटी ने 2 दिनों का वक्त आपत्ति दाखिल करने के लिए मांगा है। इसके साथ ही सुनवाई के लिए अदालत ने कल गुरुवार की तिथि तय कर दी। कल अदालत इस मामले में दुबारा सुनवाई करेगी। वही मामले में कल सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होगी। इस प्रकरण में हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी।
जिला शासकीय अधिवक्ता सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय ने ज्ञानवापी में मानव निर्मित तालाब के पानी में सील बंद मछलियों को संरक्षित करने और वजू स्थल के पास से शौचालय हटाने को आदेश पारित करने के लिए आवेदन दिया। वहीं वादी पक्ष ने हटाए गए अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्र को छह और सात जुलाई की कमीशन कार्रवाई की रिपोर्ट दाखिल करने के लिए उचित आदेश देने को कहा। इस आवदेन पर अदालत ने प्रतिवादी पक्ष से आपत्ति मांगी। जिसके लिये मस्जिद कमेटी ने 2 दिनों की अदालत से मोहलत मांगी है। वही अदालत ने सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के लिए गुरुवार की तिथि तय की। आज किसी प्रकार का कोई फैसला नही आया है और अदालत इस मामले ने कल सुनवाई करेगी।
बताते चले कि वादी पक्ष की रेखा पाठक, मंजू व्यास, सीता साहू की ओर से मंगलवार को स्थानीय न्यायालय में आवेदन दिया गया था कि शिवलिंग की जगह पर दर्शन-पूजन के साथ ही वजू स्थल पर मिले शिवलिंग के नीचे और नंदी महराज के सामने तहखाने के उत्तरी और पूरब की चुनी हुई दीवारों को तोड़कर सर्वे करवाया जाए। परिसर में कई स्थानों पर रखे बांस, बल्ली, ईंट व बालू का मलबा हटवाकर भी सर्वे करवाने की मांग की गई।
इस दरमियान ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर हमारे प्रधान सम्पादक तारिक़ आज़मी से अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमिटी के जोइन्ट सेक्रेटरी एस0 एम0 यासीन ने फोन पर बात करते हुए कहा है कि वे शिवलिंग नहीं, फव्वारा है। जब मस्जिद बनी थी तभी से वजू खाना और फव्वारा है। ज्ञानवापी मस्जिद को जौनपुर के शर्की सुल्तानों ने बनाया था। जिसकी बाद में औरंगजेब ने मरम्मत कराई थी। ज्ञानवापी मस्जिद के पीछे मौजूद मंदिर का अवशेष अकबर के दीन इलाही का मरकज है। वहां मंदिर कभी नहीं था।