वाराणसी: दालमंडी के दूकानदारो द्वारा सिर्फ कारोबार ही नही, बल्कि नेक काम भी किया जाता है, एक गरीब की ऐसी मदद जानकार आपके भी लबो से निकल पड़ेगा तारीफ का लफ्ज़
ईदुल अमीन संग शाहीन बनारसी
वाराणसी: वाराणसी के चौक थाना क्षेत्र के दालमंडी को कुछ अमन के दुश्मनों द्वारा बदनाम करने की लाख कोशिशे होती रहती है। मगर हकीकत तो ये है कि यहाँ के कारोबारी सिर्फ कारोबार ही नही करते बल्कि नेक कामो के लिए भी मशहूर है। अब कल रविवार के रात की ही बात ले ले। कुछ दुकानदारों और स्थानीय नागरिको ने मिलकर ऐसा नेक काम किया कि आप भी जानकर अपने लबो को तारीफ करने से नही रोक पायेगे।
दरअसल हुआ कुछ इस तरह कि ईद के त्यौहार में महज़ दो दिन बचे होने के कारण दालमंडी में खरीदारों की भीड़ ज़बरदस्त है। इस भीड़ का फायदा उठाने वालो की भी कमी नही है। अभी रमजान के महीने में ही चौक पुलिस ने दो महिला पाकेटमार को पकड़ा था जो नकाब पहन कर पाकेट मार रही थी। इसके बाद भी एक महिला पाकेटमार को दुकानदारों ने पकड़ा था। वह भी पाकेट मार रही थी। इन सबके बावजूद लाख सतर्कता बरतने के बाद भी महिला पाकेटमार इलाके में सक्रिय है। जिसका शिकार कल देर रात खरीदारी कर रही एक युवती हो गई।
हुआ कुछ इस प्रकार की दालमंडी स्थित बंशीधर कटरे के पास एक दूकान पर एक युवती ईद की खरीदारी कर रही थी। इसी बीच मौका देख कर किसी महिला पाकेटमार ने उसके पर्स से 5 हज़ार रुपया गायब कर दिया। महिला ने जब अपने पर्स में दुकानदार को पैसे देने के हाथ डाला तो पैसे गायब थे। इतना बड़ा नुक्सान होने के सदमे से युवती वही चक्कर खाकर बैठ गई और जारोकतार रोने लगी। आसपास के दुकानदारो ने उसको पानी पिलाया और सबब जाना तो सभी हैरान रह गए। युवती ने बताया कि कई महीनो की मेहनत से बचाए हुवे पैसो से अपने गरीब माँ-बाप, भाई बहनों के लिए ईद की खरीदारी करने के लिए आई थी। पर्स में कुल 5 हज़ार रुपया था शायद किसी ने भीड़ में निकाल लिया।
शक के आधार पर दुकानदार ने अपने कैमरे को चेक किया तो कैमरे में एक महिला द्वारा उसके पर्स में हाथ डालते हुवे दिखाई दिया। महिला की शिनाख्त न हो सकने की सभावना थी क्योकि महिला ने अपनी साडी से मुह ढाका हुआ था। दुसरे तरफ दुकानदारों ने युवती के आंसू देखे और उसकी मज़बूरी समझी। ईद को एक और दिन महज़ बचे होने के कारण उसकी मज़बूरी को समझते हुवे आसपास के दुकानदारों ने आपस में पैसे इकठ्ठा करना शरू कर दिया।
बाबु भाई (भेजा), फ़िरोज़ खान, इरफ़ान, हाजी हारुन, फुरकान खान और फरीद आलम, नस्तइन आदि ने अपने पास से पैसे इकठ्ठा किये और युवती को कुल 10 हज़ार देते हुवे उसको तसल्ली दिया। दूसरी तरफ खुद्दार युवती किसी की मदद नही लेना चाहती थी। उसने ये मदद लेने से मना किया तो फुरकान खान और फरीद आलम ने युवती से कहा कि “क्या हम लोग तुम्हारे भाई नही है, अपने भाइयो से पैसे नही लोगी।” खुद्दार युवती के आँखों में इसको सुनकर आंसू आ गए। शायद ये आंसू ख़ुशी के रहे होंगे कि उसके पास से गायब हुई रकम के बदले उसको ऐसे बड़े दिल वाले भाई मिल गए। युवती को समझा बुझा कर इन कारोबारियों के द्वारा पैसे दिए गए। जिसके बाद युवती ने अपने परिवार के लिए ईद की खरीदारी किया और अपने घर वापस चली गई।
इस दरमियान हम भी वहा खड़े थे। हमने कोशिश किया कि एक तस्वीर ले ले। मगर दुकानदारों और कारोबारियों ने हमसे इल्तेजा किया कि किसी के मुश्किल वक्त पर ऐसे तस्वीर खिचवाना रब को बुरा लग जायेगा। उस गरीब की खुद्दारी को धक्का पहुच जायेगा। हम उनकी बात और दिलो के जज़्बात को समझ सकते थे। हमने फोटो नही लिया और पहले क्लिक किये दो फोटो भी डिलीट कर दिए। बेशक लोग दालमंडी को जितना बदनाम करे, मगर हकीकत ये है कि दालमंडी के कारोबारियों के अन्दर इंसानियत कूट कूट कर भरी हुई है।