सिर्फ सोते वक्त ही होते थे अलग, मुहब्बत और दोस्ती की बड़ी मिसाल “मुकेश और मुस्तफा” हुवे एक साथ दुनिया से रुखसत, ऐसी दोस्ती जिसे जानकर आपकी भी पलके हो जाएगी नम
तारिक़ आज़मी
वाराणसी: एक तरफ जहा नफरते अपनी खेती करने को बेताब है। जहा देखो वह मंदिर मस्जिद के मुद्दों पर आपका सबसे पसंदीदा चैनल और अख़बार बहस कर रहा है। एक एक पल की खबर को ऐसा दिखा रहा है कि ये खबर अगर आपसे छुट जाए तो शायद खाना न हज़म हो पाए। वही इसी समाज में मुकेश और मुस्तफा की मुहब्बत भी रहती है। जिसके बारे में आपको आपका पसंदीदा चैनल नही दिखाएगा। वो आपको इस मुहब्बत की कहानी नही दिखायेगा। हम आपको दोनों के मुहब्बत की दास्ताँ सुनाते है। अगर आपके दिल में इन्सनियाँ अपनी जगह आज भी बरक़रार रखती है तो आपकी पलकों के कोने भी इस मुहब्बत से नम हो जायेगे।
रामपुर के बिलासपुर स्थित खजुरिया थाना क्षेत्र के ग्राम अहरो की गोटियाँ मुकेश और मुस्तफा रहते थे। मुकेश महज़ 7 साल का था और मुस्तफा 10 साल का। दोनों की दोस्ती ऐसी थी कि दोनों सिर्फ रात को सोने के लिए ही अलग होते थे। मुकेश सुबह मुह अँधेरे उठते ही मुस्तफा को आवाज़ देता तो मुस्तफा मुकेश को। फिर दोनों दोस्त पूरा दिन एक साथ खाते, एक साथ पीते, एक साथ पढ़ते और एक साथ घूमते और खेलते थे। आखिर आज दोनों ने एक साथ इस दुनिया को भी रुखसत कहकर अपनी दोस्ती के मुहब्बत की निशानी ऐसी छोड़ी है कि शायद अब अहरो की गोटियाँ गाँव उनकी दोस्ती के लिए ही सदियों तक मशहूर रहे।
आज बुद्धवार को दोनों एक साथ अहरो के पूर्व ग्राम प्रधान कमरयार खां के तालाब पर नहाने गए थे। नारायणदास पासी का बेटा मुकेश पासी और हसीब खान शब्बू का बेटा मुस्तफा मामूर के हिसाब से खेलते खेलते जब गर्मी से परेशान हो गए तो नहाने गये थे। तालाब का निर्माण पूर्व प्रधान कमरयार खान ने मछली पालन के लिए किया हुआ है। मगर गाँव के बच्चे और बुज़ुर्ग इस गर्मी में उस तालाब का इस्तेमाल नहाने में भी करते है। शाम का करीब चार बज रहा था। मुकेश और मुस्तफा के साथ मुकेश की 8 साल की बहन प्रीती भी तालाब पर पहुची थी।
प्रीती तालाब के बाहर से ही अपने दोनों भाइयो को नहाते हुवे देख रही थे। इस दरमियान मुकेश थोडा आगे चला गया और गहरे पानी में पहुच कर डूबने लगा। मुस्तफा अपने दोस्त को डूबता देखता है तो वह भी उसके पास पहुचता है उसको बचाने के लिए। इसके बाद मुस्तफा और मुकेश दोनों डूबने लगते है। अपने दोनों भाइयो को डूबता देख प्रीती जोर जोर से चिल्लाने लगती है। जिसकी आवाज़ सुनकर गाँव के लोग दौड़ते हुवे आये और दोनों को बाहर निकाल। मगर तब तक मुकेश और मुस्तफा दोनों इस दुनिया को एक साथ रुखसत कर गए।
सुचना मिलने पर पूरा गाँव मौके पर पहुच गया। दोनों की मासूम दोस्ती और मासूमियत के साथ इस दोस्ती में दोनों की मौत देख कर पत्थर भी रोने लगता है। मुहब्बत अपना साथ लेकर इस दुनिया से रुखसत हो चुकी थी। दोनों मासूम की दोस्ती भले इस दुनिया से उनके साथ रुखसत हुई मगर दोनों की दोस्ती और मुहब्बत को ये गाँव कभी नही भूल पायेगा। दोनों की दोस्ती को देख कर मौके पर पहुचे थाना प्रभारी विनय कुमार भी अपने आंसू भले छिपा रहे थे मगर पलके उनकी भी नम हो गई थी। परिजनों ने पीएम करवाने से मना किया तो दोनों मासूम की मय्यत को उन्होंने पंचनामा भर कर परिजनों के हवाले कर दिया। खबर लिखे जाने तक मिली सुचना के अनुसार दोनों का अंतिम संस्कार भी एक साथ करने की तैयारी परिजन कर रहे है।
नफरतो को बढाने वाली खबरे आपने बहुत देख सुन लिया। आज मुहब्बत की इस दास्ताँ की मासूमियत को जानकार आपने पलकों के कोने बेशक नम हो गए होंगे। शायद रब को भी अपने जन्नत में इस मासूम दोस्ती की ज़रूरत थी तभी तो उसने इन दोनों मासूमो को इतनी जल्दी अपने पास बुला लिया।