उपराष्ट्रपति चुनाव की हुई घोषणा, जाने कब होंगे चुनाव
तारिक़ खान
डेस्क: देश के मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 11 अगस्त को समाप्त हो रहा है। ऐसे में हर किसी की नजर राष्ट्रपति चुनाव के साथ-साथ उपराष्ट्रपति चुनाव पर भी टिक गई है। दरअसल, राष्ट्रपति पद का चुनाव 18 जुलाई को होगा और 21 जुलाई को नतीजे आएंगे। चूंकि भाजपा और विपक्ष पहले ही राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों का एलान कर चुके हैं, इसलिए अब उपराष्ट्रपति पद के लिए चेहरों की खोज तेज हो गई।
आज चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए तारीखों का भी एलान कर दिया है। चुनाव के लिए अधिसूचना 5 जुलाई को जारी होगी। उम्मीदवार इसके लिए 19 जुलाई तक नामांकन दाखिल कर सकते हैं। चुनाव के लिए आयोग ने छह अगस्त की तारीख तय की है। इसके बाद सियासी सरगर्मियां तेज़ हो गई है और राष्ट्रपति चुनाव के तरीके से उपराष्ट्रपति चुनाव में भी कांटे की टक्कर होने की संभावना प्रतीत हो रही है।
क्या फर्क है राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में
- उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से होता है। संसद के दोनों सदनों के सदस्य इसमें हिस्सा लेते हैं। हर सदस्य केवल एक वोट ही डाल सकता है। राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचित सांसदों के साथ-साथ विधायक भी मतदान करते हैं लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते है।
- राष्ट्रपति चुनाव में मनोनीत सांसद वोट नहीं डाल सकते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसा नहीं है। उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसे सदस्य भी वोट कर सकते हैं। इस तरह से देखा जाए तो उपराष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के 790 निर्वाचक हिस्सा लेते हैं। इसमें राज्यसभा के चुने हुए 233 सदस्य और 12 मनोनीत सदस्यों के अलावा लोकसभा के 543 चुने हुए सदस्य और दो मनोनीत सदस्य वोट करते हैं। इस तरह से इनकी कुल संख्या 790 हो जाती है।
कौन लड़ सकता है चुनाव?
- भारत का नागरिक हो।
- 35 साल वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
- वह राज्यसभा के लिए चुने जाने की योग्यताओं को पूरा करता हो।
- उसे उस राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता होना चाहिए।
- कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य सरकार के अधीन या किसी अधीनस्थ स्थानीय प्राधिकरण के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, वह इसका पात्र नहीं हो सकता है।
- उम्मीदवार संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होना चाहिए। अगर वह किसी सदन का सदस्य है तो उसे उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद अपनी सदस्यता छोड़नी पड़ेगी।