ज्ञानवापी प्रकरण: एसएम यासीन और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग वाली याचिका ख़ारिज, अदालत ने कहा “प्रतीत होता है कि संवेदनशील मामले के लाइमलाइट में बने रहने के लिए दिया प्रार्थना पत्र”
शाहीन बनारसी
वाराणसी: “मामला संवेदनशील है, सिविल कोर्ट में विचारणीय है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रार्थी ने संवेदनशील मामले में अपना हित साधने और लाईमलाइट में बने रहने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है, जो उचित नहीं प्रतीत होता है।“ स्पेशल सीजेएम ने आज अंजुमन मसाजिद इंतेजामिया कमेटी के एसएम यासीन और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग वाले प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुवे यह टिप्पणी किया है।
बताते चले कि रोज़-ब-रोज़ इस संवेदनशील मामले में कोई न कोई नया मोड़ आ जाता है और कोई एक प्रार्थना पत्र अथवा याचिका दाखिल होती है। इसी क्रम में सीआरपीसी 156 (3) के तहत एक प्रार्थना पत्र स्पेशल सीजेएम सर्वोत्तम नागेश वर्मा की अदालत में दाखिल कर मांग किया था कि अंजुमन मसाजिद इंतेजामिया कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाये। अधिवक्ता राजा आनंद ज्योति सिंह की जानिब से दाखिल इस याचिका में कहा गया था कि सनातन धर्मियों की धार्मिक भावना को आहत करने के आरोप में मुस्लिम पक्ष पर मुकदमा दर्ज करे।
अदालत ने याचिका को सुनवाई योग्य न पाते हुए उसे खारिज कर दिया है। अधिवक्ता की याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं है, इसे लेकर कोर्ट में सोमवार को जिरह हुई थी। मंगलवार को कोर्ट ने कहा कि प्रकरण संवेदनशील है और सिविल कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रार्थी ने संवेदनशील मामले में अपना हित साधने और लाईमलाइट में बने रहने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है, जो उचित नहीं प्रतीत होता है। इसलिए प्रार्थना पत्र को खारिज किया जाता है।
बताते चले कि अधिवक्ता राजा आनंद ज्योति सिंह का इस प्रार्थना पत्र में कहना था कि ज्ञानवापी में शिवलिंग होने की जानकारी होने के बाद वहां पर हाथ-पैर धोकर सनातन धर्मियों की धार्मिक भावना को आहत किया गया। इस प्रकरण की शिकायत पुलिस से की गई लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इसलिए कोर्ट से मांग की गई है कि मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी एसएम यासीन व उसके सदस्यों और 1000 अज्ञात लोगों पर केस दर्ज करने का आदेश दिया जाए।