दर्शन-पूजन की जिद्द पर अड़े स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने छोड़ा अन्न जल, प्रशासन ने मामला अदालत में होने का दिया हवाला तो बोले शंकराचार्य का आदेश सर्वोपरी है, जाने क्या है अभी स्थिति
ए0 जावेद/ईदुल अमीन
वाराणसी: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को लेकर आज सुबह से प्रशासन की जद्दोजेहद जारी है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि उनके गुरु स्वामी स्वरूपानंद ने आदेश दिया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के वज़ुखाने में मिले शिवलिंग की पूजा करना है, जिस क्रम में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद शनिवार सुबह 8:30 बजे श्री विद्यामठ से काशी विश्वनाथ धाम के लिए निकले। पुलिस ने मठ के दरवाजे पर ही उनको रोक लिया और बाहर निकलने से मना कर दिया। प्रशासन कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है
इसके बाद पुलिस द्वारा रोके जाने से नाराज़ हुवे स्वामी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अन्न जल त्याग कर धरने पर बैठ गए है। उनका कहना है कि जब तक ज्ञानवापी में वह दर्शन पूजन नही कर लेते है तब तक वह अन्न जल ग्रहण नही करेगे। सुबह से ही मामलो को लेकर गहमागहमी रही। इस दरमियान दोपहर सवा तीन बजे के करीब स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पुलिस को चकमा देकर मठ से श्री काशी विश्वनाथ धाम के लिए निकल पड़े। पुलिस प्रशासन को जब इसकी सूचना मिली तो सोनारपुरा चौराहे पर पुलिस ने उनको रोक कर मठ में वापस भेज दिया। केदारघाट समेत श्री विद्यामठ को पुलिस ने छावनी में तब्दील कर दिया है और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को हाउस अरेस्ट कर लिया गया है। श्रीविद्या मठ पर चल रही गतिविधियों की जानकारी पुलिस कमिश्नर लगातार एसीपी भेलूपुर और एलआईयू के अधिकारियों से पल पल की ले रहे है।
बोले स्वामी अविमुक्तरेश्वनद: शंकराचार्य का आदेश सर्वोपरी है
अनशन की सूचना के बाद डीसीपी काशी राजेश गौतम व एसीपी भेलूपुर प्रवीण कुमार ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को मामला न्यायालय में विचाराधीन होने का हवाला देकर मनाने की कोशिश की परंतु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अपने गुरु शंकराचार्य के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सनातन धर्म में शंकराचार्य श्रेष्ठ होते हैं। उनका आदेश हमारे लिए सर्वोपरि है। अन्य कोई आदेश हमारे लिए उनके आदेश के बाद ही आता है। प्रकट हुए शिवलिंग यदि कैद में रखे हुए हैं तो उन्हें भोग लगाना जरूरी होता है। वे अंदर नहीं जाना चाहते। बाबा विश्वेश्वर को भोग प्रशासन का प्रतिनिधि पुजारी ही लगाए। उन्हें आपत्ति नहीं होगी लेकिन पूजन व भोग लगना जरूरी है। अगर जिला प्रशासन यह कह दे कि बाबा को भोग लग गया है तो वह अपना अनशन समाप्त कर देंगे।
कहा हमारे भगवान बिना खाए पिए बैठे है
एक तरफ जहा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अपने आराध्य की पूजा का हवाला देते रहे वहीं पुलिसकर्मी अनुमति नहीं होने का। अंत में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मौके पर ही अन्न-जल त्याग करके अनशन की घोषणा कर दी। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हमको पूजा से मतलब है, पूजा के अधिकार से मतलब नहीं है। जो न्यायालय में दूसरे पक्षकार जा रहे हैं, वो पूजा का अधिकार मांग रहे है। न्यायालय में दो महीने बाद उनको अधिकार मिलेगा चलेगा, हम कोई अधिकार नहीं मांग रहे है। हम भगवान की पूजा मांग रहे है। कोई भी पूजा कर दे हमको संतोष हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि हमारे भगवान बिना खाए पिए बैठे हैं, हमारी बस यही भावना है हमारी इस भावना को क्यों नहीं सुना जा रहा है क्यों नहीं समझा जा रहा है? स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने कहा कि हम मठ से विश्वेश्वर शिवलिंग की पूजा करने के लिए निकलेंगे। पीछे नहीं जाएंगे। मौका जैसे-जैसे मिलेगा विश्वेश्वर महादेव की ओर बढेंगे। जहां तक न्यायालय की बात है वह विश्वेश्वर शिवलिंग का अस्तित्व न माने तो मैं अपना संकल्प छोड़कर वापस हो जाऊंगा। लेकिन मेरे विचार से यह मुस्लिम पक्ष के अनुसार फव्वारा नहीं है, शिवलिंग ही है।
चप्पे चप्पे पर है पुलिस की पैनी नज़र
श्रीविद्या मठ के चारों तरफ दस थानों की फोर्स लगा दी गई। बड़ी संख्या में पुलिस और पीएसी की ड्यूटी लगाई गई। मठ के मुख्य प्रवेश द्वार पर 50 सिपाही और घाट किनारे पिछले दरवाजे पर सौ पुलिसकर्मी एक प्लाटून पीएसी के जवान और 12 उपनिरीक्षक और छह निरीक्षक और दो एसीपी की ड्यूटी शनिवार की सुबह पांच बजे लगा दी गई थी। मठ के पिछले दरवाजे पर जल पुलिस के 10 जवान चार मोटर बोट लेकर गंगा में तैनात रहे।