कल पूरा मुल्क मनायेगा ईद-उल-अजहा, जाने आलम-ए-इस्लाम में कितना महत्व रखता है कुर्बानी का ये त्यौहार
शाहीन बनारसी
ईद-उल-अजहा जिसको बकरीद भी कहा जाता है, मज़हब-ए-इस्लाम में अकीदत रखने वालों के लिए खास त्योहार होता है। इसे बकरा ईद, बकरीद, ईद-अल-अजहा भी कहा जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक यह साल का आखरी महिना होता है। इस महीने को जु-अल-हज्जा कहा जाता है। इस माह की 10वीं तारीख को यह त्यौहार मनाया जाता है। इस बार यह त्यौहार कल यानी 10 जुलाई रविवार को मनाया जाएगा। ईद-अल-अजहा ईद-उल-फितर के बाद इस्लाम मज़हब का सबसे बड़ा त्योहार है। यह पर्व कुर्बानी के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बकरे, दुम्बे आदि की कुर्बानी दी जाती है।
यह त्यौहार इस्लाम मज़हब के अनुसार पैगम्बर हजरत ईब्राहिम जिनको कुरआन में खालिलुल्लाह कहा खुद रब्बुल आलमीन ने कहा है, से अल्लाह ने इम्तेहान लेने के बनिस्बत अपनी सबसे अज़ीज़ चीज़ की कुर्बानी देने को कहा था। अल्लाह के हुक्म पर हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने अल्लाह की राह में अपने अज़ीज़ साहेबजादे हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम को कुर्बान करने के लिए पहाड़ी पर लेकर गए थे। जैसे ही पैगंबर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने अपने साहबजादे हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम के गर्दन पर चुरी चलाया उसी वक्त अल्लाह के हुक्म से हजरत इस्माइल की जगह एक दुम्बा (बकरे की एक नस्ल) ने ले लिया और फ़रिश्ते ने इस्माइल अलैहिस्सलाम को वहा से हटा दिया। तभी से ईद-उल-अजहा पैगंबर इब्राहिम के विश्वास को याद करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। बकरे की कुर्बानी के बाद उसके गोश्त को तीन हिस्सों में तकसीम किया जात है। पहला हिस्सा रिश्तेदारों को दिया जाता है। वहीं, दूसरा हिस्सा गरीबों को और तीसरा हिस्सा अपने कुनबे के लिए होता है।
इस्लाम धर्म में हिजरी संवत चंद्र कैलेंडर पर आधारित है। यही वजह है कि बकरीद पर्व का ऐलान भी चांद के हिसाब से किया जाता है। इस साल बकरीद का पर्व 10 जुलाई, 2022 को मनाया जाएगा। इस माह के बाद इस्लामी कलेंडर का नया साल शुरू होता है। मुहर्रम की पहली तारीख इस्लामी कलेंडर में पहला दिन होता है। कहा जाता है कि इस्लाम के साल की शुरुआत कुर्बानी से होती है (शहादत-ए-कर्बला) और आखिर भी कुर्बानी से होती है। इस साल ईद-उल-अजहा के मुक़द्दस मौके पर आप अपने करीबियों को इन सदेशो से बधाई दे सकते है।
(यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। PNN24 न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है।)