जावेद पंप के भवन को उस शिकायती पत्र पर किया था ज़मीदोज़ जिसके शिकायतकर्ताओं को कोई जानता ही नही है, और न ही उनके पते लिखे है
शाहीन बनारसी
जावेद पंप के मकान को ज़मीदोज़ किये जाने के खिलाफ जावेद पंप की पत्नी परवीन फातिमा की ओर से इस कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में अब एक नया मोड़ आया है। प्रकरण में अदालत ने राज्य सरकार और पीडीए से जवाब मांगा था। प्राधिकरण की तरफ से दाखिल किये गये जवाब में एक हलफनामा पेश किया गया है। जिसमे कार्यवाही का आधार एक शिकायती पत्र को बताया गया है। जिस पर प्रेषक के तौर पर सभी मोहल्लावासी लिखा हुआ है और इस पर नूर आलम, सरफराज व मो0 आजम लिखा हुआ है।
सबसे बड़ी बात ये है कि जिस पत्र को आधार बता कर प्राधिकरण ने इतनी बड़ी कार्यवाही अंजाम दिया है उस पत्र में प्रेषकों के नाम तो है मगर पते नही लिखे है। ऐसे पत्र को प्राधिकरण ने कार्यवाही का आधार एक शिकायती पत्र भी बताया गया है। साफ़ बात है कि कोर्ट में प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने जिस शिकायती पत्र का हवाला देकर कार्रवाई की बात कही है, उसमें शिकायतकर्ताओं के सिर्फ नाम है। उनका मकान नंबर या पते की जानकारी इस पत्र में नहीं है। वहीं सोशल मीडिया पर चर्चा है कि स्थानीय लोग भी शिकायतकर्ताओं का पता नहीं जानते। इस बारे में पीडीए के अफसरों से बात करने की कोशिश किया तो कोई कुछ बोलने को तैयार ही नही है।
वही इंस्पेक्टर करेली अरविंद कुमार गौतम का कहना है कि उन्हें इन नामों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। हालांकि उनका यह भी कहा कि अतिक्रमण संबंधी शिकायत पीडीए या नगर निगम को ही जाती है। उधर करेली चौकी प्रभारी रवि कटियार ने भी यही बात कही। अतिक्रमण संबंधी शिकायत के लिए उनके पास पत्र क्यों आएगा। जबकि पीडीए के सचिव अजीत कुमार सिंह का कहना है कि मामला कोर्ट में है, ऐसे में इस पर कुछ भी कहना उचित नहीं है। मगर अब एक बड़ा सवाल चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा इतनी बड़ी कार्यवाही एक गुमनाम किस के शिकायत पर किया था? क्या शिकायतकर्ता के बारे में भी जानकारी नही किया कि आखिर शिकायतकर्ता है कौन? बहरहाल, लगता है कि अदालत में इस पत्र को लेकर प्राधिकरण को काफी जवाब देने पड़ सकते है।