वाराणसी: पानदरीबा चौकी इंचार्ज साहब…! ये जो आपकी पुलिस चौकी के पीछे और आगे टोटो लैंड बनता जा रहा है उस पर आपकी निगाह-ए-इनायत इतनी क्यों है ?
शाहीन बनारसी
वाराणसी: वाराणसी के चेतगंज थाना क्षेत्र स्थित पानदरीबा पुलिस चौकी आज कल चर्चाओं का केंद्र बनी हुई है। जब से ये पुलिस चौकी अस्तित्व में वर्त्तमान स्थान पर आई है। तब से आज तक इतनी चर्चा का केंद्र नही रही जितनी स्थानीय नागरिको के लिए अब चर्चा का केंद्र बनी हुई है। चर्चाओं का केंद्र होने के मुख्य कारण यहाँ पर टोटो को मिली मौन स्वीकृति है।
पुलिस चौकी के ठीक सामने टोटो आराम से सड़क पर खड़े होकर सवारी भरते है। जिसको कोई रोकने टोकने वाला नही है। पुलिस चौकी प्रभारी को शायद इससे कोई हर्ज नही कि इन टोटो के वजह से अक्सर सड़क जाम हो जाती है और आम नागरिको को दिक्कत आती है। लाइन से टोटो सडक पर खड़े करके सवारी उठाने वाले टोटो चालको और ऑटो के कारण सड़क जाम अक्सर हो जाता है। मगर स्थानीय पुलिस कर्मियों को ये दिखाई नही देता है।
सबसे अधिक मुसीबत तो पुलिस चौकी के पीछे चिकियाने इलाके में स्थित पतली गलियों में होती है। बनिया से नईसड़क जाने वाले रास्ते पर टोटो और ऑटो प्रतिबंधित होने के बाद पहले इस गलियों का इस्तेमाल बहुत ही कम होता था। मगर अब शायद विशेष अनुकम्पा के कारण इन गलियों को टोटो लैंड में तब्दील कर दिया गया है। कुछ तो पुलिस चौकी के आगे स्थित मंदिर से होते हुवे इन गलियों में प्रवेश कर नियमो को धता बताते हुवे नई सड़क गोदौलिया चले जाते है, और बहुत तो ऐसे है जो पुलिस चौकी के आगे से होकर ही इन गलियों के अन्दर जाते है।
जमकर गलियों में सुबह से लेकर देर रात तक टोटो और ऑटो लैंड बन जाता है। इस विशेष अनुकम्पा का कारण हमको तो नही पता मगर क्षेत्र में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार गुप्ता जी की विशेष कृपा दृष्टि इसके ऊपर है। कहने को तो गुप्ता जी सिपाही है, मगर लोग बताते है मिनी चौकी इंचार्ज के रूप में पूरा मामला हैंडल कर लेते है। शायद इस टोटो और ऑटो लैंड बनाने में भी गुप्ता जी का मैनेजमेंट काफी काम आता होगा। वैसे गुप्ता जी पूर्व चौकी इंचार्ज के समय में कोई विशेष अनुकम्पा के कार्य नही देखते थे। मगर नए चौकी इंचार्ज साहब के कारखास बन चुके है।
यही नही, जिस जुआ को सभी चौकी इन्चार्जो ने मिल कर बंद करवा रखा था, सूत्रों की माने तो वह जुआ भी शुरू हो चूका है। मंदिर के आगे बढने पर प्राइमरी पाठशाला के गेट पर देर रात तक गली में बैठ कर जुआ की फड ज़बरदस्त फडफडाते रहते है। मगर बात यहाँ पर फिर एक बार विशेष अनुकम्पा की आती है कि आखिर रोकेगा कौन?