कर्बला में शहीद हुए आले रसूल की याद में निकले 18 बनी हाशिम के ताबूत और अलम, अश्कबार हुईं आंखें,

राजू आब्दी
 
झाँसी : कर्बला के शहीदों की याद में अंजूमन खुद्दाम -ऐ-बनी हाशिम के तत्वावधान में बनी हाशिम के 18 शहीदों का ताबूत, अलम, जुलजनाह निकाला गया। जानकारी के अनुसार कर्बला में दसवीं मुहर्रम को हजरत इमाम हुसैन अपने परिवार के सदस्यों, साथियों व सहाबियों के साथ शहीद कर दिए गए थे। उनका परिवार अरब के हाशिम कबीले से था। यह पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्ल्लाहो अलैही वसल्लम का खानदान था। इसी खानदान के 18 जवानों का ताबूत निकाले गये। इसे 18 बनी हाशिम कहा जाता है।
मेवातीपुरा स्थित इमाम बारगह अबुतालिब पर कुरआन शरीफ की तिलावत से मौलाना इक़तिदार साहब ने शुरूआत की गई।मर्सियाखानी बुलबुले हिन्द जनाब हसन अली साहब ने की, इसके बाद गोपालपुर से आये मीसम गोपालपुरी ने अपने कलामो से सब का मुह मोह लिया मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना शाहिद हसन रिज़वी साहब (मुम्बई)ने कहा नबी हजरत मोहम्मद सल्ललाहो अलैही वसल्लम से अल्लाह इतना प्यार करता है कि उनके बदन में साया नही बनाया। इसका मकसद था कि किसी दूसरे का पैर नबी के साये पर नहीं पड़े। उन्होंने नबी की दूसरी फजीलतों को भी ब्यान किया।
उन्होंने लोगों को अपने खास अंदाज में दीन-ए-इस्लाम की बातों को समझाया। कहा कि इंसान को मेहनत करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। ईमानदारी से दौलत कमानी चाहिए। इसमें बरक्त होती है। मेहनत तो हमारे पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्ललाहो अलैही वसल्लम भी करते थे। वे बकरियां चराया करते थे। हजरत अली यहुदी के बाग में पानी पटाया करते थे। वे हम सबको जीने का सलीका बता गए। मेहनत करने में शर्म नहीं करनी चाहिए। हराम की कमाई दौलत में बरकत नहीं होती। यह कमाई ईमान को कमजोर कर देती है।
बाद मजलिस मसायब तकरीर करते हुए मौलाना साबिर रजा साहब (बिहार) ताबूत का परिचय कराकर ताबूतो निकलवाया जिसमे सबसे अंतिम में इमाम हुसैन का ताबूत निकला जिसपर तीरों को देखा जा सकता था। जिसे देख कर सबकी आखों से आंसुओं निकलने पर विवश कर दिया। कार्यक्रम में पुरुषों से ज्यादा संख्या में महिलाओं की उपस्थिति दिखी। बाद तकरीर मंगलोर से विशेष निमंत्रण पर आये नोहाखान कमाल मेंहदी साहब ने नोहाख़ानी की जिस पर अंजुमन सदाये हुसैनी ने मातम किया अंत में आए हुए लोगों व प्रशासन का धन्यवाद अंजुमन के संयोजक मौलाना नवेद हैदर आब्दी ने किया।
इस में झाँसी के अलावा दूसरे शहर व गांवों से शिरकत करने आए लोगों ने हजरत इमाम हुसैन को श्रद्धांजलि दी। इसमें मुख्य रूप से मौलाना नज़र अब्बास साहब, मौलाना इक़तिदार साहब, सैय्यद जावेद अली,अली कमर साहब, राजू आब्दी साहब, सैयद अता आब्दी, सैयद फुरकान हैदर, अज़ीम हैदर, नदीम हैदर, अली समर, समीर, सैयद फिरोज हुसैन, सैयद फैज़ान आब्दी, सैयद फरहान आबदी, सैयद आमिरआब्दी, सैयद अनवर नकवी,  के अलावा अंजुमन अब्बासिया, अंजुमन अलविया, अंजुमन सदाये हुसैनी के सभी सदस्यों ने मिलकर कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग किया।

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