कांग्रेस अध्यक्ष पद हेतु चुनाव में शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच हो सकती है कांटे की टक्कर
तारिक खान
डेस्क: 20 साल में यह पहला कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव है। गांधी परिवार के सदस्यों ने पार्टी का नेतृत्व करने के लिए अन्य वरिष्ठ नेताओं के लिए रास्ता बनाने के लिए खुद चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। अब कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए दो वरिष्ठ नेताओं शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है। दोनों ही वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने अपने नामांकन दाखिल कर दिए है।
अध्यक्ष पद के इस चुनाव में दिग्विजय सिंह रेस से बाहर हो चुके हैं। उन्होंने गुरुवार को नामांकन पत्र लिया था मगर आज सुबह खड़गे से मुलाकात के बाद चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। अशोक गहलोत इस पद के लिए रेस में सबसे आगे चल रहे थे, लेकिन जब उनके वफादारों द्वारा विद्रोह द्वारा बाजी पलट गई। राजस्थान के विधायक सचिन पायलट को सीएम के तौर पर स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं जिन्होंने 2020 में अशोक गहलोत के खिलाफ विद्रोह किया था।
वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के करीबी नेता केसी वेणुगोपाल ने मल्लिकार्जुन खड़गे को आलाकमान के फैसले से अवगत कराया कि गांधी परिवार इस चुनाव में निष्पक्ष रहेंगे और वह अध्यक्ष पद की रेस में शामिल हो सकते हैं। 17 अक्टूबर को होने वाले चुनाव के लिए शशि थरूर के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस में एक पद एक व्यक्ति के नियम के आधार पर मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष पद के लिए राज्यसभा में विपक्ष के नेता के पद से इस्तीफा देंगे।
यही नियम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भी लागू हुआ, जो गुरुवार को सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद इस दौड़ से बाहर हो गए थे। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि वह अपने वफादारों द्वारा सार्वजनिक विद्रोह के लिए “नैतिक जिम्मेदारी” लेते हुए चुनाव नहीं लड़ेंगे और उन्होंने सोनिया गांधी से माफी मांगी है। इस बीच असंतुष्टों के “जी-23” समूह के एक प्रमुख सदस्य और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने (जिन्होंने पार्टी में संगठनात्मक परिवर्तन को लेकर 2020 में सोनिया गांधी को एक खत लिखा था) भी खड़गे की उम्मीदवारी का समर्थन किया है।
सूत्रों के मुताबिक-कांग्रेस के एक अन्य नेता अजय माकन के नाम पर भी गुरुवार रात विचार किया गया था क्योंकि कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानना था कि इस पद के लिए किसी युवा लीडर को चुनना चाहिए। वहीं जी 23 के नेताओं में से एक मुकुल वासनिक भी इस दौड़ का हिस्सा हो सकते हैं।