वाराणसी: लल्लापुरा के सरफराज़ की संदिग्ध मौत प्रकरण में अदालत ने दिया मृतक के पिता और भाईयो पर हत्या सहित अन्य गम्भीर धाराओ में FIR दर्ज करने का आदेश, जाने किन सवालो का जवाब नही तलाश पाए थे पूर्व थाना प्रभारी

शाहीन बनारसी

वाराणसी: वाराणसी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विजय कुमार विश्वकर्मा की अदालत ने कल देर शाम लल्लापूरा निवासी सरफ़राज़ की मौत के मामले में मृतक की पत्नी के आवेदन को स्वीकार करते हुवे मृतक के पिता खलील खान उर्फ़ लक्कड़, मृतक के भाई महबूब, मोहसिन और छोटू पर हत्या तथा अन्य गम्भीर धाराओ में मुकदमा दर्ज करने का आदेश सिगरा पुलिस को दिया है। बताते चले कि उक्त प्रकरण में मृतक की पत्नी ने अदालत में 156(3) के तहत वाद दाखिल कर अदालत से गुहार लगाया था।

घटना के दिन का फोटो

दाखिल वाद में मृतक की पत्नी ने अदालत से गुहार लगाते हुवे कहा था कि उसका विवाह मृतक के साथ नवम्बर 2015 में हुआ था। जिसके बाद उसके ससुर खलील खान और देवर महबूब, मोहसिन और छोटू के द्वारा संपत्ति के लालच में उसके औलाद नही होने देना चाहते थे और उसको तथा उसके मृतक पति को धमकी देते हुवे दो बार पूर्व में गर्भपात करवा चुके थे। जिसके बाद मृतक ने गर्भ के सम्बन्ध में गोपनीयता बनाते हुवे उसको घर से हटा दिया था जिससे उसको एक बेटा हुआ। पत्नी और बेटे की अपने पिता और भाइयो से सुरक्षा के दृष्टिगत मृतक ने अपने पत्नी और बेटे को घर से हटा दिया। मृतक की पत्नी ने अदालत को बताया कि उसके पति को कारोबार में केवल एक नौकर की स्थिति में रखा जाता था। उसके संपत्ति और पैसो को उसके पिता और भाई हड़प जाते थे और सपत्ति के लालच में वह लोग मेरे बेटे के भी दुश्मन बने हुवे थे।

अदालत में दाखिल दावे में मृतक की पत्नी ने गुहार लगाते हुवे बताया कि दिनांक 1 जुलाई 2022 की शाम को उसके ससुर खलील अहमद, देवर महबूब, मोहसिन और छोटू ने उसके पति सरफ़राज़ की हत्या कर उसके शव को छत से लटका कर आत्महत्या का रूप दिया जिसकी जानकारी उसको उसके पड़ोसियों के मध्यम से मिलने पर उसने थाना सिगरा को सूचित किया और लाश पोस्टमार्टम हेतु गई। अंतिम संस्कार के पूर्व भी उसको उसके पति का अंतिम दर्शन नही करने दिया गया और उसका स्त्रीधन छीन कर घर से निकाल दिया गया तथा उसके भाइयो को जान से मारने की धमकी और गाली गलौंज किया गया। जिसके बाद साजिशन मामले में आईपीसी 306 के तहत अपराध संख्या 275/22 सिगरा थाने पर कानून से बचने के लिए उसके और उसके भाइयो के खिलाफ दर्ज करवा दिया। अदालत ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुवे मामले में सिगरा पुलिस से रिपोर्ट तलब कर सिगरा थाने को सुसंगत धाराओ में मुकदमा दर्ज करने का आदेश पारित किया है। समाचार लिखे जाने तक आदेश की प्रति थाना सिगरा पहुच जाने की जानकारी हासिल हो रही है।

क्या है वह सवाल जिनका पूर्व थाना प्रभारी नही तलाश कर पाए जवाब

लल्लापुरा इलाके में स्थित एक रात की मस्जिद के पास निवास करने वाले युवक सरफ़राज़ की संदिग्ध मौत प्रकरण में तत्कालीन थाना प्रभारी धनञ्जय पाण्डेय कई सवालो के जवाब शायद तलाश नही पाए थे। थाना स्थानीय पर घटना के दिन यानी 1 जुलाई 2022 को रात में दोनों पक्ष थाने पर मौजूद थे और दोनों के ही तहरीर के आधार पर पञ्चनामा तत्कालीन सिगरा इस्पेक्टर द्वारा तैयार करवाया गया था। मगर मामले में कई बारीक सवाल मुह बाए खड़े थे जिसका उत्तर शायद पुलिस को पहले ही तलाश लेना चाहिए थे।

मृतक की पत्नी द्वारा घटना के दिन सिगरा पुलिस को रात लगभग 10 बजे बताया गया कि उसके पड़ोसियों ने उसको फोन पर बताया है कि उसके पति ने शायद फांसी लगा लिया है। यहाँ सबसे पेचीदा सवाल था कि घटना शाम लगभग 7:30 बजे शाम की थी। मृतक के पिता और भाई की माने तो वह लोग कबीर चौरा अस्पताल लेकर गए और फिर ट्रामा सेंटर गए। मगर इन दोनों जगह पर कोई भी पुलिस मेमो इस दावे की हकीकत नही बयाना कर रहा है। रात करीब दस बजे मृतक की पत्नी अपने मायके पक्ष के लोगो के साथ जब ताने आती है तब पुलिस को मामले की जानकारी होती है। जानकारी होने पर मौके पर तत्काल सिगरा पुलिस जाती है और मामले में तफ्तीश करती है। जिसके बाद रात करीब 11 बजे मृतक के पिता और भाई सहित दर्जनों मोहल्ले के लोग सिगरा थाने आ जाते है और ह्गामा करना शुरू कर देते है।

उस समय मृतक की पत्नी बेनियाबाग़ के भीखाशाह गली निवासिनी ने पुलिस को बताया था कि उसका विवाह वर्ष 2015 में लल्लापुरा के निवासी खलील के पुत्र सरफ़राज़ खान से हुआ था। मृतक की पत्नी का आरोप था कि विवाह में काफी दहेज़ मिलने के बाद भी उसके ससुर और जेठ आदि खुश नही थे मगर उसका पति सरफ़राज़ अपनी पत्नी और ससुराल से खुश था जिसको लेकर पिता-पुत्र में अक्सर विवाद होता रहता था। मृतक की पत्नी ने आरोप लगाते हुवे बताया कि उसके ससुर ने वंश आगे न बढ़े इस हेतु 2 बार उसका ज़बरदस्ती गर्भपात करवा दिया था। मृतक का एक बेटा है। मृतक की पत्नी ने बताया कि वह जब गर्भ से हुई तो उसके पति सरफ़राज़ ने उसको मायके भेज दिया था ताकि डिलेवरी सही तरीके से हो जाए। जिसके कारण उसके ससुर अपने बेटे से नाराज़ रहने लगे।

मृतक की पत्नी ने पुलिस को बताया था कि विगत काफी समय से कारोबार के बटवारे को लेकर उसके पति का अपने भाईयो और पिता से विवाद चल रहा था। लगभग 10 रोज़ पहले भी विवाद पिता पुत्र में हुआ था। जिसके बाद मृतक ने उसको अपनी बहन के घर भदोही घुमने भेज दिया था। जिसके बाद 1 जुलाई को रात लगभग 8 बजे के करीब मोहल्ले के एक व्यक्ति ने उसको फोन करके बताया कि उसके पति ने फांसी लगा कर जान दे दिया है। जिसके बाद वह भदोही से सीधे थाने आती है और मामले की जानकारी पुलिस को देती है।

उस समय ही एक बड़ा सवाल चुभता हुआ सा दिखाई दे रहा था कि इलाके की चर्चाओ के अनुसार सरफ़राज़ द्वारा फांसी लगा लिए जाने की बात शाम 7:30 के करीब सुनी गई थी। जिसके बाद परिजन उसको लेकर कथित रूप से ट्रामा सेंटर गए थे और रात लगभग 9 बजे के करीब वापस घर आ गए थे। इस दरमियान पुलिस को कोई भी सुचना किसी प्रकार की नही दिली थी। उलटे बताया जाता है कि अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही थी। जिसके बाद रात लगभग 10:00 के करीब मृतक की पत्नी भदोही से वापस आती है और थाने पर मामले की जानकारी वह अपने परिजनों के साथ देती है। जिसके बाद पुलिस मौके पर जाती है। जहा से रात लगभग 11 बजे के करीब मृतक के पिता थाने आते है और मामले में अपनी बहु और उसके परिजनों पर आरोप प्रत्यारोप लगाते है।

अब यहाँ सबसे चुभने वाला सवाल ये है कि घटना जब 7:30 की थी और सरफ़राज़ की मृत्यु घोषित हो गई तो तथा कथित रूप से ट्रामा सेंटर लेकर गये सरफ़राज़ के शव को लेकर वह लोग वापस लगभग 9 बजे घर आ गये तो फिर पुलिस को सुचना मृतक के पिता अथवा भाई के द्वारा क्यों नही दिया गया था? इसके लगभग एक घंटे से अधिक वक्त के बाद जब पुलिस मृतक की पत्नी की शिकायत पर मौके पर पहुचती है तो फिर मामले की पूरी जानकारी पुलिस को होती है। इस सवाल का शायद जवाब तत्कालीन मामले में विवेचक पूर्व थाना प्रभारी धनञ्जय पाण्डेय नही निकाल पाए थे। अब शायद इस सवाल का जवाब मिले। फिलहाल पुलिस मामले में अदालत के आदेश पर मुकदमा दर्ज करने की तैयारी कर रही है। वही मृतक के पिता और भाई के सम्बन्ध में मिल रही जानकारी के अनुसार इस आदेश की जानकारी होने के बाद उनकी अन्दर बेचैनी बढ़ गई है।

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