बनारस व्यापार मंडल में आज हो गया गजब का खरमंडल: संस्था के कुल 31 जीवित संस्थापक सदस्यों में से 16 ने सहायक निबंधक से किया संस्था को डिज़ाल्व करने का अनुरोध, पत्र लिखने वालो में एक संरक्षक भी शामिल
शाहीन बनारसी
वाराणसी: अगस्त माह में बड़े जोरो शोर से पूर्वांचल की सबसे बड़ी मंडी सराय हड्हा से सम्बन्धित बनारस व्यापार मंडल का चुनाव हुआ। अध्यक्ष और महामंत्री पद पर हुवे इस चुनाव में ज़बरदस्त प्रचार प्रसार ऐसा हुआ जैसे लगा कि किसी विधायक का चुनाव हो रहा हो। चुनाव शुरू से ही विवादों के घेरे में था। चुनाव समाप्त होते ही इसके सवैधानिकता पर बड़े सवाल उठने शुरू हो गए।
हमारी तफ्तीश में निकल कर सामने आया कि वर्ष 1981 का जिस संगठन होने का दावा किया जा रहा था वह संगठन दरअसल मरहूम जियाउद्दीन ने वर्ष 2004 में पंजीकृत करवाया था, जिसका पंजीकरण वर्ष 2009 में समाप्त हो चूका था। जितना फाय फाय और हो हल्ला के साथ चुनाव हुआ उसका महज़ 10 फीसद खर्च कर इस संस्था का नवीनीकरण करवाया जा सकता था। मगर 13 सालो से नवीनीकरण ही नही हुआ था और चुनाव ऐसा ज़बरदस्त हुआ जैसे युगांडा के किसी कबीले का सरदार चुना जा रहा हो। साथ ही इस संगठन का बाइलाज पढने के बाद जानकारी हासिल हुई कि संगठन का चुनाव जिस तरीके से हो हल्ला करके हुआ, वह हो ही नही सकता था। इस चुनाव में केवल 151 अधिकतम सदस्य ही मतदान कर सकते है।
इतना खुलासा होने के बाद बनारस व्यापार मंडल में खरमंडल मच गया। खरमंडल से दूर हट एक अन्य संस्था का निर्माण हुआ जिसका नाम न्यू बनारस व्यापार समिति है। इस संस्था के बनने के बाद इलाके के अधिकतर दुकानदारों ने इसके अध्यक्ष और युवा अध्यक्ष को अपना प्रतिनिधि मान लिया और संस्था ने अपना काम भी शुरू कर दिया। दुसरे तरफ बनारस व्यापार मंडल में हुवे इस खरमंडल के बाद से जीते हुवे प्रत्याशी संस्था को जीवित करने के लिए प्रयास करने लगे। बाइलाज के अनुसार सर्वाधिक शक्तिया संस्था के महामंत्री को हासिल थी। महामंत्री मो0 असलम ने लिखित रूप से संस्था को डिजाल्व करने का प्रत्यावेदन सहायक निबंधक को दे दिया।
अब यहाँ महामंत्री मोहम्मद असलम का भी दर्द समझने की बात है। मोहम्मद असलम का कहना है कि जैसे ही चुनाव लडे प्रत्याशियों को मालूम चला कि संस्था का नवीनीकरण नही हुआ है तो उन प्रत्याशियों के द्वारा उनको चुनाव में नामांकन हेतु जमा राशि जो 5100 थी मांगने का सिलसिला जारी हुआ और रोज़ हमारी दूकान का चक्कर लगाने लगे कि हम उनकी नामांकन फीस वापस करे क्योकि जब कोई संस्था ही वजूद में नही है तो फिर चुनाव किस बात का हुआ। हमने इस समस्या का समाधान निकाला और संस्था के बाइलाज में हमको जो शक्तियां निहित थी उसका उपयोग कर संस्था ही डिजाल्व करने का निवेदन कर दिया। ताकि मुझ पर कोई आरोप प्रत्यारोप न हो।
इस प्रत्यावेदन के बाद संस्था के नवीनीकरण की पूरी प्रक्रिया ही थमी जैसी दिखाई दे रही थी। इस दरमियान बनारस व्यापार मंडल को वापस जीवित करने के लिए कतिपय लोगो ने कोशिशे शुरू कर दिया। मगर आज सभी कोशिशो को एक बड़ा झटका लगा है। संस्था के कुल 31 जीवित संस्थापक सदस्यों में से 16 ने सहायक निबंधक को संयुक्त हस्ताक्षर से पत्र लिख कर संस्था को डिजाल्व करने का निवेदन किया है। इस निवेदन के बाद से संस्था के अस्तित्व पर एक बार फिर खतरा मंडराने लगा है।
बाईलाज के अनुसार क्या है संस्था की स्थिति
बाइलाज के अनुसार बनारस व्यापार मंडल में कुल 17 संस्थापक पदाधिकारी, 4 संरक्षक और 20 सदस्य मिला कर कुल 41 लोगो की कमेटी थी। इस संस्थापक सदस्यों की कमेटी में क्रमशः अध्यक्ष जियाउद्दीन खा, उपाध्यक्ष जावेद अली खान और द्वारका नाथ, संगठन मंत्री अशोक कुमार बिंदी, प्रवक्ता जुनैद अली खान तथा मंत्री जुनैद अहमद यानी कुल 6 पदाधिकारियों का निधन हो चूका है। वही जानकारी के अनुसार सदस्यों में मो0 मारुफ़, मो0 शरीफ, हीरा लाल और सतीश पटेल यानी कुल 4 सदस्यों का भी निधन हो चूका है। इस प्रकार संस्थापक कमेटी में कुल 31 सदस्य बचे है।
इस अनुसार देखे तो आज जिन संस्थापक सदस्यों ने संस्था को डिजाल्व करने का पत्र लिखा है उनकी संख्या कुल 16 है। यानी कुल एक तिहाई संस्थापक सदस्यों ने संस्था को डिजाल्व करने के लिए पत्र लिखा है। सबसे अचम्भे की बात ये है कि इस संस्था के जो 4 संरक्षक शकील अहमद, यार मोहम्मद, शमशीर आलम और मो0 सुलेमान कल्लू है, उनमे से एक संरक्षक ने भी शपथ पत्र के साथ संस्था डिजाल्व करने का आवेदन दिया है।
क्या कहते है नियम
अब अगर नियमो को देखे तो नियमानुसार संस्था बनारस व्यापार मंडल (पंजीकरण संख्या 743/2004-5, पत्रावली संख्या वी0-29599) का नवीनीकरण अब एक दिव्यस्वप्न जैसा ही हो गया है। क्योकि अब सस्थापक सदस्यों की जीवित संख्या देखे तो बहुमत तो संस्था को डिजाल्व करने की है। अब कानूनी जानकारों की माने तो संस्था के नवीनीकरण हेतु यदि कोई फीस भी बकाया जमा करता है तो इसके एवज़ में उसको रसीद के साथ नवीनीकरण प्रमाण पत्र नही बल्कि एक मुकदमा मिलेगा। वरिष्ठ अधिवक्ता एसके सिंह ने कहा कि सरकार अपनी आय क्यों रोकेगी? फीस कोई भी जमा कर सकता है। फीस जमा करना और नवीनीकरण प्रमाण पत्र मिलना दो अलग सी बात होती है। फीस जमा करने से नवीनीकरण हुआ ये प्रमाणित नही होता है।
बहरहाल, इस नए खरमंडल के बाद से इलाके में चर्चाओं का बाज़ार गर्म है। न्यू बनारस व्यापार समिति के अध्यक्ष मो0 साजिद गुड्डू ने कहा कि उनका जो पैगाम है वह अहल-ए-सियासत जाने, अपना तो पैगाम-ए-मुहब्बत है जहा तक पहचे। हमारे संस्था का निर्माण व्यापारी हितो की रक्षा हेतु हुआ है। हम अपना काम कर रहे है और बहुत ही जल्द इंशा अल्लाह व्यापारियों को बड़ी खुशखबरी देंगे। वही आसिफ शेख ने कहा कि सब्र का फल मीठा होता है। इस समाचार के आने के बाद अबुल खैर “मिस्टर” ने कहा कि “जिन बोया तिन पाइया की कहावत चरितार्थ हुई है।”