गंगा जमुनी तहजीब को मजबूत करने में उर्दू भाषा का अहम योगदान: प्रो0 सैयद एनुल हसन
शाहीन बनारसी
वाराणासी: उर्दू पत्रकारिता के 200 वर्ष पूरे होने पर शुक्रवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के केंद्रीय पुस्कालय के समिति कक्ष में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान, हिंदी और आधुनिक भाषा विभाग और मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिट, हैदराबाद के संयुक्त तत्वावधान में “उर्दू मीडिया अतीत, वर्तमान और भविष्य” विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो0 सैयद एनुल हसन ने कहा कि आज़ादी के पहले हिन्दी और उर्दू पत्रकारिता ने मिलकर जिस मजबूती के साथ देश के दुश्मनों से लोहा लिया उसको जानना और पढ़ना आज के समय में गंगा जमुनी तहजीब को मजबूत करने के लिए बेहद जरूरी है। सैयद एनुल हसन ने कहा कि मैं भले ही देश दुनिया के कितने मुल्कों में घुमा हूं लेकिन मेरा दिल आज भी बनारसी ही है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि छत्तीसगढ़ के पूर्व पुलिस महानिदेशक व मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के पूर्व सचिव एम0 डब्लू0 अंसारी ने उर्दू पत्रकारिता की शुरुआत और वर्तमान के बीच मुंशी प्रेम चंद के सोजे वतन और गंगा जमुनी तहजीब को याद किया। उन्होंने कहा कि उर्दू किसी एक जाति, धर्म या समुदाय की नहीं बल्कि यह पूरे हिंदुस्तान मुल्क की जबान है।
वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार व उर्दू के जानकार ए0के0 लारी ने उर्दू पत्रकारिता के बारे में बताया कि आज लोग उर्दू को एक खास तबके की जुबान मानते हैं लेकिन ऐसा है नहीं। उर्दू अपने लफ्जों के मायने में बहुत ही संजीदा है। मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो0 ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि उर्दू पत्रकारिता हिंदी पत्रकारिता की बड़ी बहन है।
कार्यक्रम का संचालन मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद फरियाद ने किया। कार्यक्रम में डॉक्टर श्रीराम त्रिपाठी, डॉक्टर देवाशीष वर्मा, डॉक्टर जिनेश, पत्रकारिता संस्थान के शोध छात्र मोहम्मद जावेद सहित हिन्दी विभाग के कई छात्र- छात्राएं शामिल थे।